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अमृता शेरगिल की पेंटिंग 61 करोड़ रुपये में नीलाम हुई! ऐसा क्या है उसमें?

अमृता शेरगिल की 'द स्टोरी टेलर’ दुनिया में किसी भारतीय कलाकार की बनाई सबसे महंगी पेंटिंग बन गई है.

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इस पेंटिंग की नीलामी से पहले सबसे मंहगी पेंटिंग एसएच रज़ा की 'गेस्टेशन' थी. (फ़ोटो/X-@Saffronart)

अमृता शेरगिल ने 28 साल की उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह दिया था. साल था 1941. लेकिन अमृता की पेंटिंग्स आज भी न सिर्फ चर्चा का विषय बनी हुई हैं, बल्कि रिकॉर्ड भी बना रही हैं. 1937 में बनाई गई उनकी एक पेंटिंग ‘द स्टोरी टेलर’ (The Story Teller) 61.8 करोड़ रुपये ($ 7.44 मिलियन) में बिकी है. इस तरह ये किसी भारतीय कलाकार द्वारा बनाई गई सबसे महंगी पेंटिंग बन गई है. इस पेंटिंग की नीलामी से पहले सबसे महंगी पेंटिंग (भारतीय कलाकार द्वारा) एसएच रज़ा की ’गेस्टेशन' थी, जिसकी कीमत ₹51.75 करोड़ रुपये थी.

क्या ख़ास है इस पेंटिंग में? 

अमृता की ‘द स्टोरी टेलर’ को एक ऑयल-ऑन-कैनवास मास्टरपीस माना जाता है. माने कैनवस पर ऑयल पेंट्स का इस्तेमाल हुआ है. पेंटिंग में एक गांव का परिदृश्य है. जिसमें कुछ महिलाएं बैठी हैं, कुछ ज़मीन पर तो कुछ खाट पर. महिलाओं के साथ गायें हैं, एक बछ़डा है, एक कुत्ता है और दरवाज़े पर एक आदमी खड़ा है. 

16 सितंबर को दिल्ली के द ओबेरॉय होटल में 'सैफ्रनआर्ट्स इवनिंग सेल: मॉडर्न आर्ट' इवेंट था. इस नीलामी में एस.एच. रज़ा, अकबर पदमसी, एम.एफ. हुसैन, एफ.एन. सूजा और वी.एस. गायतोंडे समेत 70 कलाकारों की पेंटिंग्स शामिल थीं. इस नीलामी में कुल मिलाकर ₹181 करोड़ से अधिक की कमाई हुई है. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अमृता शेरगिल की पेंटिंग्स की नीलामी से पहले सैफ्रनआर्ट ने एक नोट जारी किया था. जिसमें लिखा था, 

‘उनकी पेंटिंग की प्रमुख विषय महिलाएं हैं - जो उनकी कई कृतियों में नज़र आती हैं. इन महिलाओं के बीच घनिष्ठता कैनवास पर अपने तरह की अंतरंगता का सृजन करती है. जिसे शेरगिल खुद भी पसंद करती थीं.’

कौन हैं अमृता शेरगिल?

अमृता शेरगिल का जन्म 1913 में बुदापेस्ट में हुआ था. उनके पिता थे उमराव सिंह. मां हंगरी से थीं और उनका नाम था एनटॉयनेट शेरगिल. महज़ 5 साल की उम्र में ही उन्होंने पेंटिंग्स बनाना शुरू कर दिया था. पेंटिंग्स की तरफ़ उनके झुकाव को देखते हुए 16 साल की उम्र में उनके माता-पिता उन्हें पेरिस लेकर चले गए. वहां वो 5 साल रहीं. 17 साल की उम्र में उन्होंने खुद का एक पोट्रेट बनाया.  1932 में उनकी पेंटिंग ‘यंग गर्ल्स’ को ग्रैंड सेलोन का स्वर्ण पदक मिला था. इस पेंटिंग के लिए उनकी बहन इंदिरा और उनकी दोस्त डेनिस प्रूतो ने मॉडलिंग की थी. 

अमृता का जीवन सिर्फ 28 साल का रहा. लेकिन इतने कम समय में उन्होंने दुनियाभर में अपना नाम कर लिया था. अमृता के काम को भारत में राष्ट्रीय खज़ाने की संज्ञा दी गई है. इसका मतलब उनकी पेंटिंग्स को भारत से बाहर ले जाना गैर कानूनी है.

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