लोकसभा चुनाव 2019 के ऐक्ज़िट पोल आ गए हैं. बिहार की 40 सीटों पर हुए लोकसभा चुनाव से जुड़ी जो भी चीजें आपको जाननी चाहिए, वो सब ओवर-ऑल आपको यहां मिल जाएगा. हवा-हवाई प्रेडिक्शन के हिसाब से नहीं. बल्कि फील्ड पर अपने चुनावी कवरेज़ के दौरान हमने जो देखा, सुना, जाना और समझा, उस हिसाब से. शुरुआत फील्ड की कुछ तस्वीरों से करते हैं. गांव- चिंतामनपुर
लोकसभा सीट- पूर्वी चंपारण
मुख्य उम्मीदवार- राधा मोहन सिंह (बीजेपी), आकाश कुमार सिंह (RLSP) रात हो चुकी थी. एक दालान में गांव के पुरुष जमा थे. ये कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह का इलाका है. 2014 के लोकसभा चुनाव में वो यहां से जीतकर सांसद बने. पूर्वी चंपारण किसानों का इलाका है. खेती-किसानी ही सबसे बड़ा व्यवसाय है. इलाके की बंद पड़ी चीनी मिल को खोलने का वादा करके गए थे खुद नरेंद्र मोदी. कहा था- अगली बार आऊंगा, तो इसी चीनी मिल में बनी चीनी की चाय पियूंगा. मिल चालू नहीं हुई. किसान राधा मोहन सिंह की टोकरी-भर शिकायत करते हैं. मगर फिर साथ में जोड़ते भी हैं- काम हुआ हो न हुआ हो, वोट मोदी को देंगे. शहर- रक्सौल
लोकसभा सीट- पश्चिमी चंपारण
मुख्य उम्मीदवार- संजय जायसवाल (पश्चिमी चंपारण), ब्रजेश कुशवाहा (RLSP) रेलवे क्रॉसिंग के इस पार हम हैं. उस पार कुछ कदम आगे जाकर नेपाल आ जाएगा. रेलवे क्रॉसिंग इलाके की नाक में दम किए हुआ है. इतना जाम लगता है कि घंटों खप जाते हैं. शहर में धूल ही धूल. लोगों को सांस की बीमारी हो जाए, इतनी धूल. लोग कहते हैं- संजय जायसवाल ने कोई काम नहीं किया. शिकायतें एक तरफ, दूसरी तरफ नारा है- मोदी ज़रूरी है, संजय मज़बूरी है. गांव- रक्सा
लोकसभा सीट- वैशाली
मुख्य उम्मीदवार- वीणा देवी (LJP), रघुवंश प्रसाद सिंह (राजद) रामसुंदर ठाकुर पीढ़ियों से लोहार हैं. चाकू बना रहे हैं. बगल में जमीन पर बैठे हैं उनके पिता बैद्यनाथ ठाकुर. रामसुंदर ज़िंदगी की परेशानियां गिना रहे हैं. शौचालय नहीं बना. बिजली नहीं पहुंची. सड़क नहीं बनी. मुद्रा लोन लेने गए थे, बैंक वालों ने बस दौड़ाया-भगाया. लोन नहीं दिया. गुज़ार नहीं चल रहा. ऐसी ही पचास और शिकायतें. मगर फिर वोट देने की बात आई. तपाक से बोले- वोट तो मोदी जी को ही देंगे. इस बार नहीं किया कुछ हमारे लिए, अगली बार करेंगे मगर. इस चुनाव के फैक्टर्स क्या रहे? 1. लालू यादव जेल में हैं. राजद ने इस बात को भुनाने की काफी कोशिश की है. ऐसा कहा जा रहा था कि लालू का जेल में रहना शायद राजद के खिलाफ जाएगा. मगर फील्ड में ये नज़र आया कि राजद लालू को पीड़ित के तौर पर पेश करके उनके जेल में होने का फ़ायदा उठाने की कोशिश कर रही है. ऐसा दिखाया जा रहा है कि लालू साज़िश के शिकार हुए हैं. राजद के ग़ैर-राजनीतिक समर्थक भी ये कहते नज़र आए कि लालू के जेल में होने का बदला लेंगे. 