बदलापुर रेप केस के आरोपी अक्षय शिंदे की मौत हो गई है. शिंदे ने कथित तौर पर पुलिस की पिस्टल छीन कर फायरिंग की थी. इसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया है. जिसके बाद पुलिस की जवाबी फायरिंग में अक्षय शिंदे के घायल होने की खबर आई थी. बताया गया है कि घटना तब हुई जब पुलिस अक्षय शिंदे को तलोजा जेल से वापस ला रही थी. फायरिंग के बाद आरोपी को गंभीर हालत में हॉस्पिटल ले जाया गया था.
बदलापुर रेप कांड: पुलिस फायरिंग में घायल हुए आरोपी अक्षय शिंदे की मौत
रिपोर्ट्स के मुताबिक आरोपी अक्षय शिंदे ने पुलिस का हथियार छीनकर फायरिंग की थी. जवाबी फायरिंग में वो भी घायल हो गया था. अब इलाज के दौरान उसकी मौत होने की जानकारी आई है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि पुलिस शिंदे को जांच के लिए तलोजा जेल से बदलापुर ले जा रही थी. उनका कहना है कि पुलिस कार में ही आरोपी ने पुलिस से पिस्टल छीनी और फायरिंग कर दी. इसके बाद पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की जिसमें शिंदे घायल हो गया. बाद में अस्पताल में उसकी मौत हो गई.
क्या है मामला?मामला 12 और 13 अगस्त का है. ठाणे के बदलापुर स्थित आदर्श विद्यालय के शिशु वर्ग में पढ़ने वाली 3 वर्षीय दो बच्चियां के साथ स्कूल में ही काम करने वाले सफाई कर्मचारी ने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया. घटना के बाद बच्चियां इतना डरी हुई थीं कि वो स्कूल जाने से मना कर रही थीं. जब पैरेंट्स ने जोर देकर पूछा तब बच्चियों ने अपने साथ हुई घटना को बयान किया.
16 अगस्त को जब बच्चियों के पेरेंट्स एफआईआर दर्ज कराने पुलिस स्टेशन पहुंचे, तब पुलिस मामला दर्ज करने में आनाकानी करती रही. आरोप है कि 12 घंटे बीतने के बाद भी पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की. फिर कुछ स्थानीय नेता पुलिस स्टेशन पहुंचे. जिसके बाद FIR दर्ज हुई. आरोपी पर पॉक्सो एक्ट भी लगाया गया. जिसके बाद 17 अगस्त को आरोपी अक्षय शिंदे को गिरफ्तार किया गया.
मामले की जांच के दौरान स्कूल प्रशासन ने पुलिस को बताया कि घटना के वक्त स्कूल में लगे सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे. इस बात ने पीड़िता के पेरेंट्स को भड़का दिया. साथ ही इस मामले में शक की सुई स्कूल पर भी गई. ऐसा प्रतीत हुआ कि स्कूल आरोपी को बचा रहा है.
हाई कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञानबॉम्बे हाई कोर्ट ने इस केस में स्वतः संज्ञान लिया. 3 सितंबर को हाई कोर्ट के जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने इस बात पर ज़ोर दिया कि लड़कों को कम उम्र में ही महिलाओं और लड़कियों के प्रति संवेदनशील बनाना चाहिए, उनका सम्मान करना सिखाया जाना चाहिए. जस्टिस डेरे ने सरकार के नारे में बदलाव किया, “बेटे को पढ़ाओ, बेटी बचाओ.”
बेंच ने ऐसे मामलों को रोकने के लिए राज्य सरकार के एहतियात के संबंध में एक ज़रूरी बात और कही.
“प्राइवेट डॉक्टरों को भी जागरूक करने के प्रयास किए जाने चाहिए कि वे POCSO अधिनियम के तहत बलात्कार पीड़िता की जांच करने से इनकार न करें. वो पीड़िताओं को पहले पुलिस के पास जाने के लिए नहीं कह सकते… और लड़कों की शिक्षा बहुत ज़रूरी मुद्दा है.”
03 सितंबर की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने मामले की जांच कर रही पुलिस टीम को भी फटकार लगाई और सावधानी की हिदायत दी थी. कोर्ट ने कहा,
“जल्दबाजी में आरोप पत्र दाखिल मत करें. जनता के दबाव में काम न करें. सुनिश्चित करें कि जांच ठीक से हो. आए दिन हम देखते हैं कि जांच ठीक से नहीं की जाती. हमारा उद्देश्य है कि पुलिस से मदद मांगने वालों को न्याय मिले.”
सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अदालत को बताया कि प्रयास किए जा रहे हैं और जल्द ही आरोप पत्र दाखिल किया जाएगा. सराफ ने ये भी कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में लड़कियों की सुरक्षा के पहलू पर ग़ौर करने के लिए एक समिति बनाई है.
वीडियो: Badlapur Case में Bombay High Court ने क्या कहा?