जापान और भारत. इन दो देशों के रिश्ते हमेशा अहम रहे हैं. नेताजी सुभाष चंद्र बोस और INA प्रकरण हो या स्वामी विवेकानंद की यात्रा, इतिहास में काफी ऐसे मोड़ आए हैं, जो भारत और जापान को नजदीक लाते हैं. 1893 में विश्व धर्म कांग्रेस में भाग लेने के लिए स्वामी विवेकानंद अमेरिका गए तो पहले जापान में रुके थे. इस विजिट के दौरान अपने खतों में वो लिखते हैं,
तारीख: भारत से जापान कैसे पहुंची संस्कृत?
1893 में विश्व धर्म कांग्रेस में भाग लेने के लिए स्वामी विवेकानंद अमेरिका गए तो पहले जापान में रुके थे.
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“मेरे ख्याल से अगर भारत के सभी अमीर और पढ़े लिखे लोग एक बार जापान की यात्रा कर लें तो उनकी आंखें खुल जाएंगी”
आज हम बात करने वाले हैं जापान और भारत के रिश्तों की. लेकिन आधुनिक इतिहास में नहीं बल्कि उससे बहुत-बहुत पहले, 7 वीं सदी की, जहां भारत जापान रिश्तों के पहले निशान मिलते हैं. तब भारत से चला एक बौद्ध भिक्षु जापान पहुंचा और उसने सबसे पहले बुद्ध की आंखें खोली. क्या है पूरी कहानी, चलिए जानते हैं.
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