The Lallantop

चंद्रयान 3 के '15 minutes of terror' से गुजरने की सांसें थमा देने वाली कहानी

2019 में इन्हीं 15 मिनटों के दौरान चंद्रयान-2 से संपर्क टूट गया था. जानें इस बार चंद्रयान-3 ने ये वक्त कैसे पार किया.

Advertisement
post-main-image
लाइव स्क्रीन पर इसरो ने लैंडर के उतरने की प्रक्रिया के आंकड़े दिए (फोटोसोर्स- स्क्रीनग्रैब इसरो)

Chandrayaan 3 के लैंडर ने चांद के साउथ पोलर रीजन पर सॉफ्ट लैंडिंग (Vikram lander successful soft landing) कर ली है. ये पल देश के लिए ऐतिहासिक है. साउथ पोलर रीजन पर अपना स्पेसक्राफ्ट उतारने वाला भारत पहला देश बन गया है. लैंडिंग के लिए सबसे मुश्किल आख़िरी के 15 मिनट थे. इन्हें ‘15 मिनट्स ऑफ़ टेरर’ कहा जा रहा था. चंद्रयान-2 के वक़्त इन्हीं 15 मिनटों में गड़बड़ी आई थी. लेकिन इस बार कोई गलती नहीं हुई. इस दफा देश के वैज्ञानिकों ने चांद पर अपनी प्रतिभा का झंडा गाड़ दिया है.

Advertisement

आपको बताते हैं आख़िरी के इन 15 मिनटों में क्या-क्या हुआ?

रफ ब्रेकिंग फेज़

ये चांद पर लैंडर के उतरने की प्रक्रिया का पहला चरण था. जैसा ISRO के कमांड सेंटर ने तय किया था, लैंडिंग की प्रक्रिया 30 किमी की ऊंचाई से शुरू हुई. इस वक़्त लैंडर की होरिजोंटल विलॉसिटी 1.68 किमी/सेकंड और वर्टिकल विलॉसिटी जीरो थी. लैंडर इस वक़्त नीचे नहीं उतर रहा था. इसके बाद रफ ब्रेकिंग फेज़ शुरू हुआ. इस फेज़ में 690 सेकंड के वक़्त में लैंडर की होरिजोंटल विलॉसिटी को कम करके 358 मीटर/प्रति सेकंड तक लाया गया. और लैंडर की वर्टिकल विलॉसिटी 61 मीटर प्रति सेकंड हो गई. माने अब लैंडर चांद पर उतरने लगा था. इन 690 सेकंड में लैंडर 30 किमी की ऊंचाई से 7.42 किमी की ऊंचाई तक आ गया. चूंकि होरिजोंटल विलॉसिटी अभी भी थी. इसलिए इस दौरान लैंडर ने चांद के समांतर लैंडिंग वाली जगह की तरफ 713.5 किमी की दूरी तय की.

Advertisement

इसके बाद शुरू हुआ…

एल्टीट्यूड होल्ड फेज़

7.42 किमी की ऊंचाई पर लैंडर, करीब 10 सेकंड तक इसी फेज़ में रहा. माने थोड़ी देर लैंडर, इसी एक समान ऊंचाई पर बना रहा. लेकिन इस वक़्त में लैंडर ने 3.48 किमी की दूरी तय की और होरिजोंटल से वर्टिकल पोजीशन में आया. माने खड़ी स्थिति में. इसके बाद ऊंचाई कुछ और कम होकर 6.8 किमी हुई. जबकि होरिजोंटल विलॉसिटी घटकर 336 मीटर/सेकंड और वर्टिकल विलॉसिटी घटकर 59 मीटर/सेकंड हुई. ये सभी आंकड़े, ISRO के कंट्रोल सेंटर की स्क्रीन पर दिखाए जा रहे थे.

इसके बाद शुरू हुई फाइन ब्रेकिंग फेज़.

Advertisement
फाइन ब्रेकिंग फेज़

ये लैंडिंग की प्रक्रिया का तीसरा चरण था जो करीब 175  सेकंड तक चला. इस दौरान लैंडर पूरी तरह वर्टिकल हो गया. साथ ही लैंडिंग साइट की तरफ आख़िरी 28.52 किलोमीटर की दूरी और तय की. इस वक़्त तक इसकी चांद की सतह से ऊंचाई मात्र 800 से 1000 मीटर की बची, और स्पीड लगभग जीरो हो चुकी थी. इसके बाद आख़िरी फेज यानी टर्मिनल डिसेंट फेज़ में लैंडर ने नीचे उतरना शुरू किया. कुछ इंस्ट्रूमेंट्स जैसे सेन्सर्स वगैरह की जांच की गई. 150 मीटर की ऊंचाई पर चांद की सतह पर मौजूद संभावित खतरों की जांच की गई. सब कुछ सही-सलामत देखते हुए लैंडर ने आख़िरकार चांद की सतह पर धीरे से कदम जमा दिए. तय वक़्त 6 बजकर 4 मिनट पर.

देश- दुनिया ने ISRO के वैज्ञानिकों को उनकी इस कामयाबी पर बधाई दी है.

Advertisement