देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा है कि अगर किसी जज को रिटायरमेंट के बाद पॉलिटिक्स जॉइन करनी है तो ऐसा करने से पहले उसे थोड़ा समय देना चाहिए. उन्होंने कहा कि जजों को पॉलिटिक्स जॉइन करनी है या नहीं, ये अलग मामला है. एक तरह से निजी मामला है.
रिटायरमेंट के बाद पॉलिटिक्स में जाने वाले जजों को CJI चंद्रचूड़ की ये बात जरूर सुननी चाहिए!
CJI Chandrachud ने एक इंटरव्यू दिया है. इस इंटरव्यू में उन्होंने कई सारे मुद्दों पर बात की. इन्हीं में से एक मुद्दा जजों के रिटायरमेंट के बाद पॉलिटिक्स जॉइन करने का था.
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CJI चंद्रचूड़ ने ये बातें दैनिक भास्कर को दिए गए एक इंटरव्यू में कहीं. उनसे सवाल पूछा गया था कि क्या जजों को रिटायरमेंट के तुरंत बाद राजनीतिक पद स्वीकार करने चाहिए? क्या इससे उनकी निष्पक्ष जज होने की छवि प्रभावित नहीं होती है?
इधर, CJI ने कहा कि एक बार जब कोई जज नियुक्त हो जाता है तो वो उम्रभर जज रहता है. चाहे भले वो कोर्ट में काम कर रहा हो, या रिटायर हो चुका हो. जब कोई सामान्य आदमी आपको देखता है तो यह सोचता है कि आप जज ही हैं.
CJI ने आगे कहा कि जज की जो बोलचाल है, व्यवहार है, रिटायर होने के बाद भी वैसी ही होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम कहते हैं कि न्याय न केवल होना चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए. ऐसे में मान लीजिए कि आज जज साहब कोर्ट में थे. कल रिटायर होकर उन्होंने राजनीतिक पार्टी जॉइन कर ली, तो एक आम आदमी क्या सोचेगा?
इस दौरान CJI से और भी सवाल किए गए. उनसे पूछा गया कि कोर्ट की लंबी छुट्टियों पर अक्सर सवाल उठते हैं. क्या लंबी छुट्टियां होनी चाहिए? जवाब में CJI ने कहा कि कोर्ट से शाम 4 बजे जब हम उठते हैं, तब काम शुरू होता है. सोमवार या शुक्रवार को हर बेंच के सामने 60-70 मामले आते हैं. लोगों को लगता है कि मामला दो मिनट सुना और निपटारा हो गया. दो या पांच मिनट में डॉयलॉग करने के लिए भी हर जज एक केस को आधा घंटा और बड़े मामले में 3 घंटे तक पढ़ता है.
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CJI ने आगे कहा कि शनिवार-रविवार को जज पेंडिंग फैसले लिखते हैं. रविवार को सोमवार के लिस्ट मामले पढ़ते हैं. सफर में भी पढ़ते रहते हैं. उन्होंने कहा कि 6 सप्ताह की छुट्टियों में भी इस साल सुप्रीम कोर्ट की 21 बेंच काम कर रही थीं. चार हजार मामलों की सुनवाई हुई और 1170 मामलों को निपटारा हुआ.
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