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साध्वी प्रज्ञा हत्या के केस में पहली बार कांग्रेस नहीं, भाजपा सरकार के वक्त गिरफ्तार हुई थीं

RSS प्रचारक सुनील जोशी की हत्या का केस था...

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2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में क्रॉस क्वेश्चनिंग चल रही है. प्रज्ञा ठाकुर के वकील ने दावा किया है कि पुलिस ने मौका-ए-वारदात पर कोई बाइक या साइकल नहीं देखी होगी.
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर. भोपाल से भाजपा की उम्मीदवार. सुर्खियों में हैं. क्यों? क्योंकि उन पर इल्जाम गंभीर हैं. मर्डर के. आतंक फैलाने के. हत्या के प्रयास के. और? और भी कई सारे. भाजपा साध्वी को कांग्रेस की साजिश का शिकार बता रही है. पर कांग्रेस को घेरते वक्त भाजपा एक बड़ी बात भूलती नजर आ रही है. या यूं कहें कि वो याद नहीं करना चाहती. या फिर सब कुछ जानने के बाद भी सच्चाई पर परदा पड़ा रहने देना चाहती है. 'द वायर'
के मुताबिक साध्वी प्रज्ञा के बारे में एक बड़ा सच ये है कि हत्या के एक केस में उनकी पहली गिरफ्तारी कांग्रेस नहीं, भाजपा सरकार के वक्त हुई थी. साल था-2008. मुख्यमंत्री थे- शिवराज सिंह चौहान. और केस था- आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी की हत्या का. सुनील जोशी की इंदौर के पास देवास में हत्या होती है. और इल्जाम लगता है साध्वी प्रज्ञा समेत 8 लोगों पर. इस पर उनको गिरफ्तार किया गया था. तब उन्हीं शिवराज सिंह की सरकार थी, जो इस वक्त साध्वी प्रज्ञा के लिए कह रहे हैं कि 'उनका जन्म देश को सुरक्षित रखने के लिए हुआ है.'
क्या हुआ था सुनील जोशी हत्या केस में? सुनील जोशी आरएसएस के प्रचारक थे. वह 29 दिसंबर, 2007 को देवास में मारे गए थे. उनका नाम मक्का मस्जिद, समझौता और मालेगांव विस्फोट मामलों में लिया गया था. इस केस में देवास पुलिस ने प्रज्ञा ठाकुर और दूसरे लोगों को 23 अक्टूबर, 2008 को गिरफ्तार किया था. बाद में देवास एसपी के आदेश पर 25 मार्च, 2009 को ये केस बंद कर दिया गया. सुनील जोशी पर समझौता ब्लास्ट केस में शामिल होने के आरोप थे. नई दिल्ली से लाहौर जाने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में पानीपत के पास 18 फरवरी, 2007 को बम धमाका हुआ था. इसमें 68 लोग मारे गए थे. मरने वालों में ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक थे. इस केस में सुनील जोशी आरोपी थे. उनका नाम नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी NIA की चार्जशीट में था. सुनील जोशी की हत्या देवास के चूना खदान इलाके में उस वक्त हुई थी, जब वो अपने घर वापस जा रहे थे.
अदालत में पेशी के लिए जाना पड़ता है अभी भी प्रज्ञा सिंह को. फाइल फोटो.
अदालत में पेशी के लिए जाना पड़ता है अभी भी प्रज्ञा सिंह को. फाइल फोटो.

