संसद में 6 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर चर्चा हुई. लोकसभा में ये बिल पास हो गया है. गृह मंत्री अमित शाह ने बिल पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों पर निशाना साधा और कहा कि 2019 में धारा 370 खत्म करने के बाद से अब तक राज्य में काफी कुछ बदला है. उन्होंने कहा कि ये बिल उन लोगों को न्याय दिलाने में मदद करेगा जिन पर 70 सालों से अन्याय हुआ और जो लोग अपमानित हुए या उनकी अनदेखी की गई. इस दौरान अमित शाह ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर भी निशाना साधा (Amit Shah on Nehru).
'नेहरू की बड़ी भूल', जम्मू-कश्मीर पर अमित शाह ने पूर्व PM पर गंभीर आरोप लगा दिए
लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पास हो गया है. इससे पहले बिल पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर जम्मू-कश्मीर को लेकर बड़ी भूल करने का आरोप लगाया.

लोकसभा में अमित शाह ने कहा कि नेहरू के समय में जो गलतियां हुई थीं, उनका खामियाजा वर्षों तक कश्मीर को उठाना पड़ा. शाह ने बताया,
“पहली और सबसे बड़ी गलती, जब हमारी सेना जीत रही थी, पंजाब का क्षेत्र आते ही सीजफायर कर दिया गया. जिसके बाद POK का जन्म हुआ. अगर सीजफायर तीन दिन बाद होता तो आज POK भारत का हिस्सा होता.”
अमित शाह ने आगे बताया कि UN में भारत के आंतरिक मसले को ले जाने की गलती भी नेहरू ने की थी. उनके मुताबिक,
"नेहरू जी ने कहा था कि ‘ये मेरी गलती थी’. ये कोई गलती नहीं थी, इस देश की इतनी सारी ज़मीन खोना एक बड़ी भूल थी."
वहीं जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात को लेकर विपक्ष पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा,
“आप मूल से ही कटे हो, मूल के साथ संपर्क ही नहीं है, तो कैसे मालूम होगा कि जम्मू-कश्मीर में बदलाव क्या हुआ. इंग्लैंड में छुट्टी मनाकर जम्मू-कश्मीर में बदलाव नहीं मालूम पड़ेगा.”
नेहरू पर शाह की टिप्पणी के बाद कांग्रेस सांसदों ने नाराजगी जाहिर करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया. बाद में कुछ सांसद वापस आए.
गृह मंत्री अमित शाह ने ये भी बताया कि पूरे देश में सिर्फ गरीब लोगों को पांच लाख रुपये तक के इलाज का खर्च सरकार उठाती है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में सभी व्यक्तियों का पांच लाख तक के इलाज का खर्च सरकार के हिस्से आता है.
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