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कौन थे मोहम्मद सिनवार जिनकी मौत हुई तो खुशी जताने नेतन्याहू खुद सामने आए?

13 मई को इजरायल ने एक एयर स्ट्राइक की थी, जिसमें सिनवार मारे गए. नेतन्याहू से पहले रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने भी यही दावा किया था. लेकिन नेतन्याहू ने इसकी आधिकारिक पुष्टि अब की है.

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मोहम्मद सिनवार की कहानी. (तस्वीर : इंडिया टुडे)

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के गाजा चीफ मोहम्मद सिनवार की मौत का दावा किया है. सिनवार उनकी मौत के दावे पहले से किए जा रहे थे. लेकिन नेतन्याहू ने इसकी आधिकारिक पुष्टि अब की है. उन्होंने बताया कि बीती 13 मई को इजरायल ने एक एयर स्ट्राइक की थी, जिसमें सिनवार मारे गए. नेतन्याहू से पहले रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने भी यही दावा किया था.

कौन है मोहम्मद सिनवार?

मोहम्मद सिनवार 1975 में ख़ान यूनुस के एक रिफ्यूजी कैंप में पैदा हुआ. ख़ान यूनिस गाज़ा पट्टी के दक्षिण में बसा शहर है. सिनवार का ख़ानदान 1948 में के अरब-इज़रायल युद्ध के दौरान इज़रायली शहर अश्केलोन से भागकर आया था. इज़रायली फौज से जान बचाने के लिए. यहीं याह्या सिनवार और मोहम्मद सिनवार ने होश संभाला. 1987 में पहले इंतिफ़ादा के वक़्त जब हमास बनी, तब से दोनों भाई इस संगठन से जुड़ गए. दोनों ने हिस्सा लिया. दोनों ने जेल देखी.

साल 1991 में इज़रायली फौज ने मोहम्मद सिनवार को गिरफ़्तार किया. कुछ महीनों की जेल हुई. फिर 1996 में फ़लस्तीनी अथॉरिटी ने रामल्ला में तीन साल बंद रखा. 2000 के दूसरे इंतिफ़ादा में जेल से भागा. ग़ज़ा लौटा. और तब से रॉकेट अटैक, साज़िशें, ऑपरेशनल कमांड... हर मोर्चे पर एक्टिव रहा. हमास के ख़ान यूनुस ब्रिगेड का कमांडर बना. 

लेकिन इसके पहले उसके बड़े भाई याह्या सिनवार को 1989 में 02 इज़रायली सैनिकों और 04 फ़िलिस्तीनी नागरिकों की हत्या के जुर्म में चार आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई जा चुकी थी. याह्या की पूरी उम्र बंद दरवाज़ों के पीछे गुजरने वाली थी. लेकिन उसका भाई जेल के बाहर था. माना जाता है कि वो जेल के बाहर याह्या का रिप्रेजेंटेटिव बन चुका था.

साल 2006. हमास ने इज़रायल में घुसपैठ की. इज़रायली सोल्जर गिलाद शलीत का अपहरण हुआ. इस हमले की प्लानिंग में मोहम्मद सिनवार का नाम आया. ग़ज़ा में पांच साल तक उसे बंदी बनाकर रखने में मोहम्मद सिनवार की सीधी भूमिका बताई जाती है. इन पांच सालों  के बाद आख़िर में इज़रायल को झुकना पड़ा. शालित के बदले 01 हज़ार 27 फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को छोड़ा गया. इनमें याह्या सिनवार भी था. 

याह्या सिनवार ने जेल में रहते हुए अपना रुतबा बना रखा था. इसलिए, बाहर आने के बाद हमास की लीडरशिप में जगह मिल गई. 2012 में उसे पोलितब्यूरो में शामिल किया गया. उसका छोटा भाई मोहम्मद परदे के पीछे से काम करता रहा.

इज़रायल के लिए मोहम्मद एक “घोस्ट ऑपरेटर” था. एक साया. इज़रायल ने 2014 में यह मान लिया था कि मोहम्मद मारा गया है. लेकिन वो बच निकला. 2021 तक उस पर 6 बार हत्या की कोशिश की गई. और हर बार वह बचता रहा. 2022 में दिए इंटरव्यू में उसने कहा था, “तेल अवीव पर रॉकेट मारना हमारे लिए पानी पीने से भी आसान है.” वह इतना अंडरग्राउंड था कि जब उसके पिता की मौत हुई, तो जनाज़े में भी शरीक नहीं हुआ. ग़ज़ा के आम लोग उसका चेहरा तक नहीं पहचानते थे.

इज़रायली इंटेलिजेंस मानती है कि 7 अक्टूबर 2023 के हमास हमले में मास्टरमाइंड याह्या सिनवार के साथ उसका भाई मोहम्मद सिनवार भी शामिल था. उसी दौरान इज़रायल ने उस पर 3 लाख डॉलर का इनाम घोषित कर दिया.

यही मोहम्मद सिनवार पिछले साल तक अंडरग्राउंड था. पर अक्टूबर, 2024 में याह्या सिनवार की मौत के बाद उसे ओवर ग्राउंड भी देखा गया. मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि वो हमास के मिलिट्री विंग को लीड कर रहा था.

जब याह्या सिनवार की मौत हुई, तो हमास के दोहा स्थित नेताओं ने कलेक्टिव लीडरशिप की बात की. पर ग़ज़ा की ज़मीन पर कुछ और चल रहा था. वहां लोग छोटे सिनवार को फॉलो कर रहे थे. उसके आदेश पर चल रहे थे. आधिकारिक तौर पर ख़लील अल-हय्या को हमास के ग़ज़ा अफेयर्स का नेता माना जाता था. लेकिन मुहम्मद सिनवार और उसकी मिल्ट्री विंग ने जमीनी हुक़ूमत अपने हाथ में ले रखी थी. 

2025 की शुरुआत में रिपोर्ट आई कि मोहम्मद सिनवार हमास के पुनर्गठन की कोशिशें कर रहा है. नई भर्तियां कर रहा है. याह्या सिनवार ने भी अपने दौर में ज़्यादतर ताक़त मिलिट्री विंग के इर्द-गिर्द समेट ली, और दोहा में बैठी पोलित ब्यूरो को पीछे ढकेल दिया. अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट आई कि मोहम्मद सिनवार के संभावित उत्तराधिकारी, जैसे इज़्ज़ अल-दीन हद्दाद और राअद सआद, सिनवार भाइयों से पहले ही नाराज़ चल रहे थे. उन्हें लगता है कि जंग को जिस तरह खींचा गया, वो गलत था. हमने इस सिलसिले में जानकारों से बात की. उनसे पूछा, अब अगर मुहम्मद सिनवार वाक़ई मारे गए हैं, तो कमान किसके हाथ जाएगी?

इज़रायली अधिकारियों के हवाले खबर आई कि मोहम्मद सिनवार हर तरह की समझौता वार्ता का विरोध करता था. वह किसी भी ऐसे समझौते को मानने को तैयार नहीं था, जिसमें हमास को निहत्था किया जाए. याह्या सिनवार की ही तरह उसका रवैया भी बेहद कट्टर था. ऐसे में एक और सवाल उठता है. अगर मोहम्मद की मौत की बात सच निकली तो हमास बातचीत में क्या रुख अपनाएगा और ग़ज़ा में उसका भविष्य क्या होगा? क्या अब बचे खुचे लीडर्स इज़रायल के सौदे को मंज़ूर कर लेंगे?

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