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लोकसभा में श्वेत पत्र पेश, UPA के 'आर्थिक कुप्रबंधन' पर चर्चा करेगी मोदी सरकार

मोदी सरकार ने सदन में 'श्वेत पत्र' पेश किया है, वहीं कांग्रेस इसके जवाब में 'ब्लैक पेपर' लेकर आई है. जानिए इन दोनों ब्लैक और व्हाइट पेपर में क्या आरोप-प्रत्यरोप लगाए गए हैं.

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UPA सरकार के दौरान कथित आर्थिक कुप्रबंधन पर मोदी सरकार 'श्वेत पत्र' लेकर आई है. (फाइल फोटो: PTI)

मोदी सरकार ने लोकसभा में श्वेत पत्र पेश किया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 8 फरवरी को लोकसभा में ये श्वेत पत्र सदन में रखा. मोदी सरकार ये श्वेत पत्र UPA सरकार के दौरान के कथित आर्थिक कुप्रबंधन पर लेकर आई है. इस श्वेत पत्र पर शुक्रवार, 9 फरवरी को चर्चा होगी. 65 पेजों के श्वेत पत्र में 2014 से पहले और 2014 के बाद की भारतीय अर्थव्यवस्था की रिपोर्ट दी गई है. वहीं कांग्रेस मोदी सरकार के इस श्वेत पत्र के विरोध में 'ब्लैक पेपर' लेकर आई है.

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पहले आपको को श्वेत पत्र के बारे में बताते हैं. वित्त मंत्रालय की ओर से पेश किए गए इस 'श्वेत पत्र' में इसे पेश किए जाने का मकसद भी बताया गया है. कहा गया है कि इस श्वेत पत्र के जरिए साल 2014 से पहले यानी मोदी सरकार बनने से पहले देश के सामने रहे आर्थिक संकटों के बारे में बताने की कोशिश की गई है. साथ ही, ये बताया गया है कि आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए मोदी सरकार ने क्या कदम उठाए हैं. 

मोदी सरकार के श्वेत पत्र में क्या है?

इसमें बताया गया है कि किस तरह UPA सरकार के दस सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान झेलना पड़ा. मोदी सरकार के श्वेत पत्र में कहा गया है कि साल 2004 में देश की अर्थव्यवस्था दुरुस्त थी, लेकिन 2004 से 2014 के बीच ये सुस्त पड़ती गई. 

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इसमें कहा गया है कि UPA सरकार में बैंकिंग सेक्टर संकट में गया. कहा गया है कि UPA के कार्यकाल में राजकोषीय घाटा बढ़ता गया. श्वेत पत्र में कहा गया है कि UPA ने अपने कार्यकाल के दौरान सामाजिक क्षेत्र की कई योजनाओं के लिए बड़ी मात्रा में पैसे खर्च नहीं किए गए.

इसमें UPA शासन की नीतिगत खामियों और घोटालों की बात करते हुए सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी की बात कही गई. इसमें यूपीए के शासन काल में हुए कई घोटालों का जिक्र किया गया है. इसमें '2G स्कैम', 'कोयला घोटाला', 'कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला' आदि शामिल किया गया है.

श्वेत पत्र में लिखा है कि 2014 में ‘कोयला घोटाले’ ने देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था. इसमें बताया गया है कि 2014 से पहले कोयला ब्लॉकों का आवंटन ब्लॉक आवंटन की पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किए बिना मनमाने आधार पर किया गया था. इस श्वेत पत्र में '2जी स्पेक्ट्रम घोटाले' पर लिखा गया है कि UPA के शासन में स्पेक्ट्रम के आवंटन की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी थी. 

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कहा गया है कि UPA सरकार की नीति निष्क्रियता और गलत कदमों ने व्यापार करने में परेशानी पैदा की. इस वजह से निजी निवेश कम हो गया, विकास और नौकरियों के बहुत सारे रास्ते बंद हो गए.

UPA कार्यकाल की तमाम खामियां गिनाने के बाद श्वेत पत्र में मोदी सरकार के कार्यकाल में उठाए गए कदमों के बारे में बताया गया है. इसमें कहा गया है कि मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में कई सुधार हुए हैं. कहा गया है कि बैंकिंग सिस्टम मजबूत हुआ है. निवेश और उत्पादन क्षमता बढ़ी है.

श्वेत पत्र के जवाब में कांग्रेस का ब्लैक पेपर

मोदी सरकार ने श्वेत पत्र पेश करने की योजना बनाई थी, तो ऐसे में कांग्रेस ने पहले ही अपनी ओर से ब्लैक पेपर पेश कर दिया. ये कांग्रेस की ओर से मोदी सरकार के कार्यकाल की नीतियों और परफॉर्मेंस पर पेश किया गया लेखा-जोखा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 8 फरवरी को मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल पर ब्लैक पेपर जारी किया.

इस ब्लैक पेपर में क्या है?

इस ब्लैक पेपर में मोदी सरकार के कार्यकाल की खामियां बताई गई हैं. दावा किया है कि मोदी सरकार के 10 सालों में बेरोजगारी, महंगाई, जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव, उत्पीड़न और क्राइम के मामले बढ़े हैं. 

कांग्रेस के ब्लैक पेपर में दावा किया गया है कि देश में बेरोजगारी दर 45 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. कहा गया है कि 10 सालों में 20 करोड़ नौकरियों का वादा किया गया था कि लेकिन 12 करोड़ से ज्यादा नौकरियां छीन ली गईं. इसमें कहा गया है कि सरकारी महकमों में 30 लाख पद खाली हैं.

वहीं महंगाई को लेकर गैस, तेल, डीजल और खाने-पीने के सामानों में 37 से 120 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज करने की बात कही गई है. कांग्रेस द्वारा जारी ब्लैक पेपर की मानें, तो 2014 से 2024 तक कच्चे तेल की कीमत 20 प्रतिशत तक गिरी. कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल से 79 डॉलर प्रति बैरल तक आ गई. इसके बावजूद देश में तेल के दाम बढ़ाए गए.

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में महिलाओं, एससी (SC), एसटी (ST), ओबीसी (OBC) और अल्पसंख्यकों के खिलाफ घोर भेदभाव हुआ है. उनका गंभीर रूप से उत्पीड़न हुआ. दावा किया गया है कि 2013 की तुलना में 2022 में SC और ST समुदायों के खिलाफ अपराध 48 प्रतिशत बढ़े हैं.

साल 2022 में भारत में बलात्कार के कुल 31 हजार 516 मामले दर्ज किए गए. बलात्कार के मामले बढ़ रहे हैं, जबकि सजा दिए जाने की दर महज 27.4 प्रतिशत ही है.

इसके अलावा कांग्रेस ने ब्लैक पेपर के जरिए मोदी सरकार की विदेश नीति पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं. लिखा गया है कि चीन ने हमारी सैकड़ों किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर लिया है, लेकिन मोदी सरकार चुप है. चार साल तक मोदी सरकार ने अपनी Deny, Distract, Lie, Justify यानी DDLJ नीति के तहत सीमा से जुड़ी सबसे बड़ी नाकामयाबी को कवर करने का प्रयास किया. 

इसमें बताया गया है कि चीनी सैनिक भारतीय पेट्रोलिंग सैनिकों को लद्दाख के देपसांग और डेमचोक मैदानों तक जाने से रोक रहे हैं. भारतीय सैनिक अपने 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स में से 26 पॉइंट खो चुके हैं. मोदी सरकार चीन के सामने बफर ज़ोन बनाने के लिए सहमत हो गई है, जिसके तहत भारत आगे के क्षेत्र का अपना दावा छोड़ देगा.

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