The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

WhatsApp ने भारत से जाने की धमकी दी! क्या बात हो गई?

केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया था कि वॉट्सएप और फेसबुक बिजनेस या कॉमर्शियल कामों के लिए यूजर्स का डेटा बेचते हैं. इसलिए कानूनी तौर पर कंपनी ये दावा नहीं कर सकती है कि वो गोपनीयता की रक्षा करती है.

post-main-image
वॉट्सऐप ने कहा है कि वो अपने यूजर्स की गोपनीयता का उल्लंघन करने वाले नियमों का विरोध करने के लिए दुनियाभर के एक्सपर्ट के साथ चर्चा कर रहे हैं. (फोटो- AI)

WhatsApp के बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है और वो है कि हमें छोड़कर जाने की धमकी दे रहा है. उसने बाकायदा अदालत में ये कहा है. सबसे चर्चित मेसेजिंग प्लेटफॉर्म ने चेतावनी दी है कि अगर उसके एन्क्रिप्शन में सेंधमारी की कोशिश की गई तो भारत में अपनी सेवाएं बंद कर बोरिया-बिस्तर उठा लेगा (WhatsApp IT Rules Breaking encryption). वॉट्सऐप ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा है कि अगर उसे अपना मेसेज एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वो भारत में अपनी सर्विसेज़ बंद करके चला जाएगा. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 14 अगस्त के लिए निर्धारित की है.

यूज़र्स की प्राइवेसी खतरे में आ सकती है

दरअसल, मेटा के दो बड़े प्लैटफॉर्म वॉट्सऐप और फेसबुक ने नए संशोधित IT नियमों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद पिछले महीने ये याचिका दिल्ली HC में ट्रांसफर कर दी थी. हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कंपनी ने कहा कि नए नियमों से यूज़र्स की प्राइवेसी खतरे में आ सकती है. मामले की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच कर रही है.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार वॉट्सऐप की तरफ से एडवोकेट तेजस करिया ने दलीलें रखीं. वहीं सरकार की ओर से कीर्तिमान सिंह दलील रख रहे थे. दोनों पक्षों के बीच बहस के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि मामले में बीच का रास्ता निकालें. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 14 अगस्त को निर्धारित की है.

क्या थी दलीलें?

एडवोकेट तेजस करिया ने कहा कि IT नियम 2021 एन्क्रिप्शन के साथ यूजर्स की गोपनीयता को कमजोर करता है. ये भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है. करिया ने कहा कि दुनिया में कहीं और ऐसा कोई नियम नहीं है. ये नियम यूजर्स की गोपनीयता के खिलाफ है और नियम बिना किसी परामर्श के पेश किया गया था. वकील ने आगे कहा कि हमें पूरा डेटा रखना होगा. हमें नहीं पता कि किन मेसेज को सरकार मांग ले. इसका मतलब है कि करोड़ों मेसेज वर्षों तक स्टोर करने होंगे.

इससे पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया था कि वॉट्सऐप और फेसबुक बिजनेस या कॉमर्शियल कामों के लिए यूजर्स का डेटा बेचते हैं. इसलिए कानूनी तौर पर कंपनी ये दावा नहीं कर सकती है कि वो गोपनीयता की रक्षा करती है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश हुए एडवोकेट कीर्तिमान ने कहा कि इस गाइडलाइन के पीछे का विचार मेसेज के सोर्स का पता लगाना था. वैसे भी समय के अनुसार मेसेज को ट्रैक करने का कोई मैकेनिज्म होना ही चाहिए.

रिपोर्ट के अनुसार सरकार की तरफ से ये भी कहा गया कि अगर IT नियम 2021 लागू नहीं किए गए तो एजेंसियों को फर्जी मेसेज के सोर्स का पता लगाने में दिक्कत होगी. ऐसे मेसेज अन्य प्लेटफॉर्म्स में फैल जाएंगे, जिससे समाज में शांति-सद्भाव बिगड़ सकता है. सरकार के वकील ने कहा कि इंटरनेट ओपन होना चाहिए. सेफ और ट्रस्टेड होना चाहिए और प्लेटफॉर्म यूजर्स के प्रति जवाबदेह होने चाहिए. किसी को भी भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

मेसेज एन्क्रिप्शन से जुड़े इस पूरे मामले पर वॉट्सऐप ने कहा है कि वो अपने यूजर्स की गोपनीयता का उल्लंघन करने वाले नियमों का विरोध करने के लिए दुनियाभर के एक्सपर्ट के साथ चर्चा कर रहे हैं. वो भारत सरकार के साथ भी बीच का रास्ता निकालने के लिए बात कर रहे हैं.

क्या है एन्क्रिप्शन?
मेसेज एन्क्रिप्शन को आसान भाषा में समझें तो मान लीजिए राम को श्याम से कहना है कि जाओ दो आम तोड़कर लाओ. राम अगर ये बात सबके सामने कहे तो फिर कुछ छिपा हुआ नहीं रहेगा. और अगर यही बात राम एक कागज में लिखकर लिफ़ाफ़े में श्याम को देता है तो बात सिर्फ उन दोनों के बीच में रहेगी. यही लिफाफा एन्क्रिप्शन है.

एक यूजर का मेसेज प्लेन टेक्स्ट की जगह कोड के रूप में ट्रेवल करता है. इससे बीच में किसी को उसको पढ़ने का मौका नहीं मिलता. एक किस्म से कहें तो cipher या गुप्त लेखन.

अभी वॉट्सऐप में मेसेजिंग ऐसे ही होती है.

WhatsApp और उसकी पैरेंट कंपनी Facebook Inc (अब Meta) सिर्फ माध्यम का काम करती है. लेकिन 2021 Information Technology (IT) के तहत अगर उसको मैसेज डीक्रिप्ट करना पड़ा तो उसे हर मैसेज का रिकॉर्ड रखना होगा.

हर यूजर का एकदम पहले मेसेज से. करोड़ों मेसेज का सालों का रिकॉर्ड.

इसी को लेकर  WhatsApp और उसकी पैरेंट कंपनी Meta को दिक्कत है.

वीडियो: दिल्ली हाई कोर्ट से अरविंद केजरीवाल की याचिका खारिज हुई, अमित शाह ने क्या कह दिया?