टुंडा को अगस्त 2013 में इंडिया-नेपाल बॉर्डर के नजदीक रक्सौल से दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उसका नाम पानीपत, सोनीपत और रोहतक में हुए बम ब्लास्ट में आया था. इसके अलावा टुंडा का नाम 40 से ज्यादा बम ब्लास्ट और उनकी प्लानिंग में आया था. पर मार्च 2016 में दिल्ली की एक अदालत ने हरियाणा, गाजियाबाद, हैदराबाद और अजमेर में हुए ब्लास्टों में टुंडा को बरी कर दिया था. आरोप में कहा गया था कि पाकिस्तान के कुछ लोगों के साथ मिलकर टुंडा ने देश में कई जगह ब्लास्ट किये थे, बाबरी मस्जिद गिरने का बदला लेने के लिए.
कौन है अब्दुल करीम टुंडा?
अब्दुल करीम टुंडा 1943 में पैदा हुआ. दिल्ली के दरियागंज में. गरीब परिवार था. बढ़ई का काम करना शुरू किया टुंडा ने. ये काम चलता था गाजियाबाद में. वहीं उसकी शादी भी हो गई. बाद में वो अहमदाबाद चला गया और फिर वहां शादी कर ली. एक मस्जिद में भी काम कर रहा था. 1989 में वो वापस दिल्ली आ गया. और फिर एक शादी की. अबकी औरत पाकिस्तान से थी.

2005 में दिल्ली के गोविंदपुरी में हुए ब्लास्ट. टुंडा पर दिल्ली में करीब 21 ब्लास्ट कराने का आरोप है
धमाके के चलते ही 'टुंडा' हुआ था ये
करीम को पुलिस ने धरा 1993 में. जब मुंबई में बम ब्लास्ट हुए थे. इसका नाम टुंडा पड़ा क्योंकि कहा जाता है कि बम बनाने के दौरान इसका एक हाथ उड़ गया था. ऐसा कहा जाता है कि पाकिस्तान के कई आतंकवादी संगठन और आईएसआई से टुंडा का ताल्लुक है. ऐसा माना जाता है कि आईएसआई ने ही इसको जेहादी बनाया था. बाद में ये खुद बहुत सारे लोगों को जेहादी बनाने लगा था. 1994 में गाजियाबाद में एक ब्लास्ट हुआ, उसमें 19 लोग मरे. इसमें भी टुंडा का नाम आया था. पर टुंडा भाग गया. उसके यहां से बहुत सारे हथियार मिले. इसके लापता होने के बाद 1996 में इंटरपोल ने इसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया. 1997 में ये इंडिया आया और इसका नाम फिर एक बार ब्लास्ट में आया. पकड़ा नहीं गया.
2000 में हल्ला हुआ कि टुंडा मर गया. बांग्लादेश में हुए एक ब्लास्ट में. पर एक आतंकवादी अब्दुल रज्जाक ने पुलिस को बताया कि वो पाकिस्तान में है. बाद में टुंडा का नाम फिर से मुंबई हमलों में आया. सिमी से भी उसका जुड़ाव बताया जाता है. कहा जाता है कि बर्मा में रोहिंग्या मुसलमानों के सपोर्ट में ब्लास्ट प्लान करने का भी आरोप है इस पर. दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान भी ब्लास्ट प्लान करने का आरोप है. सारे बड़े आतंकवादियों के साथ मिलते-जुलते रहने का भी आरोप है. कहा जाता है कि 12 साल की उम्र से ही टुंडा बम बनाना सीख गया था. इसे डॉक्टर बम भी कहा जाता था. ये भी कहा जाता है कि टुंडा पाकिस्तान जाकर मदरसों में स्पीच देता था.

दिल्ली सीरियल ब्लास्ट 2005. टुंडा को अब तक के मामलों में बरी किया जाता रहा है
फैक्ट्री में काम करते-करते बम बना लेता था
कहते हैं कि टुंडा ने कपड़ों की फैक्ट्री में काम करते हुए केमिकल निकाल लिया था. एक एल्यूमिनियम पाइप लेकर उसमें मिट्टी और पेपर भर देता. दूसरी तरफ से पोटैशियम क्लोरेट और चीनी डालकर बंद कर देता. ये बम का काम करता. पकड़ में भी नहीं आता. कहने में तो इसको जेम्स बांड से कम नहीं बताया गया है. मतलब हर जगह जाने का जुगाड़. टैलेंटेड. बड़े लोगों से जुड़ा हुआ.
कई मामलों में बरी भी हो चुका है ये
कई मामलों में कोर्ट ने साफ-साफ कहा है कि इसके खिलाफ सबूत नहीं है. वैसे ये बात भी बड़ी अजीब लगती है कि 25 साल से यही आदमी हर जगह ब्लास्ट करवा रहा है और उसके खिलाफ सबूत नहीं मिल रहे. 73 साल का हो चुका है. ये हो सकता है कि कुछ मामलों में ये शामिल रहा हो. पर हर मामले में शामिल होने की बात पुलिस के काम को ही कमजोर कर देती है. क्योंकि किसमें ये सही में शामिल था, क्लियर नहीं है.
* ये लेख ऋषभ ने लिखा था.