2. NDA की तरफ से कैंडिडेट खड़े करने में ज्यादा मेहनत, बेटर प्लानिंग दिखती दी. एक मिसाल है गोपालगंज. 2014 में बीजेपी के जनक राम जीते थे यहां. इलाके के लोग उनसे खुश नहीं थे. ये रिजर्व्ड सीट है. जनक राम को दोबारा खड़ा करने में खतरा हो सकता था. तो इस बार ये सीट जेडीयू के खाते में गई है. डॉक्टर आलोक कुमार सुमन इलाके के मशहूर सर्जन हैं. उनका मुकाबला है राजद के सुरेंद्र राम से. आलोक सुमन इलाके का जाना-पहचाना चेहरा हैं. 3. महागठबंधन की तरफ से सीट बांटने में थोड़ा कच्चापन दिखा. जैसे- पश्चिमी चंपारण सीट. यहां बीजेपी से संजय जायसवाल खड़े हैं. उनके खिलाफ़ नाराज़गी है इलाके में. लोग कह रहे हैं, उन्होंने कुछ काम नहीं कराया. महागठबंधन की तरफ से ये सीट RLSP के खाते में गई है. प्रत्याशी हैं ब्रजेश कुशवाहा. लोग कह रहे हैं, ब्रजेश की जमीन तैयार नहीं है. इलाके के लोग यहां तक इल्ज़ाम लगा रहे थे कि ब्रजेश ने पैसे देकर टिकट खरीदा है. कई जगह सुनने में आया कि यहां पर गोविंदगंज के पूर्व विधायक राजन तिवारी राजद से टिकट चाह रहे थे. उन्हें टिकट नहीं मिला. अगर मिलता, तो वो जायसवाल को टक्कर दे सकते थे. शायद इसी बात से फ्रस्ट्रेट होकर चुनावों के बीच ही राजन ने बीजेपी जॉइन कर लिया. 4. 'सन ऑफ मल्लाह' मुकेश सैनी की बहुत चर्चा थी. महागठबंधन में उन्हें तीन सीटें (मधुबनी, मुज़फ्फरपुर, खगड़िया) भी मिलीं. फील्ड पर लगा कि शायद VIP को इतनी सीटें देने का कोलेशन को फ़ायदा नहीं होगा. 5. यादव पारंपरिक तौर पर राजद का वोट बैंक माने जाते हैं. 2014 के चुनाव में बिहार के अंदर बीजेपी की एक बड़ी कामयाबी ये रही थी कि उसने राजद के सबसे डेडिकेटेड वोट बैंक में सेंध लगाई. मगर उजियारपुर से नित्यानंद राय (बीजेपी), पाटलिपुत्र से राम कृपाल यादव (बीजेपी), मधेपुरा से दिनेश चंद्र यादव (जेडीयू), मधुबनी से अशोक कुमार यादव (बीजेपी) ये सब मज़बूत प्रत्याशी नज़र आ रहे हैं. कई जगहों पर यादव ये भी कहते सुनाई दिए कि लोकसभा चुनाव में मोदी के साथ जाएंगे, विधानसभा में राजद के साथ. 6. शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में मोदी फैक्टर मज़बूत है. कई इलाकों में लोग स्थानीय बीजेपी सांसद की शिकायतें करते मिले. मगर फिर मोदी के नाम पर उन्होंने NDA को वोट देने की बात कही. जैसे- पश्चिमी चंपारण सीट. यहां के बीजेपी सांसद हैं संजय जायसवाल. यहां नारा सुनाई दिया- मोदी ज़रूरी है, संजय मज़बूरी है. ऐसे ही पूर्वी चंपारण सीट, जहां से कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह बीजेपी के सांसद थे. वहां भी लोग उनसे नाराज़ दिखे. खुलकर कह रहे थे कि राधा मोहन सिंह ने बिल्कुल काम नहीं किया. न चीनी मिल शुरू हुई, न किसानों के लिए ही हुए खास हुआ. इतनी शिकायत के बाद भी लोग मोदी के नाम पर NDA के पक्ष में दिखे. 