चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan 3 Mission) की हर तरफ चर्चा हो रही है. कब, क्या और कैसे होने वाला है, इसको लेकर तमाम जानकारियां सामने आ रही हैं. लेकिन मिशन से जुड़ीं बेसिक चीजों की जानकारी कम है. जैसे कि ऑर्बिटर क्या होता है? लैंडर क्या करता है? इस तरह के टेक्निकल टर्म्स के बारे में आसान भाषा में समझ लेते हैं.
वो तीन चीजें क्या हैं जिनके बिना चंद्रयान 3 चांद तक नहीं पहुंच पाएगा?
चंद्रयान 3 बस चांद पर लैंड ही होने वाला है. इस बीच मिशन से जुड़ीं कुछ बेसिक जानकारियां जान लीजिए.

पहले तो ये जान लें कि चंद्रयान-3 मिशन का नाम है. किसी रॉकेट या स्पेसक्राफ्ट का नहीं. इसके मुख्य तौर पर तीन हिस्से हैं. लैंडर, रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल. इन्हें LVM-3 लॉन्चर यानी रॉकेट के जरिए चांद की तरफ भेजा गया है. मकसद है कि हम चांद के लूनर साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग कर लें, ताकि वहां की जरूरी डीटेल मिल सकें.
लैंडरलैंडर एक स्पेसक्राफ्ट होता है, जो किसी दूसरे ग्रह या चांद की सतह पर उतरता है. फिर वहीं रुका रहता है. ये पिरामिड जैसी शेप का होता है. हल्का लेकिन मजबूत. इसके अंदर ही रोवर को रखा जाता है. ये एक प्रोटेक्टिव शील्ड की तरह है जो लैंडिंग के वक्त रोवर को झटके से बचाता है.
अब एक जगह पर कोई चीज रुकी रहे, तो रिसर्च कैसे होगी? उसके लिए इधर-उधर जाना पड़ेगा. तब काम में आता है रोवर.

रोवर एक पहिए वाली डिवाइस या व्हीकल है, जो दूसरे ग्रह या चांद की सतह पर एक जगह से दूसरी जगह जा सकती हैं. इसका काम होता है इधर-उधर जाकर जगह को एक्सप्लोर करना. रीसर्च करना. यानि पहले लैंडर ने लैंड किया फिर उसमें से रोवर निकला और खोज के लिए चल पड़ा.
कुछ रोवर्स को इंसानों के चलाने के लिए डिजाइन किया जाता है. तब ये एस्ट्रोनॉट के लिए एक गाड़ी की तरह काम करता है. बाकी मौकों पर ये रोबोट की तरह खुद ही इधर-उधर जाता है. चंद्रयान 3 में कोई इंसान नहीं जा रहा है, इसलिए रोवर पूरी तरह से रोबोटिक बनाया गया है. चंद्रयान 3 का रोवर इस बात की खोज करेगा कि चांद के लूनर साउथ पोल वाले हिस्से में उसे क्या-क्या खनिज या पानी वगैरह मिल सकता है. फिर रोवर जानकारी जुटाकर भेजता है ऑर्बिटर को.

ऑर्बिटर वो स्पेसक्राफ्ट है जिसे दूसरे ग्रह या चांद की ऑर्बिट (कक्षा) में भेजने के लिए डिजाइन किया जाता है. ये लैंड नहीं करता. बस ऑर्बिट में घूमता रहता है. इसका काम होता है लैंडर या रोवर से संपर्क साधना. ये एंटीना की तरह काम करता है.
जान लें कि चंद्रयान-2 वाला ऑर्बिटर अभी भी चांद के ऑर्बिट में घूम रहा है. इसलिए चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. चंद्रयान-2 वाले ऑर्बिटर और चंद्रयान-3 के लैंडर के बीच कनेक्शन बन गया है.

प्रोपल्शन मॉड्यूल वो है जो लैंडर और रोवर को चंद्रमा तक ले जाएगा और फिर ऑर्बिटर की तरह ही काम करेगा. लैंडर और रोवर से कम्युनिकेशन बनाए रखने के लिए ऑर्बिट में चक्कर लगाता रहेगा.

इस फोटो में साफ देख सकते हैं कि उपर लैंडर है. उसके अंदर रोवर रखा रहता है. नीचे की तरफ प्रोपल्शन मॉड्यूल है. इसे ही रॉकेट के जरिए चांद की तरफ भेजा गया है.
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बता दें, चंद्रयान-2 की तरह ही इस बार भी लैंडर का नाम 'विक्रम' और रोवर का 'प्रज्ञान' रखा गया है.
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