चीन (China) ने पाकिस्तान (Pakistan) में अपने एक अहम प्रोजेक्ट से अपना हाथ पीछे खींच लिया है. इसके बाद, पाकिस्तान ने अपने रेलवे नेटवर्क के इस बड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए अब एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) का रुख किया है. ये वही प्रोजेक्ट है जिसे चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का केंद्र माना जा रहा था.
'दोस्ती अपनी जगह, पैसे अपनी जगह', पाकिस्तान में इस बड़े प्रोजेक्ट में निवेश से पीछे हटा चीन
ML-1 प्रोजेक्ट से अलग होने का फैसला China ने अचानक नहीं लिया. इस परियोजना की वित्तीय स्थिति को लेकर चीन की चिंताएं बढ़ रही थीं. खासकर Pakistan की बिगड़ती वित्तीय स्थिति और कर्ज चुकाने में उसकी कठिनाइयों को लेकर.


इस नई जानकारी से CPEC की मूल योजना में एक बड़े बदलाव का संकेत मिलता है. इकॉनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, शुरुआत में चीन ने पाकिस्तान में ऊर्जा और ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगभग 60 बिलियन डॉलर (लगभग 5.28 लाख करोड़ रुपये) निवेश का वादा किया था. इनमें सबसे बड़ा और अहम प्रोजेक्ट था, ML-1 रेलवे अपग्रेड, जो कराची से पेशावर तक करीब 1,800 किलोमीटर लंबा है.
इसे पूरे CPEC का सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट माना गया था. लेकिन लगभग 10 साल की बातचीत के बाद भी इसकी फंडिंग शुरू नहीं हो पाई. अब संभावना है कि ADB इसमें पैसा लगाएगा. पहली बार पाकिस्तान किसी बहुपक्षीय बैंक (कई सदस्य देशों द्वारा स्थापित) को उस प्रोजेक्ट की कमान सौंप रहा है, जिसे कभी चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल का फ्लैगशिप प्रोजेक्ट कहा जाता था.
रिपोर्ट है कि ML-1 प्रोजेक्ट से अलग होने का फैसला चीन ने अचानक नहीं लिया. इस परियोजना की वित्तीय स्थिति को लेकर चीन की चिंताएं बढ़ रही थीं. खासकर पाकिस्तान की बिगड़ती वित्तीय स्थिति और कर्ज चुकाने में उसकी कठिनाइयों को लेकर. चीन की चिंता पाकिस्तान के बिजली सेक्टर को लेकर भी है, जहां चीनी कंपनियां पहले ही अरबों का निवेश कर चुकी हैं. चीन उन देशों में बड़े पैमाने पर निवेश से पीछे हट रहा है, जहां से पैसे वापस आने को लेकर बहुत ज्यादा जोखिम हैं.
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CPEC प्रोजेक्ट से चीन के बाहर निकलने का क्या मतलब?चीन के पीछे हटने से सिर्फ वित्तीय रूप से ही नहीं, बल्कि जियोपॉलिटिकल मैसेज भी मिलता है. एक तरफ जहां चीन और पाकिस्तान अपनी दोस्ती दिखाते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ जब पैसों की बात आती है, तो इस मित्रता की सीमाएं दिख जाती हैं.
ML-1 प्रोजेक्ट से चीन का बाहर निकलना CPEC के लिए खतरे की घंटी है. पिछले कुछ सालों में इसकी गति धीमी हुई है. 2015 से 2019 के बीच इसमें तेजी रही. राजमार्गों, बिजली संयंत्रों और बंदरगाहों का निर्माण किया गया. अंतिम प्रमुख CPEC प्रोजेक्ट, ग्वादर ईस्ट बे एक्सप्रेसवे, 2022 में पूरी हुई. इसके बाद से ही CPEC की प्रगति धीमी हो गई. चीनी बिजली कंपनियों के लिए पाकिस्तान से बकाया का भुगतान न होना, एक बड़ी समस्या बन गई है.
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