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दिव्या दत्ता यानी वो लड़की जिसका बदला लेने के लिए सलमान खान ने जान की बाज़ी लगा दी थी

इनकी डायरेक्टर ने किस करके बताया कि फिल्म में चूमने वाला सीन कैसे करना है.

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दिव्या दत्ता आने वाले दिनों में 'शीर कोरमा' नाम की फिल्म में स्वरा भास्कर और शबाना आज़मी के साथ नज़र आने वाली हैं.
दिव्या दत्ता. वो एक्ट्रेस जिन्हें सिर्फ एक्ट्रेस कहा जाना ही पसंद है. वो कैरेक्टर, साइड या मेथड एक्टर जैसी किसी चीज़ में विश्वास नहीं रखतीं. उन्हें ये चीज़ टाइपकास्ट जैसी लगती है, जो वो कभी हुई नहीं. उन्होंने अपने करियर में फिल्मी पंजाबी लड़की (वीर ज़ारा) से लेकर मुंहफट झाड़ूवाली (दिल्ली 6), दुष्ट प्रिंसिपल (चॉक एंड डस्टर), हद से ज़्यादा प्रेम करने वाली बहन (भाग मिल्खा भाग), वेश्या (मंटो) और पियक्कड़ महिला (ब्लैकमेल) तक का रोल किया है. ये सबकुछ लिखकर बताने का मतलब ये था कि इन्होंने एक जैसा कोई दूसरा रोल करने के लिए नहीं चुना. दिव्या को अपने करियर का पहला बड़ा ब्रेक सलमान खान के साथ मिला. लेकिन वो फिल्म उनकी 'मैंने प्यार किया' नहीं बन पाई. लेकिन इंट्रेस्टिंग बात ये कि दिव्या यहां तक पहुंचीं कैसे?
4 साल की उम्र में ठान लिया था कि एक्टर बनना है
दिव्या एक डॉक्टर फैमिली में पैदा हुई थीं. मां और पिता दोनों डॉक्टर थे. लेकिन जब दिव्या 7 साल की थीं, तभी उनके पिता की डेथ हो गई. हालांकि तब तक दिव्या ने ये तय कर लिया था कि उन्हें एक्टर ही बनना है. बचपन में वो बच्चन के गाने देखकर उनके स्टेप्स कॉपी किया करती थीं. जब कॉलेज में आईं तब पंजाब के ही एक लोकल चैनल के लिए मॉडलिंग करने लगीं. लेकिन अब पेशेंस जवाब दे रहा था. इसलिए सबकुछ छोड़-छोड़कर 15-16 साल की उम्र में मुंबई चली आईं. स्ट्रगल तो करना पड़ा लेकिन काम मिलने लगा. 1994 में दिव्या की पहली फिल्म 'इश्क में जीना इश्क में मरना' रिलीज़ हुई. फिल्म नहीं चली लेकिन दिव्या को ऑफर्स आते रहे.
दिव्या की पहली फिल्म 'इश्क में जीना इश्क में मरना' का पोस्टर. दूसरी तस्वीर में अपने को-एक्टर्स रवि सागर और राजू श्रीवास्तव के साथ दिव्या दत्ता.
दिव्या की पहली फिल्म 'इश्क में जीना इश्क में मरना' का पोस्टर. दूसरी तस्वीर में अपने को-एक्टर्स रवि सागर और राजू श्रीवास्तव के साथ दिव्या दत्ता.

