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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी: हॉस्टल वॉर्डन ने कहा मर जाओ और ये लड़का फांसी लगाकर मर गया

हॉस्टल न मिलने से परेशान था इलाहाबाद विश्वविद्यालय का छात्र

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रजनीकांत की फाइल फोटो
बहुत खतरनाक होता हैं, बेजान शांत से मर जाना! न होना तड़प का, सब कुछ सहन कर लेना! बहुत खतरनाक होता है, हमारे सपनों का मर जाना!!
कंधे पर कॉलेज बैग टांगे रजनीकांत की इस फोटो को आखिरी तस्वीर बताई जा रही है.
कंधे पर कॉलेज बैग टांगे रजनीकांत की इस फोटो को आखिरी तस्वीर बताई जा रही है.

इस फोटो को देखिए. कितने शौक से कॉलेज बैग टांगे एक लड़का खड़ा है. कंधे पर कॉलेज बैग के साथ तस्वीर की ललक आपको पता है न. यही ललक इस लड़के को आजमगढ़ के गोठांव गांव से इलाहाबाद विश्वविद्यालय तक लेकर आई. इस लड़के का नाम रजनीकांत यादव है. उम्र 18 साल. रजनीकांत इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीए फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट था. 'था' इसलिए कि रजनीकांत अब इस दुनिया में नहीं है. उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. आप सोच रहे होंगे कि ऐसी क्या हालात आन पड़ी कि कंधों पर मौजूद सपने परिस्थितियों के सामने कमजोर पड़ गए. आरोप है कि इसकी वजह इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन का लचर और गैर-जिम्मेदाराना रवैया है.
पढ़िए रजनीकांत का सुसाइड नोट
सुसाइड नोट
सुसाइड नोट, इस सुसाइड नोट में वॉर्डन का नाम है 

"मैं ये सब अपनी मर्जी से किया, घर वालों मुझे माफ करना. भाई लोगों ने हमारे लिए बहुत कुछ किया, लेकिन मैं ही नहीं कर पाया. असली दिक्कत मकान मालिकों से है, हमें 4-5 महीने से कह रहा था कि तुम विश्वविद्यालय के हो तुमको नहीं रखेंगे. रोज-रोज यही सुनते कि कब जाओगे, कब मरोगे, उधर हॉस्टल के लिए पता करता तो हौसला सर रोज डांट के भगा देते थे. कल मैं गया बताया कि तबियत खराब है सर हमारी, तो कहे कि हम क्या करें जाओ कहीं मरो. भाईयों, अपने भाई के मौत की चिता को शांत मत रखना, उदय, अंकित यादव, राहुल भैया, अखिलेश इसका बदला जरूर लेना.''
सुसाइड नोट पढ़ने के बाद सारी स्थिति साफ हो जाती है. रजनीकांत हॉस्टल न मिलने से तो परेशान था ही, साथ में मकान मालिक द्वारा भी प्रताड़ित किया जा रहा था. वो इलाहाबाद विश्वविद्यालय का छात्र था. जिसकी छवि आम शहरियों में गुंडागर्दी और दंगा करने वालों के अड्डे के रूप में बन गई है. शायद यही कारण रहा होगा कि मकान मालिक रजनीकांत पर कमरा छोड़ने का दबाव बना रहा था.
कैंपस में प्रदर्शन करते हुए छात्र
वीसी के इस्तीफे की मांग को लेकर कैंपस में प्रदर्शन करते हुए छात्र

रजनीकांत चार भाईयों में सबसे छोटा था. पिता कैलाश यादव मुंबई में प्राइवेट जॉब करते हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने के बाद उसने हॉस्टल के लिए आवेदन किया था. लेकिन अभी तक कमरा एलॉट नहीं हुआ था. जनवरी बीत चुकी है. सत्र बीतने को है. आठ मार्च से एनुअल एग्जाम होने हैं. लेकिन अभी तक नवप्रवेशी छात्रों को हॉस्टल एलॉट नहीं हुआ है. इस मामले में जब हमने विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू प्रो. हर्ष कुमार से बात करने की कोशिश की तो उनका फोन ही नहीं उठा. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों की मानें तो ये हर साल की कहानी है. आधा सत्र बीतने के बाद मेरिट लिस्ट जारी की जाती है. जो कि इस साल अभी तक नहीं की गई है. अगर किसी तरह लिस्ट आ भी गई तो वहां पहले से ही किसी का कब्जा होता है. जिसकी वजह से बेबस होकर छात्र को वापस प्रशासन के पास आना पड़ता है. विश्वविद्यालय प्रशासन पुलिस और अर्धसैनिक बलों की सहायता से किसी तरह अवैध कब्जा हॉस्टलों से हटवाता है और नवप्रवेशी छात्रों को एलॉट करता है. इन सबमें पूरा साल बीत जाता है और अगला सत्र भी शुरू हो जाता है.
सुसाइड नोट में जिन हौंसला सिंह का जिक्र है वे हॉस्टल सुपरिटेंडेंट हैं. आई नेक्स्ट से बात करते हुए उन्होंने कहा कि छात्र कई बार मेरे पास आया था. लेकिन मैंने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की जिससे वो आत्मघाती कदम उठाए. हॉस्टल एलॉटमेंट की लिस्ट डीएसडब्ल्यू ऑफिस से ही नहीं आई तो मैं कमरा कैसे एलॉट कर देता?
रजनीकांत के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देते हुए छात्र और छात्रसंघ पदाधिकारी की ओर से डीएसडब्ल्यू को दिया गया ज्ञापन.
रजनीकांत के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देते हुए छात्र और छात्रसंघ पदाधिकारी की ओर से डीएसडब्ल्यू को दिया गया ज्ञापन.

रजनीकांत के सुसाइड के बाद कैम्पस में तनाव का माहौल है. छात्रसंघ महामंत्री शिवम सिंह ने मृतक रजनीकांत के परिजनों के लिए मुआवजा, विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए काउंसलिंग सेंटर और वीसी रतनलाल हांगलू के इस्तीफे की मांग की है. उनका कहना है कि हर साल कोई न कोई छात्र इस तरह की घटना का शिकार होता है. लेकिन न तो विश्वविद्यालय प्रशासन को किसी बात की चिंता है और न ही सरकार को.  35 हजार छात्रों वाले इस विश्वविद्यालय में हॉस्टल और हॉस्पिटल जैसी कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. लेकिन इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को इसकी कोई चिंता नहीं है. वीसी साहब न तो किसी छात्र से मिलते हैं और न ही किसी निर्वाचित पदाधिकारी से. मजबूर होकर हम सड़क पर आंदोलन करने को बाध्य होते हैं, जिसके बाद हमें गुंडा और दंगाई बताकर जेल में ठूंस दिया जाता है.
फिलहाल रजनीकांत के भाई की शिकायत पर पुलिस ने मकान मालिक और हॉस्टल वार्डन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है. मामले की जांच कर रहे अल्लापुर चौकी प्रभारी दिवाकर सिंह से हमने बात की. दिवाकर सिंह ने कहा कि हां सुसाइड नोट मिला है. सुसाइड नोट को जांच के लिए भेजा जा रहा है. बाकी जांच चल रही है. सबूत जुटाए जा रहे हैं. अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है. मामला आईपीसी की धारा 504 और 306 के तहत दर्ज हुआ है. धारा 504 उस शख्स पर लगाई जाती है जो किसी का इस हद तक अपमान करे कि वो खुद कोई अपराध कर बैठे. धारा 306 का मतलब खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला.


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