CJI चंद्रचूड़ ने कोर्ट में मंगाया स्टूल और जाकर बैठ गए, Single Malt Whiskey वाले मामले पर बहस चल रही थी
CJI DY Chandrachud ने केंद्र की तरफ से दलील दे रहे Solicitor General Tushar Mehta को बीच बहस में रोक दिया. लंच बाद कोर्ट में ऐसा कुछ हुआ जिसे देखकर Junior Advocates का दिल भर आया.
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वो सिंगल मॉल्ट व्हिस्की (Single Malt Whiskey) वाला मामला याद है. मतलब वो केस जिसमें औद्योगिक शराब पर कंट्रोल को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही है. अब उसी मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कुछ ऐसा कर दिया, जिसे देखकर जूनियर वकीलों का दिल भर आया. CJI जूनियर वकीलों के लिए मंगाई गई स्टूल पर जा बैठे. ये चेक करने के लिए की इन पर लंबे समय तक बैठना आरामदायक है भी या नहीं. ये स्टूल भी मुख्य न्यायाधीश ने ही कोर्ट में लगाने का आदेश दिया है. ताकि अपने सीनियर के पीछे घंटों खड़े रहने वाले जूनियर्स को राहत मिल सके.
दरअसल औद्योगिक शराब वाले में मामले पर सुनवाई हो रही थी. केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) दलीलें दे रहे थे. तभी CJI चंद्रचूड़ ने बीच बहस में उन्हें रोक दिया. फिर CJI ने कहा कि
मैं एक बात गौर करता रहा हूं, हमारे युवा जूनियर्स दिन-ब-दिन हाथों में लैपटॉप लेकर खड़े रहते हैं.
NDTV की खबर के मुताबिक इसके बाद CJI ने ये भी कहा कि उन्होंने कोर्ट मास्टर से लंच के समय पीछे स्टूल लगाने के लिए कहा है. ताकि वो (युवा वकील) वहां बैठ सकें. जिस पर सॉलिसिटर ने कहा कि वह भी इस मामले को देखेंगे.
कोर्ट रूम में किए गए CJI के सुझाए बदलावलंच ब्रेक हुआ. सभी लंच करके जब वापस आए तो देखा कि कोर्ट रूम में स्टूल लगाए जा चुके थे. खबरों की मानें तो लंच ब्रेक में CJI ने सबसे पहले स्टूल लगाने के लिए कहा था. ताकि युवा वकील उनका इस्तेमाल कर सकें.
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मुख्य न्यायाधीश ने खुद जांचे स्टूलNDTV की खबर के मुताबिक इसके बाद CJI ने खुद बैठकर स्टूल की जांच भी की. दरअसल वो डायस पर जाने के बजाए पहले वकीलों की जगह पहुंचे. फिर देखा कि स्टूलों में बैठने पर वकीलों को समस्या तो नहीं होगी. सुनिश्चित किया कि वो केस की सुनवाई को देख पाएं. साथ ही उन्हें SG की मदद करने में कोई दिक्कत न हो.
मामले पर SG तुषार मेहता ने मीडिया को बताया कि सीजेआई उदारता के प्रतीक हैं. उनका ये कदम अभूतपूर्व है. सभी अदालतों को इसका पालन करना चाहिए.
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