लगभग एक हजार साल पहले ही बात है. तब दुनिया के नक़्शे में सबसे केंद्र में होता था जेरूसेलम क्योंकि लोग मानते थे, जेरूसेलम, न सिर्फ इस दुनिया का, बल्कि पूरे ब्रह्माण्ड का केंद्र है. फिर एक सुबह आई. एक आदमी अपने बिस्तर से उठा, और चल पड़ा. जब रुका, 24 साल बीत चुके थे. उसके कदमों ने नाप डाली थी 8 हजार किलोमीटर धरती. यात्रा के अंत में उसने एक किताब लिखी, जिसमें उसने चीन और भारत का जिक्र किया. इस किताब के हिसाब से एक नया नक्शा बना. जिसने दुनिया उलट पलट दी. किताब में यही नहीं था. उसमें जिक्र था मंगोलों का. चंगेजखान के वंशज, जो इतने खूंखार थे कि दुनिया की 11 % आबादी खत्म कर डाली थी. इस किताब में जिक्र था भारत में चीलों की मदद से होने वाली हीरों की खेती का. मंत्रों से खोजे जाने वाले मोतियों का. और एक ऐसी रानी का, जो तमाम राजाओं से बेहतर थी. वीडियो देखें.
तारीख: 800 साल पहले कैसा था भारत? मार्को पोलो ने अपनी किताब में क्या लिखा?
Marco Polo अपने पिता निकोलो पोलो के साथ चीन की यात्रा पर गए थे. साल था 1271. वेनिस से यात्रा शुरू हुई. और चीन में जाकर खत्म हुई. रास्ते में मार्को ने जो जो देखा, वो नोट करता गया.
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