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'ऑपरेशन गंगा' से वापस आए थे यूक्रेन में फंसे भारतीय बच्चे, सरकार ने अभी तक नहीं दिया किराया

शुरुआत में सभी एयरलाइंस कंपनियां ऑपरेशन गंगा में भाग लेने से कतरा रही थीं, लेकिन केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के कहने पर वे तैयार हो गईं. उन्होंने फ्लाइट के किराये के बिलों को मंत्रालय को भेज दिया था.

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ऑपरेशन गंगा के तहत छात्रों को वापस लाता विमान (फोटो: पीटीआई)

रूस और यूक्रेन के बीच अभी भी युद्ध (Russia Ukraine War) जारी है. इस युद्ध के शुरुआती दिनों में यूक्रेन में हजारों भारतीय छात्र फंस गए थे. उन्हें वहां से निकालने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा (Operation Ganga) नाम से एक एयरलिफ्ट मिशन चलाया था. इस मिशन के लिए भारत सरकार ने 6 प्राइवेट एयरलाइंस की 76 फ्लाइटों को काम पर लगाया था. मिशन सफल रहा और यूक्रेन से छात्रों की सुरक्षित देश वापसी हो गई. लेकिन ऑपरेशन गंगा में जिन एयरलाइंस के हवाई जहाजों का इस्तेमाल किया गया, उन्हें अभी तक केंद्र सरकार की ओर से पेमेंट नहीं दिया गया है.   

Operation Ganga को तीन महीने

अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑपरेशन गंगा को पूरे हुए 3 महीने बीत चुके हैं. इन तीन महीनों से एयरलाइंस कंपनियां पेमेंट का इंतजार कर रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, मिशन को शुरू करने से पहले सरकार ने कंपनियों से किराये के भुगतान के बारे में बात नहीं की थी. इस बारे में विदेश मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि उस समय हालात नाजुक थे और एयरलिफ्ट करना जरूरी हो गया था, इसलिए पेमेंट के बारे में बात नहीं की गई. वहीं जब उनसे ये पूछा गया था कि पेमेंट कब तक की जाएगी, इसपर उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया.

रिपोर्ट कहती है कि शुरुआत में सभी एयरलाइंस कंपनियां ऑपरेशन गंगा में भाग लेने से कतरा रही थीं, लेकिन केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के कहने पर वे तैयार हो गईं. उन्होंने फ्लाइट के किराये के बिलों को मंत्रालय को भेज दिया था. इन बिलों का भुगतान विदेश मंत्रालय की ओर से किया जाना था. वहां भेजने से पहले उड्डयन मंत्रालय ने इनकी जांच भी की थी. मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि बिलों की जांच इसलिए की गई ताकि ये देखा जाए कि कहीं ओवर चार्ज तो नहीं किया गया है. बिलों के भुगतान करने से पहले कई चीजों की जांच करनी पड़ती है. जैसे कि ईंधन का खर्च, फ्लाइट का साइज़, सीटों की व्यवस्था इत्यादि.

यही नहीं यूक्रेन से छात्रों को भारत लाने वाले जहाजों ने बाद में छात्रों को मुंबई और दिल्ली जैसे हवाई अड्डों पर भी पहुंचाया, ताकि वे अपने घरों तक आसानी से पहुंच सकें. वहीं कुछ एयरलाइंस का ये भी कहना है कि देश के अंदर भरी गई इन उड़ानों का भुगतान राज्य सरकारों ने कर दिया है. एयर इंडिया के निजीकरण के बाद ये पहला ऐसा मिशन है, जिसमें उसके जहाजों का इस्तेमाल किया गया . इससे पहले अक्सर एयर इंडिया के जहाजों का इस्तेमाल संघर्ष क्षेत्रों से भारतीयों को निकालने के लिए किया गया है. 

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