मुझे काफी समय पहले सूबे में पोस्टिंग मिली. मैंने पूरी ईमानदारी से सेवा की. अमृतसर किडनी स्कैम में भी आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया. कोटकपूरा कांड में भी जब मुझे जिम्मेदारी मिली, मैंने हर पहलू पर जांच की. अंतिम पड़ाव के करीब ही पहुंच चुके हैं. मुझे न्याय प्रणाली पर पूरी तरह से भरोसा है. मैं समय से पहले ही सेवानिवृत्ति लेना चाहता हूं. मेरी अर्जी मंजूर की जाए.कैप्टन ने क्या कहा? वहीं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनके इस्तीफे को नामंजूर कर दिया है. कुंवर विजय प्रताप सिंह के स्वैच्छिक रिटायरमेंट की मांग को रद्द करते हुए कैप्टन ने कहा कि वह बहुत ही समर्थ और कुशल अधिकारी हैं. सीएम ने कहा,
कुंवर विजय प्रताप सिंह की सेवाओं की ऐसे समय में बहुत जरूरत है जब पंजाब विभिन्न आंतरिक व बाहरी खतरों का का सामना कर रहा है. अनुभव और महारत रखने वाले कुंवर विजय प्रताप सिंह ने पंजाब पुलिस में अलग-अलग महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए बेहतरीन सेवाएं दी हैं. वह एक कुशल, काबिल और साहसी अधिकारी हैं, जिनका ट्रैक रिकार्ड बेमिसाल हैं.कैप्टन ने कहा कि इस अधिकारी और उसकी टीम ने कोटकपूरा मामले की जांच के काम को तेजी से आगे बढ़ाते हुए शानदार काम किया है. उन्होंने आगे कहा कि कुंवर विजय प्रताप सिंह को SIT से हटाने या केस की जांच रद्द करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए तैयारी की जा रही है. कुंवर विजय प्रताप ने फेसबुक पर लिखा हालांकि कैप्टन अमरिंदर सिंह की इन बातों के बावजूद कुंवर विजय प्रताप सिंह इस्तीफा देने के अपने फैसले पर कायम हैं. अपनी एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा है,
देश की सेवा करना बहुत मुश्किल है, बात करना आसान. जिसने देश सेवा में कदम रखा, उसने लाखों कष्ट झेले. मैंने अपने हिस्से का काम किया. कोई अफसोस नहीं. मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि इस मुद्दे को ग्लैमराइज ना करें. राजनीति न करें. मेरी रिपोर्ट और चार्जशीट का हर वाक्य अपने आप में एक सबूत है. इसे किसी भी तरह से उपेक्षित नहीं किया जा सकता. मैंने अंतिम फैसले के लिए श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की कोर्ट में अपील दायर की है, मेरी बुद्धि और कानून के ज्ञान के अनुसार वो सबसे श्रेष्ठ न्यायालय है. मैं समाज की सेवा करता रहूंगा, लेकिन IPS के तौर पर नहीं.

क्या है कोर्ट का फैसला? कोटकपूरा और बहिबल कलां मामले के एक आरोपी इंस्पेक्टर गुरदीप सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें SIT हेड कुंवर विजय प्रताप सिंह पर आरोप लगाया था कि वे इस पूरे मामले की जांच राजनीतिक संरक्षण में कर रहे हैं. उनका रवैया भेदभावपूर्ण है. जब याचिकाकर्ता ने इस मामले में दर्ज FIR रद्द करने की मांग की थी, तो IG ने उन्हें याचिका वापस लेने की धमकी दी थी. याचिकाकर्ता ने इस मामले की जांच कर रही SIT से कुंवर विजय प्रताप सिंह को हटाने की मांग की थी.

इस याचिका पर पंजाब सरकार ने कहा था कि याची संगीन मामले में आरोपी है. वह कैसे SIT पर आरोप लगा सकता है. अगर ऐसे आरोपों से SIT में बदलाव किया गया, तो इससे न सिर्फ जांच प्रभावित होगी, बल्कि SIT का मनोबल भी गिरेगा. कुंवर विजय प्रताप सिंह ने अपना जवाब दाखिल कर कहा था कि उन पर लगाए सभी आरोप गलत हैं और वे पूरी निष्पक्षता, पारदर्शिता और वैज्ञानिक तरीके से जांच कर रहे हैं.
पंजाब सरकार और कुंवर विजय प्रताप सिंह की दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले में याची पक्ष से सहमति जताई. हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अब SIT की जांच रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. साथ ही हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया है कि जांच कर रही SIT से कुंवर विजय प्रताप सिंह को हटाया जाए और किसी अन्य अधिकारी को शामिल किया जाए. साल 2015 का मामला क्या है? साल 2015. पंजाब का फरीदकोट ज़िला. ज़िले के बुर्ज जवाहर वाला गांव में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की चोरी हुई. 12 अक्टूबर 2015 को फरीदकोट के ही बरगाड़ी गांव में गुरु ग्रंथ साहिब के कुछ फटे हुए पन्ने मिले. यहीं से ये मामला पहली बार लोगों की नज़र में आया. क्योंकि जो फाड़े गए वो कोई मामूली पन्ने नहीं थे. पन्ने फाड़े जाने के बाद कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए. 14 अक्टूबर 2015 को फरीदकोट के बेहबल कलां में हुए ऐसे ही एक विरोध प्रदर्शन में पुलिस से झड़प के दौरान 2 लोग मारे गए और एक गंभीर रूप से घायल हुआ. कोटकपूरा में हुए पुलिस लाठीचार्ज में भी काफी लोगों को गंभीर चोटें आईं. इसकी जांच के लिए तत्कालीन प्रकाश सिंह बादल सरकार ने जांच कमीशन बनाने के आदेश दिए. मृतकों के लिए एक करोड़ का मुआवज़ा भी दिया गया. बाद में इस मामले में कई लोगों के गिरफ्तार किया गया था. 2017 में पंजाब विधानसभा के चुनाव हुए और अकाली सरकार चली गई. इसके बाद कांग्रेस की सरकार बनी. इस मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया गया.