"प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर प्रचार के उद्देश्य से नकली वैक्सीन सर्टिफिकेट जारी कर दिए गए. ये सरकार एक नेता के प्रचार प्रसार के लिए लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रही है."इससे पहले केंद्र सरकार ने पीएम मोदी के जन्मदिन के अवसर पर 2.5 करोड़ कोविड वैक्सीन लगाने का दावा किया था. सरकार की तरफ से इसे एक रिकॉर्ड के तौर पर पेश किया गया था. हालांकि, अगले ही दिन कई राज्यों में वैक्सीन लगाने की दर में भारी कमी आई थी. देश में अगर कोविड वैक्सीनेशन के आंकड़ों की बात करें तो कोविन पोर्टल के मुताबिक अब तक एक अरब 33 करोड़ से अधिक वैक्सीन डोज लगाए जा चुके हैं. इनमें से 81 करोड़ लोगों को पहला और 51 करोड़ लोगों को दोनों डोज लग चुके हैं.
सरकार ने माना, मोदी के बर्थ-डे पर मृत लोगों और वैक्सीन न लेने वालों को भी सर्टिफिकेट जारी हुए
2.5 करोड़ डोज लगाकर रिकॉर्ड बनाने का दावा किया था सरकार ने.
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बाएं से दाएं. Vaccination Drive Day के दिन केंद्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्री का ट्वीट और पीएम मोदी को दी गई जन्मदिन की बधाई. (फोटो: ट्विटर/PTI)
केंद्र सरकार ने इस बात को स्वीकार किया है कि प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर चलाए गए कोविड टीकाकरण (Covid Vaccination) अभियान के दौरान उन लोगों को भी वैक्सीन सर्टिफिकेट जारी किए गए, जिनका या तो निधन हो चुका था या फिर जिन्हें टीका लगा ही नहीं. टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने लोकसभा में इस संबंध में सवाल पूछा था. इसके जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस बात को स्वीकार किया. RTI एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने इस संबंध में सोशल मीडिया पर एक फोटो पोस्ट की है. इसमें अभिषेक बनर्जी के सवाल और मंत्रालय के जवाब का जिक्र है. इस पोस्ट के मुताबिक, बनर्जी ने मुख्य तौर पर तीन सवाल पूछे. पहला, क्या सरकार ने इस बात का संज्ञान लिया है कि वैक्सीनेशन ड्राइव के दिन उन लोगों को भी सर्टिफिकेट जारी किए गए जिनका या तो निधन हो चुका था या फिर जिन्हें वैक्सीन लगी ही नहीं. दूसरा, अगर ऐसा हुआ तो क्या इन सर्टिफिकेट्स को उस दिन लगे ढाई करोड़ टीकों में जोड़ा गया और तीसरा, ऐसा भविष्य में ना हो, इसके लिए क्या कदम उठाए गए या उठाए जा रहे हैं.
कितने नकली डोज लगे?
इन सवालों का जवाब केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से इस तरह से दिया गया, - कुछ मामलों में उन लोगों को वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जारी किए गए, जिनका या तो निधन हो चुका था या फिर जिन्हें टीका लगा ही नहीं. ऐसा डेटा एंट्री करते समय हुई गलती की वजह से हुआ. - भविष्य में ऐसा ना हो, इसके लिए कोविन पोर्टल पर टीका लगवाने वाले के फोन नंबर और फोटो आईडी कार्ड नंबर का ध्यान से वेरिफिकेशन किया जा रहा है. साथ ही साथ चार अंकों का सीक्रेट कोड जारी किया जा रहा है, ताकि टीका लगाने से पहले टीका लगाने वाले उसका मिलान कर सकें. - मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को समय-समय पर डेटा एंट्री में सुधार करने के भी आदेश दिए हैं. हालांकि, मंत्रालय ने बनर्जी के दूसरे सवाल का जवाब नहीं दिया. आखिर उस दिन लगे ढाई करोड़ टीकों में कितने ऐसे सर्टिफिकेट शामिल किए गए, जिन्हें उन लोगों को जारी किया गया था जिनका या तो निधन हो चुका था या फिर जिन्हें टीका लगा ही नहीं.
इस सवाल का जवाब ना मिलने पर साकेत गोखले ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा,
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