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ED वहां CRPF की फौज लेकर पहुंची, पहले जहां हमला हुआ था, किस TMC नेता के घर फिर छापा?

West Bengal के कथित राशन घोटाले में ED महीनों से छापेमारी कर रही है. इसी महीने TMC नेता के यहां छापेमारी के दौरान ED की टीम पर गांववालों ने हमला कर दिया था. इस बार ED पूरी तैयारी से पहुंची तो क्या हुआ?

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'राशन घोटाले' को लेकर ED छापेमारी कर रही है. (फोटोसोर्स- आजतक)

पश्चिम बंगाल (West Bengal) में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) 19 दिनों के बाद फिर एक्शन में है. ED की एक बड़ी टीम भारी तादाद में CRPF के जवानों के साथ उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली इलाके में पहुंची है. बीती 5 जनवरी को इसी गांव में ED की एक टीम TMC नेता एसके शाहजहां के घर छापेमारी करने पहुंची थी. तब भीड़ ने ED पर हमला कर दिया था.

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आजतक से जुड़े राजेश साहा की खबर के मुताबिक, एसके शाहजहां फरार हैं. और ईडी की एक टीम फिर से उनके घर पर रेड मारने पहुंची हुई है. केंद्रीय जांच एजेंसी के साथ एक कंपनी CRPF की भी है. ED के अधिकारियों के साथ 24 से ज्यादा गाड़ियों में भारी केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान पहुंचे हैं. स्थानीय पुलिस भी मौके पर मौजूद है.

ED पर हमला हुआ था

बीती 5 जनवरी को ED, उत्तर 24 परगना में दो TMC नेताओं के घर छापा मारने पहुंची थी. ED की एक टीम ने सबसे पहले बोनगांव नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन शंकर आध्या के घर और ससुराल पर छापा मारा. जबकि दूसरी टीम जिले के संदेशखाली इलाके में शाहजहां शेख के घर पहुंची. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आध्या और शाहजहां शेख, राज्य सरकार में मंत्री ज्योति प्रिया मलिक (बालू) के करीबी हैं, ज्योति प्रिया मलिक को पहले ही कथित घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है. शाहजहां शेख को इलाके में TMC का मजबूत नेता माना जाता है. ईंट के भट्टे सहित उनका कई चीजों का व्यापार भी है.

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ED की टीम जब TMC नेता शाहजहां शेख के घर पहुंची तब उनके घर पर ताला लटका हुआ था. ED ने करीब एक घंटे तक शाहजहां शेख के आने का इंतजार किया. उसके बाद ED के अधिकारियों ने घर का ताला तोड़ने की कोशिश की. इसी बीच इलाके के लोग इकठ्ठा हो गए. भीड़, जुटती देख, ED ने अपने कदम पीछे ले लिए. लेकिन भीड़ ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. टायर जलाए गए. कुछ लोगों ने मीडिया की गाड़ियों पर भी हमला कर दिया और तोड़फोड़ की. ED के अधिकारियों के मौके से वापस चले आने के बाद भी लोग नहीं रुके और सड़कें जाम कर दीं.

क्या है ये घोटाला?

ED पिछले कई महीनों से कथित राशन वितरण घोटाले को लेकर जांच और छापेमारी कर रही है. ED ने खुलासा किया था कि पश्चिम बंगाल में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम) के तहत बांटे जाने वाले राशन का करीब 30 फीसद राशन बेच दिया गया. ED के मुताबिक, राशन को बेचने से जो पैसा आया, उसे मिल के मालिकों और PDS डिस्ट्रीब्यूटर्स के बीच बांट दिया गया. आरोप है कि ये सारा खेल, कुछ सहकारी समितियों की मिली भगत से हुआ. इसके लिए चावल की मिलों के मालिकों ने किसानों के फर्जी खाते खोले. और उनके अनाज के बदले उन्हें दिया जाने वाला तय MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का पैसा अपनी जेबों में भर लिया. जबकि सरकारी एजेंसियां, अनाज को सीधे किसानों से खरीदने वाली थीं.

इस मामले के एक संदिग्ध आरोपी ने ये स्वीकार किया कि चावल मिल मालिकों ने इस तरह से प्रति क्विंटल लगभग 200 रुपए कमाए. ED ने अपने एक बयान में बताया कि कई चावल मिल मालिक, सालों से ये घोटाला कर रहे थे. बीते साल 14 अक्टूबर को इस कथित घोटाले के मामले में ED ने एक मिल मालिक बकीबुर रहमान को गिरफ्तार किया था. उसके बाद, इसी मामले में राज्य के वर्तमान वन मंत्री ज्योति प्रिया मलिक को भी गिरफ्तार किया गया था. जिस दौरान, राशन वितरण में अनियामितताएं हुईं, उस वक़्त तक ज्योति प्रिया मलिक ही राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री थे.

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