
ये प्रदीपा का घर है. प्रदीपा के पिता राजमिस्त्री हैं. प्रदीपा की बड़ी बहन ने MSC किया है. उसका भाई इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है (फोटो: ANI)
पिता राजमिस्त्री, बच्चों को पढ़ाने की बहुत फिक्र की उन्होंने तमिलनाडु का तिरुवन्नामलाइ. यहीं के एक दलित परिवार की बेटी थी प्रदीपा. 10वीं तक तमिल-मीडियम वाले सरकारी स्कूल में पढ़ती थी. प्रदीपा के पिता राजमिस्त्री का काम करते हैं. बच्चों को पढ़ाने-लिखाने की काफी फिक्र की उन्होंने. उनकी बड़ी बेटी ने MSC की. बेटा इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है. प्रदीपा डॉक्टर बनना चाहती थी. लेकिन औरों की जान बचाने की सोचने वाली लड़की ने खुद की ही जान ले ली. 2017 में भी तमिलनाडु की एक लड़की ने ऐसे ही खुदकुशी की थी. उसका नाम अनीता था. कई छात्र इल्जाम लगाते हैं कि NEET की परीक्षा में गैर-हिंदी भाषी स्टूडेंट्स को दिक्कत आती है. अनीता के साथ कुछ और छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली थी. उनका कहना था कि NEET का सिस्टम ही ऐसा है कि सेंट्रल बोर्ड से पढ़ने वाले बच्चों को पास होने में मदद मिलती है. बाकियों के लिए टेस्ट निकालना मुश्किल हो जाता है.

ये प्रदीपा के 12वीं क्लास की मार्कशीट है. 10वीं में 99 पर्सेंट नंबर. 12वीं में 93.7 फीसद नंबर. फिर भी लड़की ने निराशा में जान दे दी. हद बुरा है ये.
विपक्ष कह रहा है, NEET बैन करो प्रदीपा की मौत पर तमिल नेताओं की भी नजर गई. राज्य विधानसभा में भी ये मुद्दा उठा. विपक्षी पार्टियों ने हल्ला-हंगामा किया. उनका कहना था कि तमिलनाडु को NEET बैन कर देना चाहिए. DMK के कार्यकारी अध्यक्ष स्तालिन ने केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पुदुच्चेरी और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों से भी अपील की है. कि वो भी अपने राज्य में NEET पर प्रतिबंध लगा दें. उनका कहना है कि ये पैटर्न ग्रामीण और गरीब परिवारों के बच्चों से मौके छीनता है. बंगाल, गुजरात, केरल जैसे राज्य तो पहले से ही NEET का विरोध करते आ रहे हैं.
One more girl committed suicide due to low scores in NEET ! Politicians here you have chicken 65 on your plate !...
Posted by S.Arun Kumar
on Monday, June 4, 2018

विवाद बढ़ने के बाद 2017 में HRD मंत्रालय ने CBSE से सफाई देने को कहा. उसके बाद मंत्रालय ने ऐलान किया कि 2018 से सारी प्रादेशिक भाषाओं के सवाल भी अंग्रेजी और हिंदी के प्रश्नपत्रों जैसे होंगे. कोई अंतर नहीं होगा उनमें (फोटो: CBSE)
विवाद इतना बढ़ा कि केंद्र को दखल देना पड़ा NEET के ऊपर लगने वाले इल्जामों की लिस्ट अभी खत्म नहीं हुई है. ये भी सामने आया कि हिंदी और बांग्ला मीडियम की परीक्षा में सवालों की संख्या कम-ज्यादा होती है. इन्हीं कारणों की वजह से राज्यों का कहना है कि NEET में रीजनल लैंग्वेज के छात्र CBSE के छात्रों से पिछड़ जाते हैं. वैसे एक बात और बता देते हैं. CBSE वाले स्कूलों में रीजनल लैंग्वेज से पढ़ाई नहीं करवाई जाती. वैसे तमाम स्कूल राज्य सरकार से मान्यताप्राप्त होते हैं. इन तमाम आरोपों और विवादों के बीच केंद्र सरकार को दखलंदाजी करनी पड़ी. 2017 में HRD मंत्री प्रकाश जावरेकर ने वादा किया कि 2018 की परीक्षा में सारे प्रश्नपत्र एक जैसे होंगे. कि 2018 में जो परीक्षा होगी, उसमें प्रादेशिक भाषाओं के प्रश्नपत्र अंग्रेजी वाले सवालों का अनुवाद होंगे. मतलब एक जैसे सवाल. इस बार ऐसा हुआ भी. लेकिन भेदभाव के आरोप खत्म नहीं हुए हैं.
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