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पूजा खेडकर के बाद पूर्व IAS अभिषेक सिंह भी विकलांगता दावे को लेकर सवालों के घेरे में

Ex-IAS Officer Abhishek Singh की चयन प्रक्रिया को लेकर सवाल उठ रहे हैं. अभिषेक 2011 बैच के आईएएस अधिकारी थे, बीते साल उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. अपने डांस और जिम वीडियो को लेकर वो Social Media पर वायरल होते रहते हैं.

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अभिषेक सिंह ने लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखकर जवाब दिया है. (फ़ोटो - आजतक/सोशल मीडिया)

ट्रेनी IAS अफसर पूजा खेडकर के बाद पूर्व IAS अधिकारी अभिषेक सिंह भी अपने विकलांगता सर्टिफिकेट को लेकर सवालों के घेरे में आ गए हैं. अभिषेक सिंह 2011 बैच के IAS अफ़सर थे. पिछले साल उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था.

IAS रहते हुए अभिषेक सिंह अपने लाइफस्टाइल को लेकर चर्चा में भी रहे और विवादों में भी. उनकी रुचि एंटरटेनमेंट फील्ड में भी रही. वो डांस और जिम में एक्सरसाइज के वीडियो शेयर करते रहते हैं. इन्हीं वीडियोज पर किए गए कॉमेंट्स में उनकी विकलांगता और चयन पर सवाल पूछे जा रहे हैं.

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक़, अभिषेक सिंह ने UPSC चयन प्रक्रिया के दौरान बताया था कि उन्हें लोकमोटर डिसैबिलिटी है. आसान भाषा में कहें तो मस्तिष्क, हड्डियों, जॉइंट्स या मसल्स से जुड़ी ऐसी मेडिकल कंडीशन्स जिनमें अंग/अंगों को मूव करने में दिक्कत होती है. कई यूजर्स ने अभिषेक के वीडियो पर लिखा है कि वो अपनी कंडीशन को लेकर पारदर्शिता दिखाए. उन्होंने अधिकारियों की चयन प्रक्रिया में भी पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित किए जाने की बात की है.

अभिषेक ने ऐसी बातों का जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि आरक्षण का समर्थन करने के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. इसे लेकर उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा,

"वैसे तो मुझे किसी की आलोचना से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, लेकिन जीवन में पहली बार मैं अपने आलोचकों को जवाब दे रहा हूं. वो भी हज़ारों समर्थकों के कहने पर. जब से मैंने आरक्षण के पक्ष में आवाज़ उठाना शुरू किया, आरक्षण विरोधियों की पूरी सेना ने मेरे खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उनको ये पच नहीं रहा कि कैसे एक जनरल कैटेगरी का लड़का आरक्षण के पक्ष में बोल रहा है. पहले तो मेरी कास्ट पर सवाल उठाए गए, फिर कहा गया कि मैं अपनी नौकरी वापस मांग रहा हूं. और अब कह रहे हैं कि मैंने नौकरी आरक्षण से ली है."

आगे अभिषेक ने लिखा,

"जो सब मैंने हासिल किया, उसके लिए चट्टान का कलेजा चाहिए. आपने कहा कि मेरे पिताजी IPS अधिकारी थे, इसलिए मुझे फ़ायदा मिला. आपको बता दूं, मेरे पिताजी एक बहुत ग़रीब परिवेश से निकलकर PPS अधिकारी बने, IPS में प्रमोट हुए थे. मेरी फैमिली में और लोगों ने UPSC की तैयारी की, लेकिन वो कामयाब नहीं हुए. अपने पूरे खानदान में इकलौता मैं IAS में चयनित हुआ. आपको ये भी बता दूं कि UPSC में कोई डोमिसाइल सर्टिफिकेट (स्थायी पता प्रमाणपत्र) नहीं लगता. जिसने भी UPSC दिया है, उसको ये पता होगा. तो ये फ़र्ज़ी प्रॉपगैंडा बंद करें. जिसको जो भी पूछना है, मैं जवाब देने के लिए तैयार हूं."

आरक्षण पर उन्होंने लिखा,

"सरकार की नौकरियों में आरक्षण जनसंख्या के अनुरूप होना चाहिए. अब मैं आंदोलन करके 50% की सीलिंग को हटाने की मांग रखूंगा और उसको संवैधानिक तौर पर पूरा कराऊंगा. जिन आरक्षण विरोधियों को इससे तकलीफ़ है, उन्हें मैं कहूंगा कि इतनी ही प्रतिभा है तो सरकारी नौकरियों में सेंध लगाना बंद करें और बाक़ी फ़ील्ड की तरफ़ बढ़ें. वहां कोई रिज़र्वेशन नहीं है."

इससे इतर अभिषेक ने जितनी बातें लिखीं, वो आरक्षण और उनके विकलांगता प्रमाण पत्र से अलग थीं. कई लोगों ने उनके इस पोस्ट पर भी सवाल उठाए कि जीवन संघर्ष तो लिख दिया, लेकिन विकलांग कोटा कैसे मिला इस पर बात ही नहीं की गई.

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पूजा खेडकर के विकलांग प्रमाण पत्र पर सवाल

UPSC की परीक्षा में आवेदन के दौरान पूजा खेडकर ने दावा किया था कि उन्हें ‘दृष्टिदोष’ है, यानी उनकी आंखें पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हैं. ये भी दावा किया कि वो मानसिक रूप से बीमार हैं. इसके बाद भी उनका चयन हुआ. लेकिन सेलेक्शन के बाद जब मेडिकल टेस्ट होना था, तो कथित तौर पर वो शामिल ही नहीं हुईं. केंद्र सरकार ने पूजा खेडकर के ख़िलाफ़ आरोपों की जांच के लिए एक सदस्यीय समिति गठित की है. बताया गया कि अगर पूजा खेडकर दोषी पाई जाती हैं, तो उन्हें बर्खास्त किया जा सकता है. साथ ही, अगर तथ्यों को छिपाने और ग़लत बयान देने के आरोप सही पाए जाते हैं, तो उन पर आपराधिक कार्रवाई भी हो सकती है.

वीडियो: IAS अधिकारी पूजा खेडकर की बढ़ी मुश्किलें, विकलांग सर्टिफिकेट पर बैठी जांच