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कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड में 140 करोड़ दिए, अगले ही महीने 14,400 करोड़ का टेंडर मिल गया!

Megha Engineering and Infrastructure Private Limited के पास तेलंगाना और मुम्बई में कई बड़े प्रोजेक्ट्स हैं. कंपनी द्वारा डोनेट किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड का 60 प्रतिशत हिस्सा बीजेपी के पाले में रहा.

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कंपनी ने 966 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड डोनेट किए हैं (फोटो: आजतक)

मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (Megha Engineering and Infrastructure Private Limited) ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजेपी को 584 करोड़ रुपए डोनेट (MEIL Donated 584 crore worth electoral bonds to BJP) किए हैं. इसी फर्म को मई 2023 में हजारों करोड़ रुपए का एक प्रोजेक्ट का टेंडर मिला. ताज़ा जानकारी ये है कि इस प्रोजेक्ट के मिलने से एक महीने पहले बीजेपी ने इलेक्टोरल बॉन्ड में कंपनी द्वारा डोनेट किए हुए रुपयों में से 140 करोड़ रुपए भुनाए थे. 

इंडिया टुडे से जुड़े दिव्येश सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड हैदराबाद बेस्ड कंपनी है. और इलेक्टोरल बॉन्ड में सबसे ज्यादा रुपए डोनेट करने वाली कंपनियों में से एक है. कंपनी ने टोटल 966 करोड़ रुपए इलेक्टोरल बॉन्ड में डोनेट किए हैं. इसमें से डोनेशन का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा (584 करोड़ रुपए) बीजेपी के पास गया. बीजेपी के अलावा भारतीय राष्ट्र समिति (BRS) को भी कंपनी ने 195 करोड़ रुपएदिए हैं . बता दें कि तेलंगाना में भी कंपनी के पास कई बड़े प्रोजेक्ट हैं और 2023 दिसंबर तक राज्य में BRS की ही सरकार थी. 

कौन सा प्रोजेक्ट मिला?

मुंबई स्थित संजय गांधी नेशनल पार्क के नीचे से थाने से बोरीवली ट्विन टनल प्रोजेक्ट बनना है. साल 2023 में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को इस प्रोजेक्ट का टेंडर मिला. टेंडर की कीमत 14,400 करोड़ रुपए थी. इस प्रोजेक्ट  के तहत बनने वाली टनल 11.84 किलोमीटर लंबी है. प्रोजेक्ट दो हिस्सों में बंटा हुआ है. और इसे पूरा करने की समय सीमा चार साल है. साथ ही इस कंपनी को एक ज्वाइंट वेंचर के तहत मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में बुलेट ट्रेन स्टेशन बनाने का भी टेंडर मिला है.

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हाल ही में कंपनी पर एक प्रोजेक्ट को पूरा करने में देरी होने पर फाइन भी लगा था. सूत्रों के मुताबिक बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) कंपनी पर हर्जाना लगा चुकी है. दरअसल कंपनी को एक रोड बनाने का टेंडर मिला था. इस टेंडर की कीमत 1800 करोड़ रुपए थी. समय से काम पूरा न होने पर कंपनी पर हर्जाना लगा था.  

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