The Lallantop

अक्षय बहुत खुश हैं दो-तीन दिन से लेकिन भय्या ये फीलिंग हमारे बजट से बाहर है!

उनका एक वीडियो आया है. लेटे-लेटे अच्छी बात कर रहे हैं. कोमल तकिए पर सिर टिकाकर.

post-main-image
फोटो - thelallantop
एकदम डायरेक्ट बोलूं? दिल से बोलूं? भई बहुत मज़ा आ रहा है. अक्की भैया का वीडियो देखा फेसबुक और ट्विटर पर. उन्होंने तकिए पर सिर रख कर रिकॉर्ड किया था. बोले तो पिलो टॉक. पीआर वाले उनसे ये काम नहीं करा सकते. वाकई दिल से था. उन्होंने बड़ी मार्के की बात की. हिंदुस्तानियों को लताड़ा. अमा फालतू में नहीं, लॉजिक के साथ. हमारी आदत ये है कि एलोपैथी, अंग्रेजी दवाइयों के सहारे बीमारियों का इलाज करवाते हैं. अक्षय कुमार अभी केरल के किसी आयुर्वेद थैरेपी सेंटर में होकर आए हैं. यही वजह उनके मजे लेने की भी है और हिंदुस्तानियों को लताड़ने की भी. पहले उनका वीडियो देख लो फिर आगे बात करें. https://twitter.com/akshaykumar/status/834432588399857664?ref_src=twsrc%5Etfw बहुत कम लोग जानते हैं कि अक्षय पिछले 25 सालों से आयुर्वेद फॉलो करते आ रहे हैं. अरे अब तो सबको पता है, जिसने भी वीडियो देखा होगा. लेकिन इस बार जो आयुर्वेद हीलिंग एक्सपीरिएंस किया है वो कमाल है. 'जॉली एल एल बी 2' की शानदार परफॉर्मेंस की थकान उतारने और अपनी बॉडी की सर्विसिंग कराने 14 दिन उस आश्रम में रुके. और उसके बाद का एक्सपीरिएंस ये जो यहां शेयर किया. बात तो भाई आपकी बिल्कुल सही है. आपने जो इशारों में हिंदुस्तानियों को जाहिल कहा है वो भी ठीक है. कि वो प्रोटीन की गोलियां, स्टेरॉयड के इंजेक्शन लेकर अपना इलाज कराते हैं. प्रकृति ने आयुर्वेद के रूप में हमको इतना अच्छा खजाना दे रखा है. लेकिन भाई मेरे आयुर्वेद का ये खजाना आम पब्लिक के लिए नहीं है. आपने खुद कहा कि आप जहां गए वहां सिर्फ विदेशी नागरिक आए थे या फिर आप. जाहिर है आम हिंदुस्तानी नहीं अफोर्ड कर सकता वो लग्जरी. हर घुरहू कतवारू केरला के आयुर्वेद के आश्रम में जाकर बॉडी एंड माइंड हीलिंग नहीं करा सकता भाई साहब! क्योंकि यहां किसी की फिल्म हिट नहीं हुई है. अधिकतर जनता ठेले लगाने वाली, किसानी करने वाली या छोटे मोटे प्राइवेट जॉब करने वाली है. वो आपकी सलाह सुनकर ये सोचकर खुश हो लेगी कि चलो अपना फेवरेट हीरो स्ट्रेस घटाने के लिए अच्छी जगह पहुंच गया. लेकिन सच ये है कि वो वहां पहुंच नहीं पाएगा.
आयुर्वेद की थैरेपी बहुत महंगी हैं और दुर्लभ भी. यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में ऐसे-ऐसे गांव हैं जहां 10-5 किलोमीटर तक कोई सरकारी डॉक्टर नहीं है. झोलाछाप डॉक्टर्स के भरोसे उनकी जिंदगी चल रही है. बुखार हो या पेटदर्द, उल्टी हो या दस्त, उन्हीं नीली-पीली गोलियों का सहारा है. कैंसर-वैंसर वहां नहीं होता क्योंकि इनकी जांच होने से पहले ही आदमी मर जाता है. आपने बताया कि सरकार आयुष नाम से आयुर्वेद की योजना चलाती है. ये योजना कितनी सफल है इसका जवाब भी आपने दे दिया कि कोई जानता ही नहीं इसके बारे में. सरकारें पता नहीं किस साजिश के तहत ऐसी योजनाएं दबा के रखती हैं. शायद इसके पीछे भी वही लॉजिक हो जिनसे बीएसएनएल की जगह 'जियो' और 'रूपे' की जगह पेटीएम को प्रमोट किया जाता है.
अक्षय जी मुश्किल से परिवार का पेट पालने वाले लोग हीलिंग का लाभ नहीं ले सकते. हिमालय की कंदराओं में जाकर विपश्यना नहीं कर सकते. उनकी जिंदगी जिंदा रहने में कट जाती है. आप अच्छी, शानदार, सामाजिक संदेश वाली फिल्में दीजिए. लेकिन हमसे वो कहने को मत कहिए जो हम नहीं कर सकते या आप नहीं कर सकते. केरल में जाकर आयुर्वेद आश्रम में मजे लेना, ये हम नहीं कर सकते. इंडिया में वोट देना, ये आप नहीं कर सकते. ये सिर्फ दो उदाहरण हैं. आप इनसे आगे की रणनीति तय कर सकते हैं, क्योंकि आप पब्लिक फिगर हैं तो जिम्मेदारी बढ़ जाती है. जय हिंद.
ये भी पढ़ें: मुंबई में हर एक्टर वोट कर रहा है, पर सबसे बड़े देशभक्त अक्षय कुमार नहीं कर पाएंगे फ़िल्म रिव्यू - जॉली LLB 2 अब अक्षय कुमार की फिल्म पर लोगों को क्यों ऐतराज हो रहा है? अब मल्टीप्लेक्स में हर फिल्म खड़े होकर देखनी पड़ेगी! डियर अक्षय कुमार, क्या आपको भी सिर्फ शहीद सैनिक पर बात करना पसंद हैं?