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वक्फ रजिस्ट्रेशन की लास्ट डेट गई, अब मुतवल्ली क्या करें? सरकार ने राहत और रास्ता दोनों बताए

आज, 5 दिसंबर को वक्फ संपत्ति दर्ज कराने की आखिरी तारीफ थी. पत्रकारों से बात करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि कई सांसदों, नेताओं और लोगों ने अंतिम तारीख बढ़ाने की मांग की थी.

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केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू. (PTI)

केंद्र सरकार अगले तीन महीनों तक वक्फ कानून के तहत UMEED पोर्टल पर अपनी संपत्तियां दर्ज कराने वाले मुतवल्लियों पर कोई जुर्माना या सख़्त कार्रवाई नहीं करेगी. यह घोषणा अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने की.

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शुक्रवार, 5 दिसंबर को पत्रकारों से बात करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि कई सांसदों, नेताओं और लोगों ने अंतिम तारीख बढ़ाने की मांग की थी. UMEED पोर्टल पर संपत्ति दर्ज करने की अंतिम तारीख 5 दिसंबर थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने की समयसीमा पूरी होने के बाद इस मांग को मानने से इनकार कर दिया. रिजिजू ने इस पर मुतवल्लियों से कहा कि वे ट्रिब्यूनल के पास जाएं, क्योंकि वक्फ (संशोधन) अधिनियम के तहत ट्रिब्यूनल को समयसीमा बढ़ाने का अधिकार है.

किरेन रिजिजू ने कहा,

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“वक्फ कानून बनाने के बाद हमने UMEED पोर्टल लॉन्च किया था और सभी वक्फ संपत्तियों को पोर्टल पर दर्ज कराने के लिए छह महीने का समय दिया गया था. आज आखिरी दिन है और लाखों संपत्तियां अब भी पंजीकृत नहीं हुई हैं. कई सांसद और समाज के लोग मुझसे मिलने आए और डेडलाइन बढ़ाने की मांग की. अभी तक 1.5 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियां UMEED पोर्टल पर दर्ज की जा चुकी हैं.”

अंतिम तारीख निकलने पर रिजिजू ने कहा,

“मैं सभी मुतवल्लियों को आश्वासन देता हूं कि अगले तीन महीनों तक हम कोई जुर्माना नहीं लगाएंगे और न ही कोई कठोर कदम उठाएंगे, अगर UMEED पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करते हैं. अगर आप रजिस्टर नहीं कर पा रहे हैं, तो मैं अनुरोध करता हूं कि ट्रिब्यूनल जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि छह महीने की समयसीमा पार होने के बाद तारीख नहीं बढ़ाई जा सकती, लेकिन ट्रिब्यूनल के पास इसे छह महीने तक बढ़ाने की शक्ति है.”

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रिजिजू ने जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार "अधिकतम राहत" देने की कोशिश करेगी, लेकिन वह भी कानून से बंधी हुई है. 

इससे पहले 1 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के तहत वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए दी गई छह महीने की समयसीमा बढ़ाने से संबंधित याचिकाओं को सुनने से इनकार कर दिया था. जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि इच्छुक लोग 2025 अधिनियम के अनुसार वक्फ ट्रिब्यूनल में आवेदन कर राहत मांग सकते हैं.

वीडियो: वक्फ पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 5 साल वाली शर्त खारिज

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