7. उत्तर और मध्य बिहार के कई इलाकों में पानी बड़ा मुद्दा है. हाहाकार मचा हुआ है पानी को लेकर. शहरों में ही नहीं, ग्रामीण इलाकों में भी कई सारे चापाकल सूख गए हैं. जलस्तर बहुत तेजी से नीचे गया है. इस मुद्दे का कुछ असर रहने की संभावना है. बिहार सरकार ने सितंबर 2016 में हर घर पानी पहुंचाने के लिए 'जल-नल योजना' को स्वीकृति दी थी. मगर कई जगह इस योजना से जुड़ी शिकायतें भी सुनने में आईं. लोग कह रहे थे कि नल तो लग गया, मगर उसमें पानी नहीं आता. चूंकि जेडीयू और बीजेपी गठबंधन में हैं, तो लोग ये मुद्दा भी गिना रहे थे. निष्कर्ष 2014 में NDA को बिहार में 31 सीटें मिली थीं. इस बार भी उनकी स्थिति मज़बूत नज़र आ रही है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव के वोटिंग पैटर्न में अंतर होता है. कई जगह सुनाई दिया कि राज्य के चुनाव में देखी जाएगी, मगर केंद्र में तो बीजेपी ही. विपक्ष की एक बड़ी नाकामी ये भी रही कि वो मोदी के मुकाबले का विकल्प मज़बूती से पेश नहीं कर पाई. जबकि उसे सबसे बड़ी मेहनत 'मोदी नहीं तो कौन' वाले नेरेशन को तोड़ने में करनी चाहिए थी. मुख्य सीटें- 1. बेगूसराय: गिरिराज सिंह (बीजेपी), कन्हैया (सीपीआई), तनवीर हसन (राजद)
2. मुंगेर- लल्लन सिंह (जेडीयू), नीलम देवी (कांग्रेस)
3. उजियारपुर- नित्यानंद राय (बीजेपी), उपेंद्र कुशवाहा (RLSP)
4. दरभंगा- गोपाल जी ठाकुर (बीजेपी), अब्दुल बारी सिद्दिकी (राजद)
5. मधुबनी- अशोक यादव (बीजेपी), बद्रीनाथ पूर्वे (विकासशील इंसान पार्टी)
6. सारण- राजीव प्रताप रूडी (बीजेपी), चंद्रिका राय (राजद)
7. पूर्वी चंपारण- राधा मोहन सिंह (बीजेपी), आकाश कुमार सिंह (RLSP), प्रभाकर जायसवाल (CPI)
8. सीवान- हिना शहाब (राजद), कविता सिंह (जेडीयू)
9. गया- जीतन राम मांझी (HAM), विजय मांझी(JDU)
10. जमुई- चिराग पासवान (LJP), भूदेव चौधरी (RLSP)
11. मधेपुरा- शरद यादव (RJD), दिनेश चंद्र यादव(JDU), पप्पू यादव (निर्दलीय)
12. खगड़िया- महबूब अली कैसर (LJP), मुकेश सहनी (VIP)
13. पटना साहिब- शत्रुघ्न सिन्हा (कांग्रेस), बीजेपी से रविशंकर प्रसाद
14. पाटलिपुत्र- रामकृपाल यादव (बीजेपी), मीसा भारती (RJD)
15. आरा- आरके सिंह (बीजेपी), राजू यादव (CPIML)
16. बक्सर- अश्विनी कुमार चौबे (बीजेपी), जगदानंद सिंह (राजद) पिछले चुनाव के नतीजे 2014 रिज़ल्ट- बीजेपी- 22 (NDA-31)
कांग्रेस-2
NCP- 1
जेडीयू- 2
LJP- 6
राजद- 4
RLSP- 3
2009 रिज़ल्ट- जेडीयू- 20
बीजेपी-12
कांग्रेस-2
निर्दलीय- 2
राजद-4 2004 रिज़ल्ट- राजद- 22
बीजेपी-5
कांग्रेस-3
जेडीयू-6
LJP-4
प्रज्ञा ठाकुर का देशभक्त गोडसे बयान बीजेपी को महंगा पड़ा, नरेंद्र मोदी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या था?
बिहार में चुनावी कवरेज के लिए गई लल्लनटॉप की टीम नतीजों के बारे में क्या सोचती है?
कोई एग्ज़िट पोल नहीं, लेकिन उससे बड़ी बातें यहां जानिए...

केंद्र में मोदी सरकार और राज्य में नीतीश सरकार ने राहुल गांधी और लालू यादव के गठबंधन के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं.