अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामान पर कुल मिलाकर 50% टैक्स लगाने के कुछ ही घंटों बाद एक और धमकी दे डाली. भारत को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि अगर रूस से तेल खरीद जारी रही, तो अमेरिका "सेकेंडरी सैंक्शन" यानी द्वितीयक प्रतिबंध लगाने से भी पीछे नहीं हटेगा.
‘इतने सैंक्शन लगेंगे कि गिनती भूल जाओगे’ भारत पर 50% टैरिफ के बाद ट्रंप की खुली धमकी
US India Trade Tension: ट्रंप के टैरिफ के चलते भारतीय उत्पादों का 55% निर्यात अमेरिका में प्रभावित हो सकता है, विशेषकर गारमेंट, जेम्स-ज्वैलरी और फुटवेयर सेक्टर में. जबकि फार्मास्युटिकल्स और मोबाइल फोन सेक्टर को टैरिफ से राहत मिली है.

जब पत्रकारों ने पूछा कि सिर्फ भारत पर ही इतना सख़्त रवैया क्यों, जबकि चीन जैसे देश भी रूसी तेल खरीद रहे हैं- तो ट्रंप ने बड़े ही ठसक भरे अंदाज़ में कहा,
अभी तो सिर्फ आठ घंटे हुए हैं. देखिए आगे क्या होता है. आप और भी बहुत कुछ देखने वाले हैं. इतने सारे सेकेंडरी सेंक्शन आएंगे कि गिनती भी भूल जाएंगे!
इस बयान के साथ ही ट्रंप ने साफ कर दिया है कि भारत को आर्थिक दबाव में लाने की तैयारी पूरी है- और यह कहानी अभी शुरू ही हुई है.
इससे पहले 6 और 7 अगस्त की मध्य रात्रि जब भारतवासी नींद की आगोश में होने की तैयारी कर रहे थे, वॉइट हाउस में भारत को लेकर एक अहम फैसला किया जा रहा था. एक ऐसा फैसला जो भारत के साथ अमेरिकी व्यापारिक रिश्तों को खराब और खराब करने वाला था. बीती बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने भारत के कई उत्पादों पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया.
कारण बताया गया- भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की बढ़ती खरीदारी, जिससे अमेरिका के राष्ट्रीय हितों को नुकसान हो रहा है. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का मन इतने भर से नहीं भरा है. वो 21 दिन के भीतर भारत पर और कड़े टैरिफ लगाने के संकेत दे रहे हैं.
भारत सरकार ने तुरंत तीखी प्रतिक्रिया दी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा,
हमारी ऊर्जा खरीद पूरी तरह मार्केट फैक्टर्स और देश की ऊर्जा सुरक्षा पर आधारित है. यह नीति अन्यायपूर्ण, अनुचित और अव्यावहारिक है.
भारत ने यह भी कहा कि अमेरिका और यूरोपीय देश खुद भी रूस से बड़े पैमाने पर व्यापार कर रहे हैं, लेकिन निशाना सिर्फ भारत को बनाया जा रहा है.
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यूरोपीय आयात की अनदेखीहैरत की बात ये है कि अमेरिका ने भारत पर रूसी सस्ते तेल के आयात के जरिए यूक्रेन युद्ध में फंडिंग की बात कही है. जबकि उसके यूरोपीय साथी खुद रशियन तेल खरीद रहे हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स (Reuters) के मुताबिक 2022 के बाद से यूरोप ने रूस से 212 अरब यूरो (लगभग 19.42 लाख करोड़ रुपये) का एनर्जी इम्पोर्ट किया है. उन्हें अमेरिका से छूट मिली. इसके विपरीत भारत को दंड स्वरूप डबल टैरिफ झेलना पड़ रहा है.
इसके अलावा खुद अमेरिका भी रूसी इम्पोर्ट से अछूता नहीं है. यूएस एनर्जी डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक यूनाइटेड स्टेट्स ने साल 2023-24 के दौरान रूस से इन सेक्टर्स में आयात किया है-
- यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड (न्यूक्लियर सेक्टर)
- पैलेडियम (EV सेक्टर)
- रसायन और उर्वरक
यही वजह है कि ट्रंप के टैरिफ पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने दो टूक लहजे में कहा है,
व्यापार पर असरजिन्होंने हमें आलोचना का निशाना बनाया, वे खुद रूस से व्यापार करते हैं.
भारतीय उत्पादों का 55% निर्यात अमेरिका में प्रभावित हो सकता है, विशेषकर:
- गारमेंट
- जेम्स-ज्वैलरी
- फुटवेयर
फार्मास्युटिकल्स और मोबाइल फोन सेक्टर को टैरिफ से राहत मिली है, जिससे करीब $30 अरब डॉलर (250 करोड़ रुपये) का निर्यात फिलहाल सुरक्षित रहेगा.
अब आगे क्या?ट्रंप के टैरिफ से निपटने के लिए भारत सरकार ने कई कदम उठाने शुरू कर दिया है-
- भारत सरकार एक्सपोर्टर्स को सब्सिडी और अन्य राहत देने की रणनीति बना रही है.
- अमेरिकी प्रशासन से बातचीत तीन हफ्तों के अंदर हल निकालने के प्रयास होंगे.
- यह मुद्दा भारत-अमेरिका संबंधों में 1998 परमाणु परीक्षण के बाद सबसे बड़ा तनाव बनता दिख रहा है.
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन की संभावित यात्रा और एनएसए अजित डोभाल की मास्को यात्रा को भी इसी क्रम से जोड़कर देखा जा रहा है.
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