राजस्थान में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लेकर शुरू हुआ हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है (Congress MLA Protest). दरअसल, 21 फरवरी को विधानसभा में BJP नेता अविनाश गहलोत ने इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) पर टिप्पणी की थी. उन्होंने प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस की तरफ इशारा करते कहा था कि 2023-24 के बजट में भी हमेशा की तरह आपने (कांग्रेस ने) योजना का नाम अपनी 'दादी' इंदिरा गांधी के नाम पर रखा है. इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया. 24 फरवरी विधानसभा का घेराव करने जा रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की भी हुई.
'आपने तो मेरे पोते को भी नहीं छोड़ा...' जब राहुल गांधी को लेकर इंदिरा और राम विलास पासवान में हो गई थी तीखी बहस!
Congress MLA Protest: Rajastha में BJP नेता की Indira Gandhi पर टिप्पणी के बाद शुरू हुआ हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक बार इसी तरह ‘नाम’ को लेकर इंदिरा गांधी और नेता Ram Vilas Paswan आमने-सामने आ गए थे. इसके बाद दोनों की खूब तीखी नोक-झोंक हुई. क्या हुआ था?
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आपको बता दें कि एक बार इसी तरह ‘नाम’ को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और नेता राम विलास पासवान आमने-सामने आ गए थे. इसके बाद दोनों की खूब तीखी नोक-झोंक हुई. क्या हुआ था?
संसद में जमकर बरसे थे पासवानरामविलास के राजनीतिक जीवन की शुरूआत जे.पी. आंदोलन से ही शुरू हुई थी. इमरजेंसी के बाद पूरे देश में PM इंदिरा गांधी के खिलाफ आंदोलन हो रहे थे. इसके बाद 1977 में चुनाव हुए और पासवान हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनकर संसद पहुंचे. केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनी जो ज्यादा दिन तक नहीं चली. 1980 में फिर चुनाव हुए और पासवान एक बार फिर हाजीपुर से जीतकर संसद पहुंचे, लेकिन केंद्र में वापसी हुई इंदिरा गांधी की.

2020 में पेंगुइन प्रकाशन से आई राम विलास पासवान की जीवनी में प्रदीप श्रीवास्तव ने इस घटना का जिक्र किया है. इस किताब का नाम है- ‘राम विलास पासवान: संकल्प, साहस और संघर्ष’. प्रदीप श्रीवास्तव लिखते हैं कि 1984 में इंदिरा गांधी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया. तब लोकसभा अध्यक्ष थे- बलराम जाखड़. रामविलास पासवान ने उनसे अनुमति मांगी और सदन में बोलना शुरू किया. फिर उन्होंने इंदिरा सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना की. इस दौरान उन्होंने कुछ ऐसा बोल दिया जिससे इंदिरा गांधी नाराज हो गईं.
'आपने तो पोते को भी नहीं छोड़ा…’प्रदीप श्रीवास्तव अपनी किताब में लिखते हैं कि अपने भाषण के दौरान, पासवान ने कहा,
‘इंदिरा जी जब झंडा फहरा रही थीं तो उन्होंने कहा था कि उनका पूरा परिवार देश के प्रति समर्पित है. यह सच है. संसद के बाहर नारा लगता है कि देश की नेता इंदिरा गांधी, युवा का नेता राजीव गांधी, महिलाओं की नेता मेनका गांधी और बच्चों के नेता राहुल गांधी, भाड़ में जाए महात्मा गांधी.’
इसके बाद गुस्से में पलटकर इंदिरा गांधी ने जवाब दिया था,
‘आपने तो मेरे पोते को भी नहीं छोड़ा.’
तब राम विलास पासवान ने इसके जवाब में कहा था, ‘मैडम आपका पोता कोई मामूली बच्चा नहीं है.’
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गाली देने में मजा कैसे आएगा…हालांकि, इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिर गया. लोकसभा की कार्यवाही देर तक चलने की वजह से सांसदों के खाने का इंतजाम संसद भवन में ही किया गया. पासवान अपने सांसदों के साथ गलियारे में खड़े हुए थे तभी अचानक इंदिरा गांधी भी ऊपर आईं. इंदिरा गांधी के सम्मान में सभी सांसद रुक गए और वह जब पासवान के पास आईं तो कहा, ‘आइए चलिए. कहां जा रहे हैं?’ पासवान ने कहा, ‘घर जा रहा हूं. कुछ मेहमान आए हैं.’ इंदिरा गांधी ये बात सुनने के बाद रुकीं. इंदिरा गांधी ने राम विलास पासवान को कहा, ‘चलिए पहले खाना खा लीजिए. खाएंगे नहीं तो गाली देने में मजा कैसे आएगा.' इंदिरा और रामविलास का वो किस्सा आज भी दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में याद किया जाता है.
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