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मुजफ्फरनगर दंगा: बेटे की गर्दन पर चाकू रख किया था मां से गैंगरेप, सजा कितनी मिली?

10 साल बाद पीड़िता को मिला न्याय

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मुजफ्फरनगर कोर्ट ने आरोपियों को सजा सुनाई है (बायीं ओर दंगों के दौरान बनाए गए एक राहत कैंप की फोटो) | क्रेडिट: आजतक

उत्तर प्रदेश का मुजफ्फरनगर जिला. साल 2013 में यहां दंगे हुए थे. दंगों के दौरान हुए गैंगरेप के एक मामले में अब ट्रायल कोर्ट ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने दो आरोपियों को 20-20 साल की सजा सुनाई है. साथ ही 15-15 हजार का जुर्माना भी लगाया है. मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान ये घटना थाना फुगाना क्षेत्र के लांक गांव में घटी थी.

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लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक गांव के ही तीन युवकों पर महिला से गैंगरेप करने का आरोप लगा था. मामले में FIR हुई और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन कुछ समय बाद ही उन्हें जमानत मिल गई. जिला अदालत में कई सालों तक सुनवाई चली.

मंगलवार, 9 मई को करीब 10 साल बाद मुजफ्फरनगर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजनी कुमार ने दो आरोपियों महेश वीर और सिकंदर को IPC की धारा 376(D), 376(2)(G) और 506 के तहत दोषी माना. इस मामले में तीसरे आरोपी कुलदीप की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है.

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बेटे की गर्दन पर चाकू रखकर रेप किया था

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मुजफ्फरनगर के मलकपुर कैंप में रह रहे एक व्यक्ति ने 2014 में इस मामले में मुकदमा दर्ज करवाया था. उसने बताया था कि 8 सितंबर, 2013 को उसके गांव में दंगा भड़कने के बाद उसकी पत्नी छोटे बेटे को लेकर गांव से बाहर भागने लगी थी. पत्नी कुछ दूर ही पहुंची थी कि कुलदीप पुत्र ओमकारा, महेश वीर पुत्र प्रकाश और सिकंदर पुत्र इकबाल ने उसे रोक लिया. इसके बाद ये तीनों उसकी पत्नी को गन्ने के खेत में ले गए और बेटे की गर्दन पर चाकू रख दिया. इसके बाद इन्होंने महिला के साथ गैंगरेप किया. कोर्ट में जब ये मामला पहुंचा तो पीड़िता की तरफ से सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने बहस की.

रेप के सात केस दर्ज हुए थे

27 अगस्त, 2013 को मुजफ्फरनगर के कवाल गांव में 3 लोगों का मर्डर हुआ था. इसके बाद 7 सितंबर 2013 को सांप्रदायिक दंगा भड़क उठा था. दंगे में 40 लोगों की जान चली गई थी. और 50 हजार से अधिक लोग दंगाइयों से बचने के लिए पलायन कर गए थे. इस दौरान 7 महिलाओं से रेप किए जाने की शिकायत दर्ज हुई और अलग-अलग मुकदमे दर्ज हुए. एसआईटी ने जांच कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. हालांकि, डर के चलते 6 महिलाओं ने मामले को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया. और इस तरह इन मामलों में आरोपी बरी हो गए. बचा एक मामला जिसपर कोर्ट ने मंगलवार, 9 मई को फैसला सुनाया.

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