नाम है उस्ताद बड़े गुलाम अली खान. हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की एक बड़ी हस्ती रहे हैं. इस बार तारीख़ के एपिसोड में इन्हीं पर बात की है. यह एपिसोड संगीत की दुनिया में उनकी शानदार यात्रा को जीवंत करता है. उनकी आवाज़ ने राजाओं और आम लोगों दोनों को समान रूप से प्रभावित किया. 1902 में कसूर में जन्मे उस्ताद बड़े गुलाम अली पटियाला घराने की एक म्यूज़िक फैमिली से आते थे. पिता और चाचा ने उन्हें प्रशिक्षित किया था. छोटी उम्र में ही उन्होंने बारह स्वरों में महारत हासिल कर ली थी. खान साहब ख्याल, ठुमरी, दादरा और भजन में अपनी महारत के लिए जाने जाते थे. लता मंगेशकर भी एक बार उनकी मौजूदगी में गाने से हिचकिचाती थीं. पंडित जसराज ने भी एक बार कहा था, “वे कभी भी बेसुरे नहीं होते.” उनकी पूरी कहानी जानने के लिए देखें तारीख़ का यह एपिसोड.
Tarikh: इस बार कहानी, 'कभी भी बेसुरे नहीं होने वाले' Bade Ghulam Ali साहब की...
Bade Ghulam Ali: हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की एक बड़ी हस्ती थे. वह पटियाला घराने की एक म्यूज़िक फैमिली से आते थे. छोटी उम्र में ही उन्होंने बारह स्वरों में महारत हासिल कर ली थी. उनकी पूरी कहानी जानने के लिए देखें तारीख़ का यह एपिसोड.
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