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CJI चंद्रचूड़ को पहले केस के लिए फीस में मिले थे 4 ‘गोल्ड मोहर’

Supreme Court में एक मामले की सुनवाई चल रही थी. बताया जा रहा है कि CJI DY Chandrachud ने अपने पहले केस का एक किस्सा सुनाया. जिसमें उनकी पहली फीस का भी जिक्र था (CJI first case fee).

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बताया जा रहा है कि बात 1986 की है (Image: India Today)

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) अपने फैसलों के इतर भी खबरों में बने रहते हैं. चाहे वो कोर्ट (Supreme court) में युवा वकीलों के लिए स्टूल मंगवाना हो, या फिर खुद बैठकर स्टूल की जांच करना. हाल ही में वो एक कहानी की वजह से चर्चा में हैं. कहानी उनकी पहली फीस की (first case fee). जब एक मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने अपने पहले केस की फीस बताई.

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NDTV की खबर के मुताबिक बार काउंसिल में नामांकन (एनरोल) करने की फीस के मामले में सुनवाई हो रही थी. तब CJI ने अपने करियर के शुरुआती दिनों का एक किस्सा साझा किया. बताया जा रहा है कि बात 1986 की है. जब CJI चंद्रचूड़ हार्वर्ड से पढ़ाई करके वापस लौटे थे. वापस आने के बाद वो बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे थे. जब उनका पहला केस उन्हें मिला. जो जस्टिस सुजाता मनोहर के सामने था. जिसके लिए उन्हें 4 गोल्ड मोहरें या 60 रुपए की फीस मिली थी.

उस वक्त फीस का था अलग चलन

किस्से में एक दिलचस्प बात ये बताई जा रही है कि उस वक्त फीस मांगने का थोड़ा अलग चलन था. जो अंग्रेजों के जमाने का था. जिसमें वकीलों को अपने मुव्वकिलों की ओर से फाइल दी जाती थी. तो उस ब्रीफिंग फाइल में हरे रंग का एक डॉकेट होता था. जिसमें फीस लिखने की खाली जगह रहती थी. बताया जा रहा है कि उस में रुपयों की जगह गोल्ड मोहर यानी GM का जिक्र रहता था. और वकील इसी में अपनी फीस लिखा करते थे.

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NDTV के मुताबिक बॉम्बे हाईकोर्ट में उस समय एक गोल्ड मोहर को 15 रुपए समझा जाता था. जब CJI को अपनी फीस लिखनी थी तो उन्होंने उसमें 4 GM लिखा. मतलब कुल 60 रुपये की फीस. ये चलन करीब 25 साल पहले तक था, ऐसा बताया जाता है. वहीं कलकत्ता हाईकोर्ट में भी ये चलन था. उस वक्त कोलकाता मेंं एक गोल्ड मोहर की कीमत 16 रुपये बताई जाती है.

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