'' ट्वीट करता हूं, तो लोग पूछते हैं कौन सी पार्टी से पैसे मिले हैं? पैसे? भैया मेरा पॉलिटिक्स से कुछ लेना-देना नहीं है. 25 साल का हूं. अपने काम से देश का नाम रौशन करना चाहता हूं. हर नागरिक की तरह देश में अमन और शांति चाहता हूं.अगर ट्विटर से आपकी पहचान है, तो आप जानते होंगे कि वहां एक बार में इतना सबकुछ लिखने की छूट नहीं होती है. इसलिए ये तीन अलग-अलग ट्वीट्स हैं. इतनी ईमानदारी और कायदे की बात करने के बावजूद एक भाई साहब अपनी पर आ ही गए. महेंद्र सिंह धोनी की फोटो अपनी डिस्प्ले पिक्चर लगाए AK नाम के इस शख्स ने भुवन के ट्वीट्स के जवाब में लिखा-मैंने अपने भारत में ऐसी हिंसा की कभी कल्पना भी नहीं करी थी. अगर आपमे में थोड़ी सी भी देशभक्ति है, तो ये समझ लीजिए कि पॉलिटिक्स से ऊपर इंसानियत है. किसी को शारीरिक चोट पहुंचाना जानवरों से भी बदतर है. ये हिंसा इस देश को मंज़ूर नहीं.
एक ट्वीट के लिए मुझे धमकी दी गई थी फोन पर कि 'काट देंगे तुझे'. बिना सिक्योरिटी वाला मिडल क्लास बच्चा क्या करता? चुप रहा. नंबर रिपोर्ट किया. आज भी गालियां पड़ सकती हैं. लेकिन मुझे देश प्यारा है. ईमानदार हूं. इंसान हूं. जय हिंद.''
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''सो जेएनयू वाले हिंदू के खिलाफ, भारत के खिलाफ कुछ भी बोलें, तो सब चुप रहें? अंदर घुस-घुसकर मारो जेएनयू वालों को. जय हिंद.''भुवन ने इसका जो जवाब दिया, वो सिर्फ इस शख्स के लिए नहीं बल्कि सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर मौजूद हर इंसान के लिए एक नज़ीर है. भुवन ने लिखा-
'' आपकी बातों को लोग तभी सीरियसली लेंगे, जब आप (डीपी में) खुद की फोटो लगाओगे. जो आप बोल रहे हैं, उसी को टेररिज़्म कहते हैं. महेंद्र सिंह धोनी का लिहाज़ करलो कम से कम.''इतनी समझदारी से बात करने वाला भी एक यूथ है. जेएनयू में पढ़ने वाला भी एक यूथ है. और उन पर हमला करने वाले भी यूथ हैं. फैसला आपका है. तय करिए कौन सही है? और आप किस ओर खड़े हैं.
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