आप महिला हैं, और टीचर हैं. तो जींस या लेगिंग पहनकर पढ़ाने के लिए स्कूल नहीं जा सकतीं. ये आदेश है असम के शिक्षा विभाग का. राज्य के शिक्षा मंत्री रानोज पेगू ने ट्वीट कर इस ड्रेस कोड को जारी किया है.
'सलवार सूट-साड़ी पहनकर स्कूल में पढ़ाने आइए, T-शर्ट, जींस और लेगिंग नहीं', असम सरकार का आदेश
नोटिफिकेशन में लिखा है- "टीचर अपने मन मुताबिक कपड़े पहनकर चले जाते हैं."

नोटिफिकेशन में जो लिखा उसका हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह है-
ऐसा देखा गया है कि कुछ टीचर्स की ऐसी आदत हो गई है कि वो अपने मन मुताबिक कपड़े पहनकर शिक्षण संस्थानों में जाते हैं. ऐसे कपड़े आमतौर पर लोगों में स्वीकार्य नहीं होते. एक शिक्षक से खासतौर पर तब जब वो अपनी ड्यूटी कर रहे हों तब पूरी शालीनता का एक उदाहरण पेश करने की उम्मीद की जाती है. इसलिए एक ड्रेस कोड का होना जरूरी हो गया है जो मर्यादा, शालीनता और गंभीरता को दर्शाए.
निर्धारित ड्रेस कोड के मुताबिक, पुरुष शिक्षकों को फॉर्मल ड्रेस ही पहनें. शर्ट-पैंट ही मंजूर होगी. महिला शिक्षकों को सभ्य सलवार सूट/साड़ी/मेखेला-चादोर" पहने. न कि टी-शर्ट, जींस और लेगिंग जैसी कैजुअल ड्रेस.
टीचर्स को साफ-सुधरे और शालीन रंगों के कपड़े पहनने चाहिए. न कि चमकदार. कैजुअल और पार्टी वियर पहनने से पूरी तरह बचें.

शिक्षा मंत्री के ट्वीट पर लोगों ने खूब प्रतिक्रियाएं दीं. कुछ लोगों ने सरकार के इस नोटिफिकेश पर खरीखोटी सुनाई तो कुछ ने इसकी सराहना की.
प्रियंका नाम की ट्विटर यूजर ने रानोज पेगू के ट्वीट पर जवाब देते हुए आपत्ति दर्ज कराई. उन्होंने लिखा-
निर्देश काफी अस्पष्ट हैं. सरकार को शिक्षकों के लिए नियमित क्लास के लिए ड्रेस तय करनी चाहिए. क्या पहनना है और कैसे पहनना है, यह तय करने में समय लग सकता है और यह हमारे अतिरिक्त खर्चों को भी बढ़ाता है.
जयंत कुमार बरूहा नाम के यूज़र ने तारीफ की. उन्होंने लिखा-
असम सरकार की ये एक अच्छी पहल है. जो हमारी मूल विरासत को शानदार ढ़ंग से बढ़ावा देगा. बहुत बहुत धन्यवाद सर.
नोटिफिकेशन की आखिरी लाइन में लिखा कि सभी को ये दिशा-निर्देश मानने होंगे. नहीं तो कार्रवाई की जाएगी.
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