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8 साल कॉलेज साफ किया, 54 की उम्र में बन गया इंजीनियर

कारोबार ठप होने से वो दिवालिया हो गया था. सफाई का काम करना पड़ा. फिर उसी कॉलेज में पढ़कर इंजीनियर बन गया.

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symbolic image. Reuters
मेहनत की बातें तो सब करते हैं. लेकिन आज तुम्हें ऐसे शख्स से मिलाते हैं, जिससे पता चलेगा कि मेहनत किसे कहते हैं ? लगन क्या चीज होती है और सपनों को कैसे पंख दिए जाते हैं ? कहानी अमेरिका की है. 54 साल के एक बुज़ुर्ग सफाईकर्मी हैं. पिछले 8 साल से सफाई कर रहे हैं एक इंस्टिट्यूट की. सफाई करते-करते वो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर लेते हैं. माइकल वौद्रेउइल वोर्सेस्टर पॉलिटेक्निक इंस्टिट्यूट में सफाई करते थे. आठ साल से सफाई कर रहे थे. आठ साल बाद वही हाथ इंजीनियरिंग की डिग्री लेते हैं, जिन्होंने इंस्टिट्यूट को चकमक रखा. 2008 से पहले माइकल एक कामयाब ठेकेदार थे. किस्मत पलटी खाती है. आर्थिक मुसीबतें आती हैं और कारोबार खत्म हो जाता है. माइकल दिवालिया हो गए लेकिन हिम्मत नहीं हारी. नौकरी तलाशने निकले तो इंस्टिट्यूट में सफाई करने का काम मिला. फिर कई साल बाद उन्हें इंस्टिट्यूट से पढ़ाई करने का ऑफर मिला. वो भी फ्री में. उन्होंने ये ऑफर कुबूल कर लिया. दिन में पढ़ाई करना और रात को इंस्टिट्यूट की सफाई करना उनका रुटीन हो गया. 14 मई 2016 को उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर ली.
माइकल की कामयाबी उन लोगों के लिए नजीर है, जो बात बात पर सहूलियतें न होने का हवाला देते हैं और अपने पेरेंट्स को परेशान करते हैं. इनसे सीख लो. मेहनत सबसे बड़ी चीज होती है.

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