'द वायर' के मुताबिक सुनील जोशी की हत्या के केस की बंद फाइल कुछ दिन बाद एक बार फिर से खोल दी गई. मध्य प्रदेश पुलिस ने 9 जुलाई, 2010 को एक बार इस केस की जांच करने का फैसला लिया. और कोर्ट में चार्जशीट फाइल की. चार्जशीट में मध्य प्रदेश पुलिस ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और उनके चार साथियों ने ही सुनील जोशी की हत्या की है. उसके मुताबिक इन लोगों को डर था कि समझौता ब्लास्ट केस और अजमेर में हुए बम धमाके के केस में सुनील जोशी मुंह खोल सकते हैं और इससे उनकी पूरी साजिश का भंडाफोड़ हो सकता है.
इस चार्जशीट के आधार पर पुलिस ने 26 फरवरी, 2011 को साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ कोर्ट से अरेस्ट वारंट हासिल किया. ये बात और है कि साध्वी प्रज्ञा उस वक्त जेल में ही थीं. वे मालेगांव बम धमाकों में गिरफ्तार हो चुकी थीं. मालेगांव में हुए बम धमाके में 6 लोग मारे गए थे. और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इस दौरान मध्य प्रदेश पुलिस ने इस केस के दूसरे आरोपियों को राजस्थान, गुजरात और एमपी के दूसरे शहरों से गिरफ्तार किया. बाद में इंदौर हाईकोर्ट ने इस केस की जांच एनआईए को सौंप दी.
मध्य प्रदेश पुलिस की चार्जशीट में क्या था? द वायर के मुताबिक आरएसएस के प्रचारक सुनील जोशी की हत्या के मामले में एमपी पुलिस ने 432 पेज की चार्जशीट फाइल की. चार्जशीट न्यायिक मजिस्ट्रेट पद्मेश शाह की अदालत में दाखिल की गई. इसमें आरोप लगाया गया कि सुनील जोशी की हत्या इन लोगों ने की थी. उनके मुताबिक इसके पीछे मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का भय था. इनका यह डर बताया गया था कि सुनील जोशी की गिरफ्तारी से देश के कई हिस्सों में हुए विस्फोटों में शामिल लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
मार्च, 2011 की न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक आरोप पत्र में ये भी था कि प्रज्ञा ठाकुर के साथ सुनील जोशी ने निजी तौर पर बदसलूकी की थी. और वो ऐसी थी, जिसे कोई भी महिला सहन नहीं कर सकती. चार्जशीट में 124 गवाहों के बयान दर्ज किए गए. प्रज्ञा ठाकुर, आनंद राज कटारिया, हर्षद सोलंकी, वासुदेव परमार, रामचंद्र पटेल, मेहुल और राकेश के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया. इन पर हत्या, आपराधिक साजिश और आर्म्स एक्ट के इल्जाम लगाए गए.
रिपोर्ट के मुताबिक सुनील जोशी की हत्या की एक और वजह चार्जशीट में बताई गई. चार्जशीट में कहा गया कि सुनील जोशी देवास में हर्षद, मेहुल, राकेश और उस्ताद के साथ छिपा था. इन चारों के साथ सुनील जोशी अक्सर दुर्व्यवहार करता था. इन सबके नाम वडोदरा के बेस्ट बेकरी केस में आए थे. बेस्ट बेकरी में 1 मार्च, 2001 को गुजरात दंगों के वक्त 14 लोग जिंदा जला दिए गए थे.
चार्जशीट में एक और दावा किया गया था. वो ये कि सुनील जोशी की हत्या वाले दिन साध्वी प्रज्ञा ठाकुर इंदौर में थीं. उनके मोबाइल रिकॉर्ड से पता चला था कि वो हत्या के दूसरे आरोपियों के संपर्क में थीं. जोशी की हत्या के बाद प्रज्ञा ठाकुर संदिग्धों में सबसे ऊपर थीं. उनके रिश्तेदारों ने बताया था कि हत्या वाले दिन वो उनके घर आई थीं और अपना सूटकेस लेकर चली गई थीं. प्रज्ञा ठाकुर को उस अस्पताल में भी देखा गया था, जहां सुनील जोशी का शव लाया गया था.
मोदी सरकार के बाद केस में क्या हुआ? 2014 में 23 मई को नरेंद्र मोदी की सरकार केंद्र में सत्ता में आई. इसके तीन महीने बाद 19 अगस्त, 2014 को इस केस को एक बार फिर देवास जिला अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया. सितंबर, 2015 में देवास कोर्ट ने 8 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए. साध्वी प्रज्ञा पर हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगा. बाद में 1 फरवरी, 2017 को एडीजे राजीव कुमार आप्टे ने इस केस में सभी आरोपियों को बरी कर दिया.


वीडियोः प्रज्ञा ठाकुर के शहीद करकरे पर बयान और माया-मुलायम के एक मंच पर आने की पूरी ख़बर |दी लल्लनटॉप शो| Episode 198

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