जब भी आतंकवाद पर बात होती है, पाकिस्तान बहाने बनाता है. ऐसा दिखाने की कोशिश करता है जैसे वो भी आतंकवाद का मारा हुआ है. ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान और उसके बाद भी भारत ने कई सबूत दिए थे. उन सबूतों से ये साफ हो गया कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकियों को शह दे रहा है. लेकिन एक जगह है जहां उसकी हालत खराब हो जाती है. वो है फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF). 20 अक्टूबर से FATF वीक की शुरुआत हुई जो 24 अक्टूबर तक चलेगी. इसमें 200 से अधिक प्रतिनिधि और ऑब्जर्वर हिस्सा ले रहे हैं.
FATF की मीटिंग में आतंकवाद के सबूत सौंपेगा भारत, पाकिस्तान फिर से ग्रे लिस्ट में जा सकता है!
FATF ने जून में कहा था कि Pahalgam Attack के लिए फंड्स की जरूरत पूरी की गई. बिना पैसों के इतना बड़ा हमला संभव नहीं था. यह जिक्र भारत के इस दावे को मजबूती देता है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह भारत में कई आतंकवादी हमलों में शामिल रहे हैं.


इस सत्र के बारे में जानकारी देते हुए सितंबर में FATF ने बताया था
यह पूर्ण अधिवेशन FATF के नए दौर के आपसी मूल्यांकन के तहत मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और आतंक के प्रचार-प्रसार से निपटने के लिए देशों के उपायों पर पहली चर्चा का प्रतीक होगा.
द हिंदू से बात करते हुए एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि इस अधिवेशन में पहलगाम पहले की भी बात होगी. उन्होंने कहा
पहलगाम हमले की फंडिंग पर पहले भी बोल चुका है FATFपाकिस्तान स्थित या उससे जुड़े 130 से ज्यादा आतंकवादी संगठन और व्यक्ति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आईएसआईएल/अल-कायदा प्रतिबंध सूची में लिस्टेड हैं. पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का एक प्रतिनिधि, द रेजिस्टेंस फोर्स (TRF), जिसने 22 अप्रैल को पहलगाम में भीषण हत्याएं कीं, उसे भी अमेरिका ने एक वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित किया है.
FATF द्वारा जून में कहा गया कि पहलगाम हमले के लिए फंड्स की जरूरत पूरी की गई. बिना पैसों के इतना बड़ा हमला संभव नहीं था. यह जिक्र भारत के इस दावे को मजबूती देता है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह भारत में कई आतंकवादी हमलों में शामिल रहे हैं. यह भारत में क्रॉस-बॉर्डर यानी सीमा पार से आतंकवाद के खतरे को वैश्विक मान्यता देता है. इससे यह बात भी साफ होती है कि आतंकी हमलों को अंजाम देने में पैसों या फंड्स का रोल कितना अहम है. FATF ने 2022 में पाकिस्तान को ग्रे सूची (FATF Grey List) से हटा दिया था.
FATF ने कहा कि वित्तीय सहायता और आतंकी नेटवर्क में पैसा ट्रांसफर किए बिना यह हमला संभव ही नहीं था. FATF ने एक बयान में कहा कि ‘पैसों की मूवमेंट’ आतंकवाद का मुख्य केंद्र है. पहलगाम में हुए हमले सहित कोई भी हमला बिना फंड्स की मूवमेंट के संभव नहीं होता.
तबाह हुए आतंकी ठिकानों को वापस बनवा रहा पाकिस्तानऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान के समर्थन से चल रहे कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी मिली है कि जमात-उद-दावा के नेतृत्व में लश्कर-ए-तैयबा ने मुरीदके स्थित अपने मुख्यालय को वापस बनवाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन अभियानों के जरिए फंड जुटाए हैं. इस मुख्यालय को भारतीय वायुसेना ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तबाह कर दिया था.
इसके बाद मई 2025 में ही पाकिस्तान सरकार ने घोषणा की थी कि वह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को वापस बनवाएगी. उसने लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय मरकज तैयबा के लिए चार करोड़ पाकिस्तानी रुपये अलॉट किए, जबकि इसके पूर्ण पुनर्निर्माण की अनुमानित लागत 15 करोड़ पाकिस्तानी रुपये से ज्यादा होने की संभावना थी. इसलिए, एजेंसियों के अनुसार इस संगठन ने ‘बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत’ के बहाने पैसे जुटाए हैं.
ई-कॉमर्स का इस्तेमाल भी कर रहे आतंकीFATF के मुताबिक आतंकी हमलों में अब एक नया पैटर्न सामने आया है. बीते कुछ सालों से आतंकी और उनके संगठन में ई-कॉमर्स प्लेटफार्म्स का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी 2019 में पुलवामा में एक आत्मघाती हमलावर द्वारा किए गए हमले में इस्तेमाल किए गए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) का एक जरूरी हिस्सा एल्युमिनियम पाउडर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन मार्केटप्लेस (E-commerce प्लेटफॉर्म) अमेज़न से खरीदा गया था.
FATF ने अप्रैल 2022 में गोरखनाथ मंदिर में सुरक्षाकर्मियों पर हमले के मामले में ऑनलाइन पेमेंट सर्विस और वीपीएन के इस्तेमाल का भी विवरण दिया है. इस हमले में Islamic State की विचारधारा से प्रभावित एक व्यक्ति ने सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया था. वित्तीय जांच से पता चला कि व्यक्ति ने आईएसआईएल के समर्थन में विदेशी देशों में पेपाल (PayPal) के माध्यम से 6 लाख 69 हजार 841 रुपये ट्रांसफर किए थे.
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