इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के तहत काम करने वाले संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN) ने मसक्यूलर बॉडी बनाने के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट लेने से मना किया है. साथ ही नमक और शुगर का सेवन सीमित करने को कहा है. NIN ने अल्ट्रा प्रोसेस्ड-फूड यानी औद्योगिक रूप से तैयार की गई खाने की चीजों से परहेज करने की सलाह दी है. ये भी कहा है कि पैकेट वाली खाने की कोई चीज खरीदते समय उसके फूड लेबल्स को चेक किया जाए. ये बातें NIN ने अपनी डाइटरी गाइडलाइन्स में कही हैं.
बॉडी बनाने के लिए 'प्रोटीन सप्लीमेंट' न लें, ICMR-NIN की नई हेल्थ गाइडलाइंस सभी को पढ़नी चाहिए
ICMR की गाइडलाइंस कहती हैं कि खाने में अच्छी क्वालिटी का प्रोटीन शामिल करना चाहिए. जैसे- कई तरह की दालें, राजमा, लोबिया, चना, दूध, मांस, मछली और अंडे प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं.

ICMR-NIN ने Dietary Guidelines For Indians-2024 जारी किया है. इसमें भारतीयों के खान-पान के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं. इसमें बताया गया है कि हेल्दी लाइफस्टाइल अपना कर समय से पहले होने वाली ज्यादातर मौतें रोकी जा सकती हैं, बहुत सी बीमारियां होने से रोकी जा सकती हैं. हेल्दी लाइफस्टाइल मतलब बैलेंस्ड डाइट यानी संतुलित खाना और फिजिकल एक्टिविटी.
खाने में क्या-क्या शामिल करना है?ICMR-NIN की डाइटरी गाइडलाइंस के मुताबिक खाने की प्लेट के आधे हिस्से में तरह-तरह की सब्जियां, खासकर हरी सब्जियां, फल और जड़ वाली चीजें होनी चाहिए. बाकी हिस्से में अनाज, दालें, मांस वाली चीजें, अंडे, मेवे, तिलहन और दूध या दही हों.
एक संतुलित आहार में कुल कैलोरी यानी ऊर्जा का 45 फीसदी हिस्सा अनाज से मिलना चाहिए. अलग-अलग तरह की दालें, बीन्स और मांस से 15 फीसदी तक कैलोरी मिलनी चाहिए. बाकी कैलोरी मेवों, सब्जियों, फलों और दूध से आनी चाहिए. दूसरे शब्दों में, कार्बोहाइड्रेट से कुल कैलोरी का लगभग 50%-55% हिस्सा, प्रोटीन से 10%-15% हिस्सा और वसा से 20%-30% हिस्सा सुनिश्चित करना चाहिए. वहीं शुगर का सेवन कुल एनर्जी इनटेक का 5 प्रतिशत से कम होना चाहिए.
ये भी पढ़ें- महिलाओं को चाहिए पुरुषों से ज्यादा प्रोटीन, डॉक्टर ने बताई वजह
डाइटरी गाइडलाइंस में बताया गया है कि दालों और मांस की सीमित उपलब्धता और ऊंची कीमत के कारण, भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ अनाज पर ज्यादा निर्भर है. नतीजतन ज्यादातर लोगों में जरूरी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (जैसे अमीनो एसिड और फैटी एसिड) और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी हो जाती है. इसी वजह से कुपोषण, मोटापा और स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं होती हैं.
जरूरी पोषक तत्वों की कमी के कारण कम उम्र में ही लोगों में इंसुलिन रेजिस्टेंस और इससे जुड़े डिसऑर्डर का खतरा बढ़ जाता है. ऐसा अनुमान है कि भारत में 56.4 फीसदी बीमारियां अनहेल्दी डाइट के कारण हैं. हेल्दी डाइट और फिजिकल एक्टिविटी से हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियां काफी हद तक कम की जा सकती हैं. इतना ही नहीं, अच्छे खान-पान और एक्सरसाइज से 80 फीसदी टाइप 2 डायबिटीज के मामलों को रोका जा सकता है.
गाइडलाइंस में नमक का सेवन सीमित करने, हाई फैट और हाई शुगर वाली चीजें कम करने की सलाह दी गई है. इसमें कहा गया है कि बॉडी मसल्स बनाने के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट नहीं लेना चाहिए. बड़ी मात्रा में लंबे समय तक प्रोटीन सप्लीमेंट लेना बोन मिनरल लॉस और किडनी डैमेज जैसे संभावित खतरों से जुड़ा है. इसलिए खाने में अच्छी क्वालिटी का प्रोटीन शामिल करना चाहिए. जैसे- कई तरह की दालें, राजमा, लोबिया, चना, दूध, मांस, मछली और अंडे प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं.
वीडियो: सेहत: प्रोटीन सप्लीमेंट और खाने से मिलने वाले प्रोटीन में फर्क क्या है?