UKG में पढ़ने वाली बच्ची के रिपोर्ट कार्ड में फेल लिखा मिला तो परिवार वाले हैरान रह गए. सरकारी नियम कहता है कि 8वीं क्लास तक किसी भी बच्चे को रोका या फेल नहीं किया जा सकता है. तो 6 साल की बच्ची कैसे फेल हो सकती है? बच्ची के पिता ने मामले को फेसबुक पर पोस्ट कर दिया (Karnataka 6 Year Old Report Card Fail). मामला कर्नाटक के पूर्व शिक्षा मंत्री तक पहुंचा. स्कूल और प्रिंसिपल को खूब ट्रोल किया गया. बाद में पता चला सच.
UKG में छोटी-सी बच्ची को 'फेल' कर दिया, पापा ने शिकायत की, जानते हैं स्कूल ने क्या बताया?
प्रिंसिपल ने जो बोला वो तो गजब ही है!

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मनोज बादल ने ऑनलाइन रिपोर्ट कार्ड में देखा कि उनकी बेटी बी नंदी को फेल कर दिया गया है. ऐप में दिखा कि नंदी को 160 में से 100 मार्क्स मिले है. राइम्स के सबजेक्ट में 40 में से 5 मार्क्स लिखे थे और आगे फेल लिखा हुआ था.
बच्ची अनेकल तालुक के सेंट जोसेफ चैमिनडे एकेडमी में पढ़ती है. पिता ने फेसबुक पोस्ट किया तो मामला वायरल हो गया. बादल ने पोस्ट में लिखा कि स्कूल वालों ने मामले को लेकर कुछ भी करने ने मना कर दिया और कहा कि वो एक बच्चे के लिए कुछ नहीं कर सकते.
मनोज बादल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,
“यूकेजी में बच्चे को 'फेल' करने से हम माता-पिता को मानसिक आघात पहुंचा है. मेरी बेटी बार-बार रिजल्ट के बारे में पूछ रही है, हम उसे बता नहीं पाए हैं. ऐप में रिजल्ट फेल दिखाता है और फिजिकल मार्कशीट में कुछ और. ये मैनेजमेंट का फॉल्ट है. उम्मीद है कि शिक्षा अधिकारियों के हस्तक्षेप से हमें कुछ राहत मिलेगी.”
बेंगलुरु साउथ के सार्वजनिक निर्देश के उप निदेशक बेलांजनप्पा ने गुरुवार, 9 फरवरी को ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया कि वो स्कूल को नोटिस जारी करें. स्कूल के प्रिंसिपल सजू ऑगस्टी ने बताया कि उन्होंने ऐप टीम को मोबाइल ऐप के रिपोर्ट कार्ड से फेल शब्द हटाने के लिए कहा गया था. उन्होंने बताया,
“फाइनल असेसमेंट मार्च एंड में होना है. हम किसी बच्चे को साल के बीच में कैसे फेल कर सकते हैं? ये मुद्दा दिसंबर में विंटर वेकेशन से पहले हुए यूनिट टेस्ट का है. हमने बच्चे के माता-पिता को प्रोग्रेस रिपोर्ट दी है जिसमें किसी भी तरह की असफलता का जिक्र नहीं है. बच्चे ने एक एसेसमेंट में खराब प्रदर्शन किया जिसमें हमने उसे एक सी ग्रेड दिया है. उसका मतलब है कि बच्चे को सुधार की जरूरत है.”
उन्होंने आगे कहा,
“हमारे पास एक मोबाइल ऐप है जिसका इस्तेमाल माता-पिता को क्लास वर्क-होमवर्क वगैराह भेजने के लिए किया जाता है. इस ऐप पर पेरेंट्स रिपोर्ट कार्ड भी देख सकते हैं. दुर्भाग्य से मोबाइल ऐप सॉफ़्टवेयर में डिफ़ॉल्ट रूप से पैरामीटर सेट है कि अगर बच्चा किसी सबजेक्ट में 35 फीसदी से कम स्कोर करता है तो वो फेल दिखाता है.”
सजू ऑगस्टी ने आगे बताया,
“माता-पिता मुद्दा बढ़ाने के लिए इस रिपोर्ट कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं. वो दूसरा रिपोर्ट कार्ड नहीं देख रहे जो उनके हाथ में हैं.”
प्रिंसिपल ने बताया कि ऐप की सॉफ्टवेयर टीम रिपोर्ट कार्ड से फेल शब्द हटाने पर काम कर रही है.
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