1 अप्रैल से E-Invoicing अनिवार्य, फर्जी बिल बनाने वालों की नींद उड़ी
20 करोड़ सालाना बिक्री पर ई-इनवॉइसिंग जरूरी, टैक्स चोरी थमेगी.
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जीएसटी की सांकेतिक तस्वीर (साभार:आजतक)
1 अप्रैल से यों तो कई तरह के वित्तीय नियमों में बदलाव होने जा रहे हैं. लेकिन एक नियम ने देश के लाखों छोटे और मझोले कारोबारियों की नींद उड़ा दी है. इस दिन से 20 करोड़ रुपये से ज्यादा टर्नओवर वाले दुकानदारों, कंपनियों या सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए ई-इनवॉइसिंग (E-Invoicing) अनिवार्य हो रही है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस (CBIC) की ओर से जारी सर्कुलर के मुताबिक 20 करोड़ रुपये सालाना यानी हर महीने औसतन 1 करोड़ 60 लाख रुपये की बिक्री करने वाले व्यापारियों को इलेक्ट्रॉनिक बिल जारी करना होगा. यहां इलेक्ट्रॉनिक बिल का मतलब महज कंप्यूटराइज्ड बिल नहीं, बल्कि एक ऐसा सिस्टम है जिसमें बिलिंग ऑनलाइन और रियल टाइम में होती है. यानी बिलिंग सीधे जीएसटी पोर्टल के मार्फत होगी. दूसरे शब्दों में कहें तो एक-एक ट्रांजैक्शन पर सरकार की नजर होगी. बोगस ट्रेडिंग और फेक बिलिंग की संभावना कम होगी. कुल मिलाकर बड़े पैमाने पर होने वाली टैक्स चोरियों पर लगाम कसेगी. लेकिन दूसरी तरफ कारोबारियों को इसके फायदे भी मिलेंगे. जीएसटी पोर्टल के जरिए बिलिंग होने से बायर्स और सेलर्स के आंकड़ों का मिलान (data matching) आसान होगा. बिलिंग में होने होने वाली त्रुटियों से बचा जा सकेगा. मिसमैचिंग की समस्या नहीं होने से टैक्स नोटिस मिलने या रिफंड में देरी की संभावना भी कम हो जाएगी. गौरतलब है कि 1 अक्टूबर 2020 से ई-इनवॉइसिंग की अनिवार्यता 500 करोड़ रुपये से ज्यादा टर्नओवर वालों के लिए लागू थी. फिर 1 जनवरी 2021 से इसका दायरा 100 करोड़ रुपये से ज्यादा टर्नओवर वालों तक बढ़ा दिया गया. 1 अप्रैल 2021 से सालाना 50 करोड़ रुपये से ज्यादा कारोबार वाले भी इसकी जद में आ गए. और अब 20 करोड़ रुपये से ज्यादा टर्नओवर वालों पर भी यह लागू हो रहा है. संभव है कि जल्द ही यह 5 करोड़ रुपये सालाना या इससे भी कम टर्नओवर वालों के लिए भी यह अनिवार्य हो जाए, क्योंकि जीएसटी का ढांचा ही ऑनलाइन टैक्स कंप्लायंस पर आधारित है. ई-इनवॉइसिंग की पूरी मुहिम और 1 अप्रैल से लागू होने वाले नियमों पर हमने एक्सपर्ट से बात की. (पूरा इंटरव्यू खर्चा-पानी और नीचे एम्बेडेड वीडियो में देखें.)
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