कर्नल एन.जे. नायर, हवलदार हंगपन दादा, सूबेदार जोगिंदर सिंह और लेफ्टिनेंट कर्नल धन सिंह थापा ये उन शहीदों के नाम हैं. जिनके नाम से कोलकाता के ईडन गार्डन्स मैदान में चार स्टैंडों के नाम रखे गए हैं. ये तरीका अपने फौजियों को सम्मान देने का है. इससे पहले कि शुक्रवार को दिल्ली और कलकत्ता का मैच होता. इन स्टैंडों के ये नाम रखे गए. ये पहल बंगाल के क्रिकेट संघ की है. जिस वक़्त ये नामकरण वाला कार्यक्रम हुए वहां दादा गांगुली भी थे. साथ में बंगाल क्रिकेट के अध्यक्ष थे और आर्मी की ओर से प्रवीण बख्शी भी थे.
ये लोग कौन थे हमें ये भी जानना चाहिए.
कर्नल एन.जे. नायर जिनको लोग सिर्फ NJ भी कहते थे. पूरा नाम था नीलकंठन जयचंद्रन नायर. सैनिक स्कूल और एनडीए से होकर आए थे. साल 51 की पैदाइश, जगह केरल. 16वीं मराठा लाइट इनफैंट्री में थे. नागालैंड में पोस्टिंग थी. 20 दिसंबर 1993 को मोकोचुंग-मारियानी रोड के पास हथियारों से लैस करीब 100 विद्रोहियों ने इनके दल पर हमला कर दिया था. एक जेसीओ और 13 जवान मौके पर ही मारे गए. फिर एनजे आगे आए. घायल होते हुए भी अपने लोगों को बचाते हुए शहीद हुए. कीर्ति चक्र और अशोक चक्र से सम्मानित हुए. बाद के दिनों में इन पर सुपरहीरो कॉमिक्स भी आई. जहां से लोगों ने इनकी बहादुरी के किस्से जाने.
हंगपन दादा जिन्हें अभी मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया. 2 अक्टूबर के दिन पैदा हुए थे. साल था 1979 अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले में. कश्मीर के नौगाम में एक बार आतंकी घुसने की कोशिश कर रहे थे. सामने दादा थे. लड़ाई हुई. तीन आतंकियों को ढेर किया और चौथे से हाथोंहाथ लड़ गए. उसे भी मार डाला लेकिन इस फेर में उनके गले और पेट में गोली लग गई और वो शहीद हो गए.
उनके बारे में बना ये वीडियो उनकी कहानी कहता है. https://youtu.be/k1v-vLUCPJM सिख रेजिमेंट में 15 सितंबर 1941 को सूबेदार जोगिंदर सिंह भर्ती हुए थे. सन 62 था चीन से लड़ाई थी. 23 अक्टूबर 1962 का दिन था जिस रोज़ वो शहीद हुए. चीनी फौजें तावांग की ओर जा रही थीं. बूमला मोर्चे पर इंडिया और चीनी फौज सामने-सामने आ गई. चीन की एक पूरी एक डिवीजन थी. उसके सामने भारत की केवल कंपनी. उनके अगुआ थे सूबेदार
जोगिंदर सिंह. घायल होने के बाद भी उनने पोजीशन से पीछे हटने से मना कर दिया था. उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
मेजर धनसिंह थापा नेपाली मूल के भारतीय फ़ौजी थे. उनको और उनके तीन साथियों चीन की सेना ने बंदी बना लिया था. 1962 में चीन से लड़ाई के टाइम सिरिजाप घाटी में गोरखा राइफल्स के अगुआ थे. चीन की सेना ने तीन बार हमले किए. तीन बार इधर से उनके जवाब को बेकार किया गया लेकिन 20 अक्टूबर 1962 को सुबह-सुबह चीन के सैनिकों ने चौकी पर हमला कर दिया, चौकी तबाह हुई और कई जवान शहीद हुए. थापा को वो लोग बंदी बना ले गए. लेकिन उनको वो चकमा देकर भाग निकले. बहुत दिनों पहाड़ों पर भटके फिर अंत में इंडियन बॉर्डर में आ गए. सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र उनको दिया गया था.
वैसे शहीदों को आईपीएल में सम्मान दिखाने का ये कोई पहला मौक़ा नहीं है. कोलकाता नाइट राइडर्स ने बुधवार को राइज़िंग पुणे सुपरजायंट्स के खिलाफ़ मैच में बांह पर काली पट्टी बांधी हुई थी. वो पट्टी सुकमा में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए थी.
आईपीएल खेल रहे गंभीर ने भी कुछ रोज़ पहले कुछ अच्छा किया है. छत्तीसगढ़ के सुकमा इलाके में 24 अप्रैल को हुए नक्सली हमले में सीआरपीएफ़ के 25 जवान मारे गए. गौतम गंभीर ने इस मामले में एक शानदार काम किया है. उन्होंने इस हमले में मारे गए सभी जवानों के बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने का जिम्मा लिया है. गंभीर का ये प्रयास सराहनीय है और वो बधाई के पात्र हैं. गौतम गंभीर की एक फाउन्डेशन चलती है जिसका नाम है गौतम गंभीर फाउन्डेशन. इसी फाउंडेशन के ज़रिये वो ये काम करेंगे. उन्होंने बताया कि इस मामले में उनकी इस फाउंडेशन ने काम कार्रवाई करनी शुरू कर दी है. गंभीर फिलहाल आईपीएल में बिज़ी हैं और उन्होंने बताया कि जब उन्हें इस हमले की खबर मिली तो वो हिल गए थे. जब उन्होंने हमले की तस्वीरें देखीं और खबरें पढ़ीं तो वो अन्दर से खोखले हो गए.
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