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नागालैंड: 'अंधाधुंध फायरिंग, SOP फॉलो नहीं की', 13 लोगों की 'हत्या' में 30 जवानों पर चार्जशीट

इस चार्जशीट में सेना के 30 जवानों को आरोपी बनाया गया है. इनमें एक ऑफिसर भी शामिल है. इसके साथ ही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने ये भी कहा है कि घटना वाली रात 21 पैरा स्पेशल फोर्स के सैनिकों ने एसओपी का पालन नहीं किया था.

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नागालैंड में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार के दौरान विरोध जताते लोग. (फोटो: पीटीआई)

पिछले साल 4 दिसंबर को नागालैंड (Nagaland) के मोन जिले में सेना के एक ऑपरेशन में 13 आम नागरिकों की मौत हो गई थी. गुस्साए हुए लोगों ने मौके पर एक जवान की हत्या कर दी थी. इस घटनाक्रम को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए थे. जिसके बाद राज्य सरकार ने पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए थे. एक SIT का गठन किया गया था. ताज़ा जानकारी के मुताबिक SIT ने अपनी चार्जशीट अदालत को सौंप दी है. इस चार्जशीट में सेना के 30 जवानों को आरोपी बनाया गया है. इनमें एक ऑफिसर भी शामिल है. इसके साथ ही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने ये भी कहा है कि घटना वाली रात 21 पैरा स्पेशल फोर्स के सैनिकों ने एसओपी का पालन नहीं किया था और उनकी अंधाधुंध गोलीबारी में नागरिकों की जान चली गई.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नागालैंड पुलिस के डीजीपी टीजे लॉन्गकुमेर का कहना है कि इस घटना से जुड़े उन्होंने 5 मामले दर्ज किए हैं, सभी की जांच जारी है. उनका कहना है कि सेना के विशेष सुरक्षा बल के द्वारा चलाए जा रहे घुसपैठ विरोधी ऑपरेशन में जवानों द्वारा एसओपी का पालन ना करने से मोन जिले में इतनी बड़ी घटना हो गई है. जब इस घटना की जानकारी ग्रामीणों को मिली, तो उन्होंने सेना के जवानों पर हमला कर दिया, जिसमें एक जवान की मौत हो गई थी.

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केंद्र से मांगी है इजाज़त 

नागालैंड सरकार ने केंद्र से चार्जशीट में नामजद एक आर्मी अफसर और 29 जवानों के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत मांगी है. इसके लिए राज्य पुलिस ने भी रक्षा मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर कार्रवाई की मंजूरी मांगी है. दरअसल, नागालैंड उन राज्यों में शामिल है जहां पर AFSPA लागू है. इस कानून के तहत सुरक्षा बलों पर केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है. इसी वजह से राज्य प्रशासन और पुलिस ने केंद्र से आरोपी जवानों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मंजूरी मांगी है. 

इधर पूरे घटनाक्रम पर सेना की तरफ से मेजर जनरल रैंक के एक अधिकारी के निर्देशन में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की जा रही है. इसी के चलते सेना की एक टीम ने कुछ ही दिन पहले मोन जिले के ओटिंग गांव का दौरा किया था. साथ ही ये भी समझने की कोशिश की गई कि घटना के लिए कौन सी परिस्थितियां जिम्मेदार थीं. पूरा घटनाक्रम ओटिंग गांव में ही हुआ था.

इस पूरे घटनाक्रम के बाद असम राइफल्स की तरफ से एक बयान जारी किया गया था. जिसमें कहा गया था कि मोन जिले में विद्रोहियों के संभावित मूवमेंट की विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर क्षेत्र में स्पेशल ऑपरेशन चलाने की योजना बनाई गई थी. असम राइफल्स ने घटना और उसके बाद के परिणामों पर खेद जताते हुए जांच की बात कही थी.

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ओटिंग गांव में 13 लोगों की मौत के बाद नगा स्‍टूडेंट फेडरेशन की तरफ से जमकर प्रदर्शन किया गया था. साथ ही मृतकों के परिजनों को न्याय दिलाने और विवादास्‍पद AFSPA कानून को खत्म करने की मांग को लेकर हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया था. वहीं नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो मृतकों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे, जहां उन्होंने कहा था कि प्रदेश से अफस्पा (AFSPA) कानून पूरी तरह हटना चाहिए. इसके बाद गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर बताया था कि असम, मणिपुर और नागालैंड में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी (AFSPA) के तहत आने वाले इलाके घटा दिए गए हैं. केंद्र सरकार की तरफ से यह फैसला नागालैंड में हुई घटना के बाद ही उठाया गया था. 

वीडियो: नागालैंड में हुई हिंसा के नाम पर वायरल वीडियो का सच

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