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दीपा कर्मकार को स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री का तोहफ़ा!

स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री ने भी सोचा, लाओ इनको खुश कर दिया जाये.

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फोटो - thelallantop
दीपा कर्मकार. इस वक़्त रियो ओलम्पिक जो भी फॉलो कर रहा है, उसकी जुबान पे ये नाम है. दीपा कर्मकार. त्रिपुरा से आई एक लड़की. जिसके जिम में कभी बरसात का पानी घुस जाता था, तो कभी उसमें चूहे और कॉकरोच दौड़ा करते थे. लड़की खुद फ़्लैट-फुट थी, जिसे उसने साल भर की कड़ी मेहनत से सुधारा. यकीन मानिए, उसने अपने पैर के शेप को भी बदल दिया. आज वो दुनिया के उन पांच लोगों में से एक है, जो प्रोदुनोवा को एकदम ढंग से कर लेती हैं. दीपा ने ओलम्पिक की ओपेनिंग के दिन ही वॉल्ट फाइनल के लिए क्वालीफ़ाई कर लिया. और तब स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री को ये अहसास हुआ कि क्या कमाल हुआ है. और क्या कमाल हो सकता है. इसके साथ ही शुरू हुई एक कवायद. दीपा और उनके कोच बी.एस. नंदी ने मिनिस्ट्री से फिज़ियो सज्जाद मेरे को भी रियो भेजने को कहा था. लेकिन उन्हें मना कर दिया गया था. अब, जबकि दीपा मेडल से कुछ कलाबाजी दूर हैं, तब मिनिस्ट्री ने उनके फिज़ियो को रियो भेजने का फैसला किया है. ज़रूरी पेपरवर्क का काम शुरू किया गया. सज्जाद अली रिओ पहुंच चुके हैं. लेकिन उन्हें अभी खेल गाँव में जाने की अनुमति नहीं है. क्यूंकि उन्हें डेली पास मिला है, जो कि उन्हें उन जगहों पर जाने की अनुमति नहीं देता, जहां प्लेयर्स और ऑफिशियल रहते हैं. जल्द ही दीपा और उनके कोच के साथ दीपा के फिज़ियो भी मौजूद होंगे. कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान वॉल्ट फाइनल में दीपा के पैरों में भयानक सूजन थी. जिसके बावजूद उन्होंने प्रोदुनोवा के लिए दौड़ लगाई थी. अगर ऐसा ही कुछ 14 अगस्त को भी होता है, तो दीपा के साथ उनके फिज़ियो का होना काफ़ी मददगार होगा. दीपा के कोच ने वैसे भी दीपा को 'घर में कैद' करके रक्खा हुआ है. वो कतई नहीं चाहते हैं कि दीपा अपना फ़ोकस खोएं. दीपा को फ़ोन पर बात करने की भी इजाज़त नहीं है. वो सिर्फ अपने घरवालों से बात कर सकती हैं. उन्हें बर्थडे विशेज़ लेने को भी किसी से फ़ोन पर बात करने की मनाही थी. ऑल द बेस्ट, दीपा. :)