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रुपौली के निर्दलीय शंकर सिंह कौन हैं? जिनके आगे नीतीश और तेजस्वी का जोर भी नहीं चला?

Bihar के रुपौली विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने जीत दर्ज की है. जदयू के कलाधर मंडल दूसरे और राजद की बीमा भारती तीसरे स्थान पर रहीं.

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शंकर सिंह ने 8,211 वोटों से जीत दर्ज की है. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

सात राज्यों की 13 विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं. सबसे चौंकाने वाला परिणाम बिहार के रुपौली विधानसभा सीट का रहा. जहां निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने बाजी मारी है. उन्होंने NDA और INDIA दोनों के उम्मीदवारों को पटखनी दे दी है. शंकर सिंह ने एनडीए से जदयू उम्मीदवार कलाधर मंडल को 8,211 वोटों से शिकस्त दी. वहीं महागठबंधन समर्थित राजद उम्मीदवार बीमा भारती तीसरे नंबर पर रहीं.

शंकर सिंह इस चुनाव से पहले तक चिराग पासवान की पार्टी लोजपा से जुड़े रहे थे. वे लोजपा से 2005 में रुपौली विधानसभा से एक बार विधायक भी चुने गए थे. लेकिन कुछ दिन ही विधायक रह पाए. वहीं साल 2010, 2015 और 2020 के चुनाव में शंकर सिंह दूसरे नंबर पर रहे. इस उपचुनाव में उनको चिराग की पार्टी से टिकट की उम्मीद थी. लेकिन यह सीट NDA में जदयू के हिस्से में चली गई. जिसके बाद वे निर्दलीय उम्मीदवार बनकर चुनावी मैदान में उतरे थे.

प्रशांत किशोर का अप्रत्यक्ष समर्थन

आजतक से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, खबर है कि इस चुनाव में अंदरखाने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी शंकर सिंह का समर्थन कर रही थी. दूसरी तरफ ये भी कहा जा रहा है कि पूर्णिया लोकसभा सीट से बीमा भारती को हराने वाले पप्पू यादव ने भले ही खुले तौर पर बीमा भारती के समर्थन में अपील जारी की थी. लेकिन चुनाव में उनकी सक्रियता नहीं के बराबर रही. बताया जा रहा है कि उनके लोग भी ग्राउंड पर शंकर सिंह का ही सपोर्ट कर रहे थे. क्योंकि पप्पू यादव नहीं चाह रहे थे कि बीमा भारती चुनाव जीते.

शंकर सिंह का आपराधिक बैकग्राउंड

शंकर सिंह का आपराधिक बैकग्राउंड रहा है. उत्तर बिहार में अपराध के पोस्टर बॉय के रूप में उनकी पहचान रही है. चुनाव आयोग को दिए उनके हलफनामे के मुताबिक उन पर 11 मुकदमें दर्ज हैं. जिसमें आईपीसी की धारा 302 (हत्या का आरोप) 307 (हत्या के प्रयास से संबंधित आरोप) 332 (लोक सेवक को चोट पहुंचाने से संबंधित) 364 (अपहरण या हत्या के उद्देश्य से अपहरण) जैसी संगीन धाराएं शामिल हैं.

बीमा भारती के पति से पुरानी अदावत

शंकर सिंह और बीमा भारती के पति अवधेश मंडल के बीच पुरानी अदावत रही है. पूर्णिया में एक वक्त दो आपराधी गुट सक्रिय थे. एक था नॉर्थ बिहार लिबरेशन आर्मी. और दूसरा था फैजान ग्रुप. नॉर्थ बिहार लिबरेशन ग्रप के सरगना शंकर सिंह थे. वही फैजान ग्रुप को अवधेश मंडल लीड करते थे.दोनों में आए दिन टकराव की खबरें आती रहती थीं. जिसके चलते इलाका काफी अशांत रहता था.

2005 में नॉर्थ बिहार लिबरेशन आर्मी के संस्थापक बूटन सिंह की पूर्णिया में हत्या हो गई थी. बूटन सिंह मौजूदा नीतीश सरकार में मंत्री और सीनियर जदयू नेता लेसी सिंह के पति थे. जिसके बाद शंकर सिंह को इस गैंग की कमान मिली. इस संगठन को राजपूत मिलीशिया भी कहा जाता था. शंकर सिंह के कमांडर रहते इस संगठन पर चुनाव में लोगों को डराने-धमकाने और बूथ कैप्चरिंग के आरोप भी लगे थे.

इंडिया टुडे से जुड़े पुष्यमित्र बताते हैं, 

शंकर सिंह लंबे समय तक जेल की सलाखों के पीछे भी रहे हैं. लेकिन बिहार के दूसरे बाहुबलियों के मुकाबले इनको ज्यादा राजनीतिक सफलता नहीं मिली. शंकर सिंह लोजपा के अलावा दूसरे राजनीतिक दलों में भी रहे हैं. लेकिन राजनीतिक रूप से खुद को स्थापित नहीं कर पाए.

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बीमा भारती के इस्तीफे के बाद चुनाव

जदयू से विधायक रही बीमा भारती ने राजद के टिकट पर पूर्णिया लोकसभा से चुनाव लड़ने के लिए इस सीट से इस्तीफा दिया था. जिसके बाद यह सीट खाली हुई थी. पूर्णिया लोकसभा चुनाव में राजद ने बीमा भारती को टिकट दिया. लेकिन इस चुनाव में भी बीमा भारती तीसरे स्थान पर रही थीं. निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ रहे पप्पू यादव इस सीट से सांसद बनें. वहीं जदयू के संतोष कुशवाहा दूसरे स्थान पर रहे थे.

एनडीए और इंडिया के बड़े नेताओं का जमावड़ा

इस चुनाव में एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा, केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी और चिराग पासवान जैसे दिग्गज नेताओं ने जदयू उम्मीदवार कलाधर मंडल के लिए कैंपेन किया था. वहीं दूसरी तरफ बीमा भारती के लिए पूर्व उपमुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी पूरा जोर लगा दिया था.

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