ये उस दौर की बात है जब लोग शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करते तो थे, लेकिन ग्रोथ के लिए नहीं, बल्कि डिविडेंड्स के लिए. अधिकतर कंपनियों का उद्देश्य मुनाफा कमाना हुआ करता था. और शेयरहोल्डर्स को इस मुनाफे की एवज में डिविडेंड्स मिल जाया करते थे. फिर 70 और 80 के दशक में एक आदमी ने इस खेल को पूरी तरह बदल डाला. इस शख्स का नाम था धीरू भाई अम्बानी. अम्बानी किसी भी हाल में अपने शेयर्स की कीमत में कमी आने देने को तैयार नहीं थे. इसी का नतीजा हुआ कि 90 का दशक आते-आते रिलायंस से 24 लाख निवेशक जुड़ चुके थे. रिलायंस की सालाना होने वाली जनरल मीटिंग के लिए पूरा स्टेडियम बुक करना पड़ता था. रिलायंस का मतलब था फायदे का सौदा। निवेशकों को इतना विश्वास कि लोग अपनी जमा पूंजी लेकर रिलायंस में निवेश करने पहुंच जाते थे. इसका एक कारण तो ये था कि रिलायंस दिन रात तरक्की कर रही थी. वहीं एक बड़ी जरूरी बात ये थी कि धीरूभाई अंबानी किसी भी हालत में रिलायंस को शेयर मार्केट के खेल से बचाकर रखते थे.
धीरूभाई अम्बानी की पैदाइश आज ही के दिन यानी 28 दिसंबर, 1932 के दिन हुई थी. इस मौके पर आपको सुनाएंगे वो किस्सा जब दलालों ने रिलायंस को गिराने की कोशिश की और धीरूभाई ने 3 दिन तक शेयर मार्केट में ताला लगवा दिया. देखिए वीडियो.
तारीख़: जब शेयर मार्केट के सबसे बड़े दलालों का सामना धीरूभाई अम्बानी से हुआ!
रिलायंस की सालाना होने वाली जनरल मीटिंग के लिए पूरा स्टेडियम बुक करना पड़ता था.
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