बड़े ब्रेक के बावजूद करियर ढलान पर आ गया
1995 में दिव्या की दो फिल्में रिलीज़ हुईं और दोनों बड़े स्टार्स के साथ. पहली फिल्म थी 'सुरक्षा', जिसमें वो सुनील शेट्टी के साथ काम कर रही थीं. सुनील तब तक 'बलवान', 'मोहरा' और 'गोपी किशन' जैसी हिट फिल्में देकर एक्शन स्टार बन चुके थे. वहीं दिव्या की अगली फिल्म थी 'मैंने प्यार किया', 'हम आपके हैं कौन' और 'साजन' जैसी बड़ी हिट्स देकर नेक्स्ट जेन सुपरस्टार बन चुके सलमान खान के साथ 'वीरगती'. फिल्म में दिव्या ने सलमान की बहन का रोल किया था, जिसकी मौत का बदला लेने के लिए सलमान ने अपनी जान की बाज़ी लगा दी थी. खैर, तमाम हों-हों, पों-पों के बावजूद ये दोनों ही फिल्में टिकट खिड़की पर मुंह के बल गिर गईं.  इससे बाकी एक्टर्स को तो ज़्यादा फर्क नहीं पड़ा लेकिन दिव्या की मुश्किलें बढ़ गईं. उनका जो करियर ढंग से शुरू भी नहीं हुआ था, वो नीचे की ओर जाने लगा. दिव्या के रोल्स की लंबाई घटने लगी.
फिल्म 'वीरगति' के पोस्टर पर सलमान खान के साथ दिव्या दत्ता. दूसरी तस्वीर में दिव्या सलमान के साथ बतौर फैन फोटो खिंचवाती हुईं.
फिल्म 'वीरगति' के पोस्टर पर सलमान खान के साथ दिव्या दत्ता. दूसरी तस्वीर में इस फिल्म से कुछ साल पहले दिव्या सलमान के साथ बतौर फैन फोटो खिंचवाती हुईं.

जब दिव्या को किसिंग सिखाने के लिए, डायरेक्टर को किस करना पड़ा
इस लो फेज़ के दौरान दिव्या ने काम नहीं छोड़ा. वो 'छोटे सरकार' (1996), 'घरवाली बाहरवाली' और 'छोटे मियां बड़े मियां' (1998) जैसी फिल्मों में नज़र आती रहीं. 1998 में उन्हें एक इंग्लिश फिल्म ऑफर हुई. खुशवंत सिंह के नॉवल 'ट्रेन टू पाकिस्तान' पर पामेला रूक्स एक फिल्म बना रही थीं. इसमें दिव्या का किरदार एक वेश्या का था. इस फिल्म से जुड़ा एक मज़ेदार वाकया दिव्या ने द टेलीग्राफ को दिए एक इंटरव्यू में बताया था. उन्होंने बताया कि इस फिल्म में वो पहली बार ऑन स्क्रीन किसिंग करने जा रही थीं. सामने थे 52 साल के मोहन अगाशे. दिव्या ने पहले कभी किस नहीं किया था, इसलिए वो इस सीन से घबरा रही थीं. उन्हें कई कोशिशों में नाकाम होते देख फिल्म की डायरेक्टर पामेला इतनी चिढ़ गईं कि उन्होंने खुद मोहन को किस करके बताया कि ये सीन कैसे करना है.
'ट्रेन टू पाकिस्तान' के एक सीन में मोहन अगाशे के साथ किस करने से ठीक पहले दिव्या. दूसरी तरह फिल्म की डायरेक्टर पामेरा रूक्स.
'ट्रेन टू पाकिस्तान' के एक सीन में मोहन अगाशे के साथ किस करने से ठीक पहले दिव्या. दूसरी तरह फिल्म की डायरेक्टर पामेला रूक्स.

