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'कांग्रेस सोनिया गांधी से सहमत नहीं', अभिषेक मनु सिंघवी ने ये क्यों कहा?

सोनिया गांधी ने न्यायालय से गुजारिश की थी कि नलिनी के प्रति नरमी बरती जाए, जो कि गिरफ्तारी के वक्त गर्भवती थी.

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अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पार्टी सोनिया गांधी से सहमत नहीं है.

कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के 6 हत्यारों को रिहा करने के फैसले की आलोचना की है और इस पर गहरी नाराजगी जताई है. पार्टी ने कहा है कि सुपीम कोर्ट का ये फैसला उसके लिए किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है और ये पूरी तरह से गलत है. कांग्रेस ने ये भी कहा कि वो इस मामले में सोनिया गांधी की उस राय से सहमत नहीं हैं, जिसमें उन्होंने दोषियों को रिहा करने की बात की थी.

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शुक्रवार, 11 नवंबर को फैसले के बाद कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंधवी ने एक प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान कहा, 

‘सोनिया गांधी को ये अधिकार है कि वे अपने निजी विचार व्यक्ति करें. लेकिन गहरे सम्मान के साथ पार्टी इससे सहमत नहीं है और हमने एक पार्टी के रूप में अपनी राय पहले भी व्यक्त की थी. इस मामले में कांग्रेस मत केंद्र सरकार की राय के समान है. इस पर पार्टी सोनिया गांधी के राय से सहमत नहीं है. हमने पहले भी इस पर सहमति नहीं जताई थी.'

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सिंघवी ने कहा कि राजीव गांधी की हत्या ‘किसी भी अपराध की तरह नहीं थी, ये एक राष्ट्रीय मुद्दा है, कोई लोकल मर्डर नहीं.’ 

इसी तरह कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, 

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'पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बाकी हत्यारों को रिहा करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरी तरह से अस्वीकार्य और गलत है. कांग्रेस पार्टी इसकी स्पष्ट रूप से आलोचना करती है. ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया.'

कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने भी इस फैसले पर निराशा जाहिर की है. उन्होंने ट्वीट कर कहा,

'मामला आने पर आज केंद्र सरकार के वकील क्यों मौजूद नहीं थे? क्या नरेंद्र मोदी श्रीलंकाई अपराधियों का समर्थन करते हैं? इसका राष्ट्रीय सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ेगा मिस्टर मोदी? आप अपनी आंखें कैसे बंद कर सकते हैं और आतंकवादियों की मदद कैसे कर सकते हैं?'

राजीव गांधी के साथ इस घटना में मारे गए एक अन्य शख्स के बेटे अब्बास ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने इंडिया टुडे से कहा,

‘ये बहुत दुखद है. सबसे पहले पेरारीवलन को रिहा किया गया था और बड़ी मुश्किल से हमने इसे स्वीकार किया. लेकिन ये बहुत बुरा फैसला है और हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते. मैं एक पीड़ित हूं और मैंने विस्फोट में अपने पिता को खोया था. ये सबसे खराब फैसला है. इसी सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा दी थी, फिर उम्रकैद क्यों? उस दिन 11 निर्दोष तमिल मारे गए थे और इसमें मेरी मां भी शामिल थी. उन्हें क्यों रिहा किया गया? क्या पीड़ित के लिए कोई अधिकार नहीं है?’

मालूम हो कि 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में राजीव गांधी की हत्या की गई थी. LTTE संगठन की एक महिला आत्मघाती हमलावर ने इस घटना को अंजाम दिया था. इस मामले में कुल 7 दोषियों को मृत्युदंड की सजा दी गई थी.

हालांकि राजीव गांधी की पत्नी और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के हस्तक्षेप पर नलिनी श्रीहरन की सजा को घटाकर उम्रकैद कर दिया गया था. इसके बाद साल 2008 में तमिलनाडु के वेल्लोर जेल में राजीव गांधी की बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा ने नलिनी से मुलाकात की थी.

इसके बाद साल 2014 में बाकी के 6 दोषियों की भी सजा कम कर दी गई थी. उसी साल तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने सभी दोषियों को रिहा करने की प्रक्रिया शुरु की थी.

मई 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने एक दोषी एजी पेरारीवलन को रिहा कर दिया था. इसी आधार पर नलिनी समेत अन्य दोषियों ने भी अदालत का रुख किया. सोनिया गांधी ने न्यायालय से गुजारिश की थी कि नलिनी के प्रति नरमी बरती जाए, जो कि गिरफ्तारी के वक्त गर्भवती थी.

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