The Lallantop

कोर्ट ने दिया शख्स की प्रजनन क्षमता जांचने का आदेश, कैसे होता है ये टेस्ट?

पति ने कोर्ट के समक्ष ने कहा है कि उनकी पत्नी को बच्चा नहीं हो रहा था. इस कारण से वो अवसाद में थीं. और इसलिए आत्महत्या कर लिया. कोर्ट ने इस बात पर सवाल उठाया कि क्या सच में बच्चों के लिए महिला ही जिम्मेदार थी?

Advertisement
post-main-image
कोर्ट ने व्यक्ति को ‘पौरुष शक्ति परीक्षण’ कराने का निर्देश दिया है. (सांकेतिक तस्वीर: इंडिया टुडे)

इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने एक व्यक्ति को अपना ‘पौरुष शक्ति परीक्षण’ कराने का निर्देश दिया है. ये एक ऐसा टेस्ट है जिससे पुरुषों की प्रजनन क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है. कोर्ट ने आत्महत्या के एक मामले में ऐसा निर्देश दिया है. दरअसल, व्यक्ति की पत्नी ने आत्महत्या कर ली है. पति पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा है.

Advertisement

व्यक्ति पर दहेज उत्पीड़न का भी आरोप लगा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोर्ट ने कहा है कि बिना मेडिकल जांच के महिला को बच्चों के लिए जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता. कई बार पुरुषों में ही कमी होती है. न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने ये आदेश दिया है. कोर्ट में हापुड़ के रहने वाले मोनी उर्फ मोनू की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी. कोर्ट ने 12 नवंबर तक टेस्ट का रिजल्ट पेश करने को कहा है.

ये भी पढ़ें: बढ़ते प्रदूषण से 5 से 8 साल तक घट सकती है हमारी उम्र, जानें कैसे

Advertisement

गढ़मुक्तेश्वर थाने में ये मामला दर्ज हुआ था. मोनी फिलहाल हापुड़ जेल में बंद है. मोनी का कहना है कि उनकी पत्नी को बच्चे नहीं हो रहे थे, इस कारण से वो अवसाद में थीं. और इसी कारण से उन्होंने अपनी जान दे दी. मोनी का ये बयान सुनने के बाद कोर्ट ने इस बात पर सवाल उठाया कि क्या सच बच्चों के लिए महिला ही जिम्मेदार थी? इसी कारण से कोर्ट ने निर्देश दिया कि मोनी अपना ‘पौरुष शक्ति परीक्षण’ कराएं. और कोर्ट के सामने पेश करें. 

पुरुषों की प्रजनन क्षमता को जांचने के कई तरीके होते हैं. क्लीवलैंड क्लीनिक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए शारीरिक जांच से शुरुआत की जाती है. डॉक्टर प्रजनन अंगों ने सूजन आदि की जांच करते हैं. इसके बाद सीमन एनालिसिस जैसी प्रक्रिया की जाती है. इस जांच में स्पर्म की संख्या और क्वालिटी का अंदाजा लगाया जाता है. इसके अलावा अल्ट्रासाउंड, MRI, ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट और टेस्टिकुलर बायोप्सी जैसे जांच भी कराए जाते हैं. ये सभी जांच मान्यता प्राप्त डॉक्टरों की देखरेख में ही कराई जाती हैं.

वीडियो: CJI इलाहाबाद के दिनों को याद कर सीएम योगी ने कौन सा किस्सा सुनाया?

Advertisement

Advertisement