अपना टाइम आएगा
यही लाइन सोच-सोचकर दिव्या बस अच्छा काम करने पर फोकस कर रही थीं. 'ट्रेन टू पाकिस्तान' के बाद उनके खाते में आई पंजाबी फिल्म 'शहीद-ए-मोहब्बत बूटा सिंह' (1999). आज़ादी के दौर में बसी इस पंजाबी फिल्म में वो गुरदास मान की लीडिंग लेडी प्ले कर रही थीं. ये फिल्म और इसमें दिव्या का काम, दोनों सराहा गया. फिल्म नेशनल अवॉर्ड जीत गई और दिव्या लोगों की नज़र में आ गईं . आगे वो 'सुर', 'शक्ति' (2001) और 'बागबान' (2003) जैसी फिल्मों में दिखाई दीं. 'बागबान' उनके लिए बेहद खास फिल्म थी क्योंकि इसमें वो अपने आइडल अमिताभ बच्चन के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर कर रही थीं. लेकिन अंदर वाला फैन उमड़-घुमड़ के बाहर आए ही जा रहा था. फिल्म में उनका किरदार बच्चन की बहू का था, जो नहीं चाहती कि उसका ससुर उसके घर रहे. एक सीन में उन्हें अमिताभ बच्चन को फटकारना था. जो बच्चा, बच्चन के गानों पर नाचकर बड़ा हुआ हो, उसके लिए वो पहले सदी का महानायक है, को-एक्टर बाद में. कई रीटेक्स के बावजूद सीन कंविसिंग नहीं बन पा रहा था. अमिताभ इसके पीछे की वजह भांप गए. वो अगले दिन पर सेट पर दिव्या के लिए मिठाई लेकर आए. उनसे बातचीत की और उनका मन हल्का किया. इसके बाद दिव्या को समझ आया कि पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को कैसे अलग रखना है.
फिल्म 'बागबान' के एक सीन में अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी के साथ दिव्या दत्ता (हेमा के ठीक बगल में).
फिल्म 'बागबान' के एक सीन में अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी के साथ दिव्या दत्ता (हेमा के ठीक दाहिने).

जब शाहरुख ने कहा ''मैं नहीं रहूंगा, तो अपना ध्यान नहीं रखोगी?''
2004 में दिव्या अपने करियर की उस फिल्म में दिखीं, जो उन्हें कायदे से मेनस्ट्रीम में लेकर आई. फिल्म 'वीर ज़ारा' में वो एक बबली सी पंजाबी लड़की के किरदार में दिखाई दीं, जो वीर और ज़ारा को मिलाने के लिए बहुत सारे जतन करती है. दिव्या की शाहरुख के साथ (शक्ति के बाद) ये दूसरी फिल्म थी. फिल्म की शूटिंग के दौरान शाहरुख दिव्या का बहुत ख्याल रखते थे. एक्टिंग के गुर सिखाते. कुछ गलत करतीं तो समझाते. जब फिल्म की शूटिंग खत्म होने लगी, तब शाहरुख ने दिव्या को सलाह दी कि उन्हें अपना ख्याल रखना चाहिए. अगर दिव्या के शब्दों में इसे बयां करें, तो शाहरुख ने उन्हें कहा- ''मैं नहीं रहूंगा, तो अपना ध्यान नहीं रखोगी?'' इसे दिव्या एक लाइफ लेसन की तरह फॉलो करती हैं. 'वीर ज़ारा' के बाद दिव्या को काम मिलने लगा. आगे वो 'उमराव जान' (2006), 'अपने' (2007) 'वेलकम टू सज्जनपुर' (2008) और रितुपर्णो घोष की 'द लास्ट लीयर' (2007) में एक बार फिर बच्चन के साथ नज़र आईं.
'वीर ज़ारा' में दिव्या ने शब्बो नाम की एक लड़की का रोल किया था. फिल्म के एक सीन में प्रीति जिंटा और किरण खेर के साथ दिव्या.
'वीर ज़ारा' में दिव्या ने शब्बो नाम की एक लड़की का रोल किया था. फिल्म के एक सीन में प्रीति जिंटा और किरण खेर के साथ दिव्या.

