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Google ने लाखों करोड़ रुपये देकर गैरकानूनी एकाधिकार बनाया, ऐसा बोलकर कोर्ट ने लपेटे में ले लिया

Google पर ऑनलाइन सर्च इंजन बाजार में गैरकानूनी तरीके से एकाधिकार बनाए रखने के आरोप लगाए गए हैं. इस काम के लिए कंपनी ने लाखों करोड़ हर साल खर्च किए. इसके लिए Apple और Samsung जैसी कंपनियों को हर साल करोड़ों डॉलर दिए जाने की बात कही गई.

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Google ऑनलाइन सर्च बाजार का करीब 90 फीसद हिस्सा अपने नियंत्रण में रखता है

अमेरिकी टेक दिग्गज Google ने गैरकानूनी तरीके से काम किया. ऑनलाइन सर्च के मामले में एकाधिकार बनाए रखा. ऐसा सोमवार, 5 अगस्त को आए एक फैसले में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज अमित मेहता ने कहा है. फैसले के बाद गूगल के व्यापार करने के तरीकों में बदलाव किए जाने का अंदाजा भी लगाया जा रहा है.

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न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक, कोलंबिया के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जज अमित मेहता ने मामले में 277 पन्नों का फैसला दिया. जिसमें कहा कि गूगल ने सर्च इंजन के मामले में एकाधिकार का गलत इस्तेमाल किया. एकाधिकार बनाना माने दूसरी कंपनियों को बाजार में बने रहने से रोकने के प्रयास वगैरा करना.

लाखों करोड़ खर्च किए

दरअसल अमेरिकी न्याय विभाग और राज्यों ने गूगल पर मुकदमा किया था. आरोप लगाए थे कि यह गैरकानूनी तरीके से बाजार में दबदबा बनाए हुए है. इसके लिए Apple और Samsung जैसी कंपनियों को हर साल करोड़ों डॉलर दिए जाने की बात कही गई.

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ताकि गूगल डिफॉल्ट तौरपर इन कंपनियों के स्मार्ट फोन में और वेबब्राउजर में सर्च इंजन बना रहे. जज मेहता ने नोट किया कि अकेले साल 2021 में गूगल ने 26.3 बिलियन डॉलर या 197,250 करोड़ रुपये दिए, ताकि इसके सर्च इंजन को फोन वगैरा में प्राथमिकता दी जाए. या डिफॉल्ट सर्च इंजन रखा जाए.

बता दें आप अपने फोन या कंप्यूटर के वेब ब्राउजर में कई सर्च इंजन रख सकते हैं. डक डक गो, याहू, बिंग वगैरा कुछ अन्य सर्च इंजन के उदाहरण हैं. ऐसे में जो सर्च इंजन आपके बिना कुछ किए, पहले से फोन में प्राथमिकता से चलाया जाता है, उसे डिफॉल्ट सर्च इंजन कहते हैं.

अपने फैसले में जज मेहता ने कहा,

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गूगल एकाधिकार रखने के लिए काम करता है.

मामले में जज अमित मेहता ने पाया कि गूगल ऑनलाइन सर्च का करीब 90 फीसद बाजार अपने नियंत्रण में रखता है. वहीं स्मार्टफोन सर्च मार्केट में 95 फीसद कंट्रोल गूगल का है.  

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Google ने ये कहा

Reuters की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बारे में गूगल ने भी अपना पक्ष रखा है. कंपनी ने एक बयान में कहा कि अल्फाबेट (गूगल की पैरेंट कंपनी) जज मेहता के फैसले के खिलाफ अपील करने की सोच रही है. कंपनी ने कहा, 

यह फैसला मानता है कि गूगल सबसे बेहतर सर्च इंजन है. पर इसके विपरीत यह भी कहता है कि हम इसे आम लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं करा सकते हैं. 

न्यूयॉर्क टाइम्स की जानकारी के मुताबिक, इस बारे में वैंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर रिबेका एलेन्सवर्थ ने भी अपनी बात रखी. कहा, 

यह देश का सबसे अहम एंटीट्रस्ट केस है. यह अपनी तरह की पहला मामला है, जो बड़ी दिग्गज कंपनी के खिलाफ आया है.

बता दें एंटीट्रस्ट एकाधिकार या बाजार में गैरकानूनी तरीके से आधिपत्य वगैरह को बनाए रखने को लेकर बनाया गया नियम है. अमेरिकी एटर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने इस फैसले को अमेरिकी लोगों की ऐतिहासिक जीत बताया. कहा कि कोई भी कंपनी, कितनी भी बड़ी या प्रभावशाली क्यों ना हो, कानून से ऊपर नहीं हो सकती है.

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