भारत के बाहर की गतिविधियों और नृजातीय एकता को भी आंबेडकर ने खुल कर चुनौती दी. आंबेडकर ने दूसरे विश्व युद्ध में तानाशाही और लोकतंत्र में से लोकतंत्र का खुला पक्ष लिया. 1942 में ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लासेस के भाषण के अंत में उन्होंने अपना प्रख्यात उद्धहरण दिया था. धर्मों पर क्या सोचते थे आंबेडकर, जानने के लिए देखें पूरा वीडियो.
तारीख: अलग-अलग धर्मों पर क्या सोचते थे डॉ बी आर आंबेडकर?
आंबेडकरकहते है कि बुद्ध का कर्म सिद्धांत और जैन धर्म का कर्म सिद्धांत सुनने में एक जैसा लगता है लेकिन जैन धर्म में कर्म सिद्धांत आत्मा पर आधारित है और बौद्ध धर्म आत्मा के अस्तित्व को ही नकारता है.
Advertisement
Add Lallantop as a Trusted Source

Advertisement
Advertisement