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बिहार में 12 पुल ढहने की वजह पता चल गई, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने खुद बताया

केंद्रीय मंत्री तो एक के बाद एक ढहते पुलों का ठीकरा मॉनसून पर फोड़ रहे हैं. मगर जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव इन हादसों की एक दूसरी ही वजह बता रहे हैं. उनका कहना है कि हाल में गाद हटाने के जो प्रयास हुए, संभवतः उनके कारण पुल गिरने की घटनाएं.

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केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी का आकलन. (फ़ोटो - एजेंसी/लल्लनटॉप)

पिछले 17 दिनों में बिहार में कम से कम 12 पुल ढह गए हैं. सीवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज से पुल गिरने की घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं. विपक्ष ने नीतीश कुमार की सरकार के ख़िलाफ़ प्रत्यंचा तानी हुई है. बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और रखरखाव को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में केंद्रीय मंत्री और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने इन घटनाओं के लिए मॉनसून को ज़िम्मेदार बता दिया है. उन्होंने कहा है,

“मॉनसून का समय है. बहुत बारिश हुई है. इसी वजह से पुल ढह रहे हैं... लेकिन, मुख्यमंत्री जी जांच के प्रति बेहद संवेदनशील हैं. उन्होंने कल ही एक बैठक की है और सख़्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए. वर्ना सख़्त कार्रवाई की जाएगी.”

पुल ढहने के मद्देनज़र और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) समेत विपक्ष से तीखी आलोचना के बाद नीतीश कुमार ने सड़क निर्माण विभाग (RCD) और ग्रामीण कार्य विभाग (RWD) को निर्देश दिए हैं कि राज्य के सभी पुराने पुलों का तुरंत सर्वे किया जाए और जिनमें मरम्मत की ज़रूरत है, उनकी तत्काल मरम्मत हो.

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साल 1956 में बिहार में भयंकर अकाल और सूखा पड़ा था. तब विधानसभा में ऐसा ही एक बयान दिया गया था कि हथिया (नक्षत्र) की वजह से सूखा पड़ा है. इसके जवाब में प्रख्यात साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी ने सदन में कहा था, “अगर हथिया ही सब कुछ है, तो इतने बड़े-बड़े हाथी जो हम लोगों ने पाल रखे हैं, वो क्यों हैं?”

हाथी से इशारा सरकार की सिंचाई परियोजनाओं की तरफ़ था. कुछ ने हाथियों में सरकारी तंत्र को भी देखा.

70 साल होने को आए. बिहार में अब भी एक (केंद्रीय) मंत्री एक के बाद एक गिरते पुलों का ठीकरा मॉनसून पर फोड़ रहे हैं. जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव इन हादसों की एक दूसरी वजह बताते हैं. उनका कहना है कि हाल में गाद हटाने के जो प्रयास हुए, ये हादसे उससे संबंधित हैं. उन प्रोजेक्ट्स में शामिल इंजीनियरों और ठेकेदारों की चूक हो सकती है.

"इनमें से अधिकतर पुल 30 साल पुराने थे और उनकी नींव उथली थी. गाद हटाने के दौरान ये नींवें डैमेज हो गईं... जो भी इंजीनियर होंगे, उन्हें ये पहली नज़र में आना चाहिए था."

उन्होंने ये भी कहा है कि नए पुल बनाए जाएंगे और दोषी पाए जाने वाले ठेकेदारों पर कार्रवाई की जाएगी.

पुल ढहने का केस सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. एक याचिका दायर की गई है कि बिहार सरकार सभी मौजूदा और निर्माणाधीन पुलों का ऑडिट करवाए. जो पुल जर्जर हो गए हैं, उन्हें ध्वस्त करे और नए सिरे से बनाए.

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