The Lallantop
Logo

तारीख़: कैसे मोबाइल के एक फोटो से सुलझी पुलवामा अटैक की गुत्थी

एक फोटो और आशिकी में फंसा पुलवामा मास्टरमाइंड?

13 फरवरी 2019. जम्मू-कश्मीर का पुलवामा जिला. यहां के हाजीबाल इलाके का रहने वाला एक युवक कुछ दूरी पर स्थित जम्मू-श्रीनगर हाइवे के पास पहुंचता है. वहां जो देखा उसकी आंखें खुली रह गईं. वह पलटा और तेजी से वापस चल पड़ा. एक घर में गया और वहां बैठे कुछ लोगों से बोला- 'हाइवे की सिक्योरिटी में सीआरपीएफ तैनात है. तैयारी करो काफिला आने वाला है.'  20 साल के इस लड़के का नाम था शाकिर बशीर. अगले दिन 14 फरवरी की दोपहर में तीन बजे शाकिर अपने घर से एक नीली कार में निकलता है. ड्राइवर के पास वाली सीट पर एक और युवक बैठा था. नाम था आदिल अहमद डार. कार ने झेलम नदी के एक छोटे से पुल को पार किया. आदिल लगातार कुरान की आयतें बुदबुदा रहा था. तीन बजकर दस मिनट पर कार एक ऐसी जगह पर पहुंची जहाँ से जम्मू-श्रीनगर हाईवे दिखने लगा था. शाकिर ने गाड़ी रोकी और दोनों आमने-सामने खड़े हो गए. आदिल डार के हाथ कांप रहे थे. वो बार-बार उन्हें रोकने की कोशिश कर रहा था. उसने अपने हाथ कलाई से अपनी घड़ी उतारी और शाकिर बशीर को देते हुए बोला- ‘ये तुम्हें हमेशा मेरी याद दिलाएगी. मुझे दुआओं में याद रखना. अल्लाह हाफिज.’इसके बाद दोनों गले मिले. आदिल ड्राइवर वाली सीट पर बैठा, चाबी घुमाई, जैकेट उठाकर चेक किया कि पिस्तौल अपनी जगह पर है. इसके बाद उसने शाकिर को वहीं छोड़कर श्रीनगर हाइवे पर गाड़ी दौड़ा दी. उसी दिन, कुछ घंटे पहले सुबह-सुबह जम्मू से सीआरपीएफ के जवानों का काफिला श्रीनगर के लिए निकला. ये जवान काफी समय से श्रीनगर जाने को थे, लेकिन बर्फबारी के चलते हाइवे बर्फ से ढक गया था. जब बर्फ हटी तो इन सभी को एक साथ श्रीनगर रवाना किया गया. उस दिन सीआरपीएफ का काफिला बाकी दिनों के मुकाबले काफी बड़ा था. बसों, ट्रकों और बख्तरबंद वाहनों को मिलाकर कुल 78 (अठहत्तर) वाहन थे. इनमें कुल सैनिक थे 2,547. वैसे आतंकी खतरे को देखते हुए बख्तरबंद वाहनों से ही जवानों को कश्मीर ले जाया जाता था, लेकिन उस दिन संख्या ज्यादा थी, इसलिए बसें और अन्य वाहन भी काफिले में शामिल किए गए थे. देखिए वीडियो.