करियर का टर्निंग पॉइंट
'हीरोइन' और 'स्पेशल 26' जैसी फिल्मों में काम करने के बाद वो राकेश ओमप्रकाश मेहरा की 'भाग मिल्खा भाग' (2013) में नज़र आईं. किरदार था मिल्खा सिंह की बहन इसरी कौर का. इस रोल ने दिव्या को वो दिया, जिसकी वो हकदार थीं. खूब सारी तारीफ और आम जनता के बीच एक मजबूत पहचान. इस फिल्म के लिए उन्हें आईफा समेत तीन बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के अवॉर्ड मिले. साथ ही ये दिव्या के करियर की (कमर्शियली) सबसे सफल फिल्म भी रही. दिव्या और मेहरा की एक साथ ये दूसरी फिल्म थी. इससे पहले मेहरा, दिव्या को 'दिल्ली 6' में एक मुंहफट झाड़ूवाली के रोल में कास्ट कर चुके थे.  2016 में वो तीन शानदार फिल्में- 'ट्रैफिक', 'चॉक एंड डस्टर' और 'इरादा' में नज़र आईं. 'इरादा' में परफॉर्मेंस के लिए दिव्या को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला. ये दिव्या का पहला नेशनल अवॉर्ड था. करियर के इस मुकाम पर पीछे मुड़कर देखने की ज़रूरत नहीं, यही बात कई स्टार्स का करियर डूबा चुकी है. लेकिन दिव्या यहां चालाकी बरतती हैं. वो पीछे मुड़कर अपना करियर ग्राफ देखती हैं और तय करती हैं कि अब उन्हें क्या नहीं करना है.
'भाग मिल्खा भाग' के एक सीन में फरहान अख्तर के साथ दिव्या दत्ता. दिव्या इसे फिल्म में अपना सबसे फेवरेट सीन बताती हैं.
'भाग मिल्खा भाग' के एक सीन में फरहान अख्तर के साथ दिव्या दत्ता. दिव्या इसे फिल्म में अपना सबसे फेवरेट सीन बताती हैं.

फिल्म के प्रीमियर से ठीक पहले मां गुज़र गईं
2016 में एक फिल्म आई थी 'चॉक एंड डस्टर', इसमें दिव्या के साथ जूही चावला और शबाना आज़मी ने काम किया था. इस फिल्म के प्रीमियर का इंविटेशन जूही चावला खुद लोगों को फोन करके दे रही थीं. लेकिन जब अगले दिन जनता थिएटर पहुंची, तो जूही खुद शो से नदारद थीं. फिल्म के इंटरवल में जब वो आईं, तब पता चला कि इस फिल्म में उनकी को-स्टार दिव्या दत्ता की मां गुज़र गईं. दिव्या और उनके भाई राहुल को उनकी मां ने अकेले ही बड़ा किया था. ऐसे में दिव्या अपनी मां से काफी क्लोज़ थीं. उनकी डेथ के बाद जब वो बहुत परेशान हो गईं, तब उन्होंने मां के साथ संबंधों पर एक किताब लिखी- 'मी एंड मां' (2017). बताया जाता है कि 2005 में दिव्या ने नेवी ऑफिसर संदीप शेरगिल से सगाई कर ली थी. लेकिन बाद में दोनों की कुछ खटपट हुई और ये सगाई टूट गई. हालांकि ये बस सुनी-सुनाई खबरें हैं, दिव्या ने कभी इन खबरों की पुष्टि भी नहीं की. न ही कभी खंडन किया.
अपनी मां नलिनी दत्ता के साथ दिव्या. और दूसरी तस्वीर में मां की डेथ के बाद लिखी किताब 'मी एंड मां' के अनावरण के मौके पर अमिताभ बच्चन के साथ.
मां नलिनी दत्ता के साथ दिव्या. दूसरी तस्वीर में मां की डेथ के बाद लिखी किताब 'मी एंड मां' के अनावरण के मौके पर बच्चन के साथ.

दिव्या आने वाले दिनों में कई एक्साइटिंग प्रोजेक्ट्स में नज़र आने वाली हैं. इनमें मलाला यूसुफजई की बायोपिक 'गुल मकई', अनुभव सिन्हा के डायरेक्शन में बनी सटायर कॉमेडी 'अभी तो पार्टी शुरू हुई है', नेशनल अवॉर्ड विनिंग डायरेक्टर नितिन कक्कड़ की 'राम सिंह चार्ली' और फराज़ अंसारी की 'शीर कोरमा' जैसी फिल्में शामिल हैं.


वीडियो देखें: किमी काटकर, जिन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म कर ली तो फिल्म लाइन ही छोड़ दी

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